ओडिशा हाईकोर्ट बोला- सभी पढ़ी-लिखी पत्नियां पति पर बोझ नहीं:उन्हें ‘बेकार वर्ग’ कहना गलत, पत्नी-बेटी को हर महीने ₹10 हजार देने होंगे

ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी की इनकम के सबूत नहीं हैं, तो यह मान लेना गलत है कि सभी पढ़ी-लिखी पत्नियां पति के पैसों पर जीना चाहती हैं। उन्हें काम न करने वाली महिलाएं यानी ‘बेकार वर्ग’ कहना भी गलत है। कोर्ट ने माना कि पति ये साबित नहीं कर पाया कि पत्नी के पास परमानेंट इनकम है। उसने कोई दस्तावेज या सबूत नहीं दिया जिससे पता चले कि पत्नी कितने मामलों में वकालत कर रही है और कितना कमा रही है। हो सकता है कोई व्यक्ति वकील के रूप में पंजीकृत हो लेकिन उसे लंबे समय तक केस न मिलें। ऐसे में ये मानना गलत है कि वह खुद का और बेटी का खर्च उठा सकती है। इन सभी तर्कों और तथ्यों को देखते हुए, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। और कहा कि ‘अब पति को पत्नी और बेटी दोनों के लिए हर महीने 10,000 रुपए देने होंगे।’ दरअसल, एक व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे वकील पत्नी और बालिग बेटी को हर महीने 10,000 रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट की दो मुख्य टिप्पणी… पति ने याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी पढ़ी-लिखी है और उससे ज्यादा कमाती है। उसने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी अपनी इच्छा से घर छोड़कर चली गई है, इसलिए वह मेंटनेंस की हकदार नहीं है। वहीं इस मामले में पत्नी ने कहा कि वह वकील जरूर हैं, लेकिन उनकी कमाई बहुत कम है। साथ ही उन्हें लॉ पढ़ रही बेटी की पढ़ाई का और अन्य खर्च भी उठाना पड़ता है। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने दूसरी शादी कर ली है। ———————————— ये खबर भी पढ़ें… महिला ने एलिमनी में 12 करोड़ रुपए, BMW कार मांगी:सुप्रीम कोर्ट बोला- खुद कमाकर खाइए, आप भी पढ़ी-लिखी हैं सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में कहा कि अगर महिला काफी पढ़ी-लिखी है, तो उसे एलिमनी मांगने की बजाय खुद कमाकर खाना चाहिए। महिला ने मुंबई में एक फ्लैट, 12 करोड़ रुपए का भरण-पोषण और एक महंगी BMW कार की मांग की थी। पूरी खबर पढ़ें… भिखारी पति के खिलाफ कोर्ट पहुंची दूसरी पत्नी, गुजारा मांगा, केरल HC बोला- पाल नहीं सकते तो दो-तीन शादियां क्यों केरल हाईकोर्ट ने कहा कि वह किसी ऐसे मुस्लिम व्यक्ति की एक से ज्यादा शादियों को मंजूर नहीं कर सकता, जिसके पास पत्नियों का भरण-पोषण करने की काबिलियत ही नहीं है। कोर्ट एक मुस्लिम भिखारी की दूसरी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने पति से 10 हजार गुजारा भत्ता मांगा था। पूरी खबर पढ़ें…

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Source: देश | दैनिक भास्कर