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अंबूज की हत्या का बदला लेंगे दोस्त:सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर दी धमकी, गोरखपुर में सिर काटकर महराजगंज फेंकी गई थी लाश

मैटर हमारे होते थे, पर सबसे पहले वार वो करता था, हम दोस्तों पर तो वह जान छिड़कता था, यार मेरा भी ऐसा था, जो हंसते हुए बड़ा प्यारा लगता था….मिस यू लाला। रिशू जल्द ही तुम्हारी हत्या का बदला लिया जाएगा, साइड काउंटर किया जाएगा। तुम सबके लिए मर सकते हो, लेकिन हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहोगे। हे भगवान मेरे दोस्त को फिर से जिंदा कर दो… गोरखपुर के तिवारीपुर इलाके के सूर्यकुंड निवासी अंबुज मणि त्रिपाठी उर्फ रिशू (20) की जिगरी दोस्तों ने ही हत्या कर दी। इस वारदात के बाद सोशल मीडिया पर रिशू के करीबी और दोस्तों ने 50 से अधिक पोस्ट शेयर की। कई पोस्ट में रिशू की डांस करते हुए रील भी अपलोड की गई है। जिसमे 100 से अधिक कमेंट आए हैं। अधिकतर दोस्तों ने पोस्ट पर लिखा है कि मिस यू रिशू, बहुत याद आओगे। दोस्त रिशू को प्यार से लाला भी बुलाते थे। वहीं कई दोस्ताें ने धमकी भरे पोस्ट भी किए हैं। जिसमे लिखा है कि जल्द ही बदला लिया जाएगा। बहुत जल्द साइड काउंटर होगा। रिशू की बाइकर्स भी टीम थी। जो बाइक से सड़कों पर स्टंट करते हैं। लड़के से लेकर लड़कियों तक ने रिशू की हत्या पर दुख जाहिर किया है। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग भी की है। नेपाल भाग गया तीसरा आरोपी अहद रिशू हत्याकांड की जांच में पुलिस ने बृहस्पतिवार को आरोपी बिट्टू उर्फ अहद खान के संभावित सहयोगियों में तीन युवकों को पूछताछ के लिए उठाया है। जांच में कई नए सुराग मिले हैं, जिनसे संकेत मिल रहे हैं कि बिट्टू घटनाक्रम के बाद नेपाल सीमा से सटे एक गांव में पनाह लिए हुए है। पुलिस टीमें सीमा क्षेत्र में सक्रिय कर दी गई हैं। आरोपियों ने बंद कर दिए मोबाइल सूत्रों के अनुसार, बिट्टू उर्फ अहद खान के साथ गैंग के तीन अन्य सदस्य भी घटना के बाद से लापता हैं। इन सभी के मोबाइल फोन बंद हैं और उनकी लोकेशन अंतिम बार सोहगौरा और कैम्पियरगंज रूट पर मिली थी। पुलिस को आशंका है कि पूरी गैंग पहले से बनाई गई योजना के अनुसार अंडरग्राउंड हो गई है। ताकि गिरफ्तारी से बचा जा सके। गिरोह का सरगना है पंडित पुलिस की जांच तारामंडल निवासी पंडित गैंग के कई गुर्गाें के कारनाम सामने आए हैं। आयुष पंडित गैंग से भी जुड़ा था। यह गैंग साइबर ठगों के लिए किराए पर बैंक खाते भी खुलवाता है। रिशू की हत्या के बाद सरगना पंडित का मोबाइल तुरंत बाद बंद हो गया। पुलिस को शक है कि पंडित ही गैंग के सदस्यों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने में मदद कर रहा है। पुलिस ने जिन तीन युवकों को उठाया है, वे बिट्टू और गैंग के अन्य सदस्यों के संपर्क में थे। पूछताछ में पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही है कि बिट्टू किसके माध्यम से सीमा तक पहुंचा। नेपाल में वह किसके पास छिप सकता है। घटना से पहले और बाद में गैंग के बीच क्या बातचीत हुई इसके अलावा सरगना पंडित ने आखिरी बार किससे संपर्क किया। दो आरोपी गिरफ्तार, मुख्य आरोपी ने कबूल की घटना ‘अंबुज ने मुझे एक अवैध पिस्टल 40 हजार रुपए में दी थी। वह खराब थी। मैंने पैसे मांगे तो विवाद हो गया। दोस्तों के साथ मिलकर बेसबॉल और डंडे से पीटकर अधमरा कर दिया। फिर उसे कार में डाल लिया। मैंने गला दबा कर मार डाला। फिर कार के अंदर ही कुल्हाड़ी से अंबुज की गर्दन काटकर अलग कर दी। उसकी पहचान न हो, इसलिए न्यूड कर दिया। हाथ में बंधे रक्षा सूत्र उतार दिए। दाएं हाथ की बीच की अंगुली में अंगूठी पहने था, उसे काटकर अलग कर दिया। शव को लेकर हम लोग 50 किमी दूर महराजगंज जिला पहुंचे। श्यामदेउरवां में नहर किनारे झाड़ियों में सिर फेंका। 10 किमी. दूर अंबुज का धड़ भी फेंक दिया।’ यह कबूलनामा है मुख्य आरोपी अंबुज के जिगरी दोस्त आयुष सिंह का। पुलिस ने अंबुज की हत्या में उसे मुख्य आरोपी बनाया है। आयुष अंबुज का पुराना दोस्त था। एक मांगलिक कार्यक्रम में उसे बुलाकर आयुष ही अपने साथ लेकर गया था। घर वापस नहीं लौटने पर परिजन ने पुलिस में मिसिंग कप्लेन की। पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया तो बताया कि उसने हत्या कर लाश को ठिकाने लगा दी है। हत्यारोपी आयुष की निशानदेही पर ही पुलिस ने शवों के टुकड़ों को बरामद भी किया। मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया। एंबुलेंस में ही पिता ने बेटे का पिंडदान किया। आयुष घर से अंबुज को लेकर गया था
