जौनपुर के एक वृद्धा आश्रम में ऐसी घटना सामने आई है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। गोरखपुर के एक बुजुर्ग दंपती पिछले एक साल से जौनपुर के इस आश्रम में रहकर जीवन यापन कर रहे थे। इसी दौरान 20 नवंबर को 65 साल की शोभा देवी का निधन हो गया। वृद्धा आश्रम के संचालक रवि चौबे ने बताया कि दंपती पिछले एक साल से उनके यहां रह रहे थे। शोभा देवी की मौत के बाद जब आश्रम के लोग अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, तो स्थानीय लोगों ने परिजनों को सूचना देने की सलाह दी। इसके बाद मृतका के पति ने अपने छोटे बेटे को फोन किया। छोटे बेटे ने कहा कि वह बड़े भाई से बात कर बताएगा। इसी बीच पता चला कि 23 नवंबर को मृतका के पोते की शादी थी, जिसकी जानकारी दंपती को नहीं थी। जब छोटे बेटे ने दोबारा फोन किया तो उसने बताया कि बड़ा भाई इस समय शव घर न लाने की बात कह रहा है, क्योंकि शादी का माहौल मातम में बदल जाएगा। इस पर मृतका के पति ने कहा कि वे यहीं जौनपुर में ही अंतिम संस्कार करेंगे। इसी दौरान घर में शादी के सिलसिले में पहुंची बेटियों को अपनी मां के निधन की जानकारी मिली। वे अंतिम दर्शन करने और शव को घर लाने पर अड़ गईं। बेटों ने फोन कर कहा कि “लाश को चार दिन फ्रीज़र में रखवा दीजिए, शादी के बाद हम आकर ले जाएंगे।” जब शव घर पहुंचा, तो बड़ा बेटा दूर खड़ा रहा और 50 मीटर दूर मां के शव के पास तक नहीं आया। इसी दौरान कुछ लोगों ने कहा कि शव का दाह संस्कार नहीं, बल्कि दफनाया जाएगा। यह सुनकर मृतका के पति आहत हो उठे। उन्होंने कहा कि उनके साथ धोखा किया गया है। दबाव बनाकर नदी किनारे शव को दफना दिया गया और हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार नहीं हो सका। मृतका अपने पोते-पोतियों को आखिरी बार देखना चाहती थीं, लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई। पोते के सिर पर सेहरा सजते देखने से पहले ही दादी दुनिया छोड़कर चली गईं।
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