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि 28 नवंबर को तिवारीपुर थाने में सूर्यविहार कालोनी के संतोष मणि त्रिपाठी ने अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि 26 नवंबर को उनका बेटा अंबुज (20) घर में था। तभी एक अर्टिगा कार आई। उसमें उसका दोस्त आयुष बैठा था। जब मैंने बेटे से पूछा- कहां जा रहे हो तो उसने कहा कि एक हल्दी कार्यक्रम में जा रहा हूं। इसके बाद बेटा घर से चला गया। देर रात कॉल की तो फोन स्विच ऑफ था। अगले दिन यानी 27 नवंबर को भी जब बेटा नहीं लौटा तो सब परेशान हो गए। पत्नी और बेटी रोने लगे। मैंने रिश्तेदारों में भी फोन करके पता किया लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद वह थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अंबुज के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया। आसपास के करीब 50 से अधिक CCTV फुटेज देखे। आयुष के घर पुलिस पहुंची। आयुष ने बताया कि मैं उसे एक हल्दी कार्यक्रम में लेकर गया था। जहां मेरी अंबुज से मारपीट हुई। इसके बाद मुझे नहीं पता कि वह कहां चला गया। बयान सुनने के बाद पुलिस ने आयुष को हिरासत में ले लिया। उससे थाने लाकर पूछताछ की तो उसने सच कबूल दिया। आरोपी बोला- पहचान न हो, इसलिए शव के 2 टुकड़े किए
आयुष ने बताया कि 26 नवंबर को स्पोर्टस कॉलेज के पास हम दोनों ने शराब पी। मेरे साथ मेरे दो दोस्त भी थे। शराब पीने के दौरान मैंने अंबुज से कहा कि तुमने जो पिस्टल दी थी, वह चल नहीं रही है। इसको वापस लेकर मेरे पैसे लौटा दो। पैसों को लेकर हम दोनों में विवाद हो गया। मामला बढ़ा तो मैं कार से बेसबॉल और डंडे बाहर निकाल लाया। मैंने और मेरे दोस्तों ने अंबुज को पीटना शुरू कर दिया। पीट-पीटकर उसे मरणासन्न कर दिया। मैंने ही उसका गला दबा दिया। उसकी मौत हो गई। फिर मैंने दोस्तों से कुल्हाड़ी मंगवाई। उससे उसका धड़ और सिर काटकर अलग किया। पहचान न हो, उसके पूरे कपड़े उतार दिए। अंगूठी वाली उसकी अंगुली काट दी। लाश ठिकाने लगाने महराजगंज गया। एक नवंबर की रात पुलिस ने आरोपी की निशानदेही से महराजगंज से अंबुज की लाश बरामद कराई। साथ ही कुल्हाड़ी भी पुलिस बरामद की। अर्टिका कार आयुष के दोस्त की थी पुलिस ने बताया कि लाश पांच दिन पुरानी हो गई थी। अंबुज का सिर मिला तो उसकी आंखें और जीभ बाहर निकल आईं थीं। धड़ सड़ गया था। शरीर पर पीटने के नीले निशान थे। जिस अर्टिका कार से लाश महराजगंज में फेंकी गई, वह आयुष के दोस्त की थी। मंगलवार सुबह पिता संतोष और उनके रिश्तेदारों को लेकर पुलिस महराजगंज पहुंची। वहां लाश की पहचान कराकर पोस्टमार्टम कराने के लिए भेजा। देर शाम 6:30 बजे एंबुलेंस से शव गोरखपुर के तिवारीपुर थाना क्षेत्र के सूर्यकुंड स्थित घर लाया गया। तनावपूर्ण माहौल की वजह से घर के आसपास 4 थानों की पुलिस और PAC लगाई गई थी। एंबुलेंस में पिंडदान हुआ, मां बोली- अंबुज को घर के अंदर लाओ अंबुज की डेडबॉडी जब घर पहुंची तो मां रेखा त्रिपाठी और बहन राधा बेसुध हो गईं। परिवार के लोगों ने दोनों काे संभाला। मां बार-बार अपने बेटे का नाम बोल रही थी कि रिशू को घर के अंदर लाओ। कहकर गया था कि अभी आ रहा हूं। मैं अगर जानती कि मेरा बेटा कभी नहीं आएगा, तब उसे नहीं जाने देती। पिता चुपचाप एंबुलेंस में बैठकर बेटे का शव निहार रहे थे। पिता से एंबुलेंस के अंदर ही पिंडदान और गोदान कराया गया। करीब 15 मिनट बाद शव काे एंबुलेंस से ही राजघाट रवाना कर दिया गया। जहां सैकड़ों लोगों के बीच रोते हुए पिता ने बेटे का दाह संस्कार किया। इस दौरान चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात रही। बता दें कि अंबुज इकलौता बेटा था। पिछले साल इंटरमीडिएट परीक्षा में फेल हो गया था। छोटी बहन राधा, 11वीं की स्टूडेंट है। पिता संतोष, बीमा एजेंट हैं जबकि मां हाउसवाइफ।


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