शहीद की प्रतिमा खंडित, सदमें में फौजी पिता की मौत:सिरसा में बारिश में धंसा था स्मारक, फोटो को देख रोते रहे; शुक्रवार को रस्मक्रिया

सिरसा के हांडी खेड़ा गांव में एक रिटायर्ड फौजी पिता अपने शहीद बेटे का प्रतिमास्थल खंडित होने पर इस कद्र सदमे में आए कि खुद भी दम तोड़ दिया। 26 सितंबर को उनकी रस्म क्रिया है। 32 साल का बेटा अमित कुमार सेना में लांस नायक था। 8 जुलाई 2023 को यूपी के प्रयागराज में ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ने पर निधन हो गया था। 8 जुलाई 2026 को अमित कुमार का गांव में स्मारक स्थल बनाया गया, जहां प्रतिमा लगाई गई। पिछले दिनों बारिश में स्मारक स्थल धंस गया और प्रतिमा खंडित हो गई। 12 सितंबर को यहां से प्रतिमा उतारी गई। उसके बाद से रिटायर्ड फौजी पिता रामजीलाल कसाना (67) लगातार बेटे को फोटो देखकर रोते रहे। उसी रात तबीयत बिगड़ी और दम तोड़ दिया। दोनों पिता-पुत्र सेना की 21-राजपूत रेजिमेंट में रहे। रामजीलाल अपने गांव के पहले फौजी थे। फौज से रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक में सेवाएं दी। बेटे की मौत होने के बाद से वह पोतों के लालन-पोषण की चिंता में रहते थे। परिवार ने अपने खर्च पर बनवाया था स्मारक
रामजीलाल के छोटे भाई दुलीचंद ने दैनिक भास्कर एप से बातचीत में दुख भरा किस्सा सुनाया। बोले- हम 5 भाइयों में परिवार में पहले फौजी रामजीलाल ही थे। 1980 में सेना में भर्ती हुए। उसके बाद रामजीलाल का बेटा अमित 20 सितंबर 2013 को सेना भर्ती हुआ। अमित की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 8 जून 2023 को छाती में दर्द हुआ और मौत हो गई। गांव की पंचायत ने गांव के बेटे को सम्मान देने के लिए जगह दी। जिस पर परिवार ने अपने खर्च पर स्मारक स्थल बनाया। जहां प्रतिमा लगा गई। कुल मिलाकर 8-9 लाख रुपए परिवार ने खर्च किए। नेताओं व प्रशासन ने कहा था-सहयोग देंगे, दिया नहीं
जब लांस नायक अमित का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा था, उस दिन कई नेता-अफसर आए थे। तब की सांसद सुनीता दुग्गल, अशोक तंवर व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला आए। कालांवाली विधायक शीशपाल केहरवाला भी आए।अमित के भाई सुमित बताते हैं कि सभी ने उस दिन कहा था कि आप एक बार स्मारक स्थल बनवा लो, हम सहयोग करेंगे, पर किया किसी ने नहीं। विधायक शीशपाल केहरवालां को मूर्ति स्थापना पर बुलाया। सरपंच ने फोन किया, तो विधायक ने जवाब दिया-अभी बाहर हूं, नहीं आ सकता। बाद में भाजपा नेता जगदीश चोपड़ा पहुंचे थे। बरसात में धंस गया स्मारक स्थल
रामजीलाल अकसर स्मारक स्थल पर जाकर बेटे की प्रतिमा को निहारते थे। पिछले दिनों लगातार बारिश हुई। कुछ दिन पहले देखा कि स्मारक स्थल धंसने लगा है। प्रतिमा झुकने लगी थी। गांव वाले कहने लगे कि प्रतिमा बैठ गई, इसको उखाड़कर दोबारा लगवाना पड़ेगा।12 सितंबर को पूरे दिन रामजीलाल खुद यहां डटे रहे। अमित की मूर्ति को हाइड्रा मशीन से स्थापना स्थल से नीचे उतरवाया। पूरा समय रामजीलाल रोते रहे। घर आकर भी बेटे की फोटो को निहारते हुए आंसू नहीं थमे। अचानक सदमे में आ गए और घबराहट महसूस हुई। तुरंत अस्पताल में लेकर गए, वहां पर डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। प्रतिमा को दोबारा वहीं लगवाना था
तय ये हुआ था, जहां से स्मारक स्थल धंसा है, उसे ठीक किया जाएगा। वहां से मिस्त्री ने टाइलें उखाड़कर दोबारा लगाना शुरू कर दिया था। ताकि इसे ठीक-ठाक करके दोबारा से प्रतिमा लगाई जा सके। लेकिन उससे पहले ही पिता का देहांत हो गया। धंसी हुई मूर्ति अच्छी नहीं मानी जाती। इसलिए उसे काम पूरा होने के बाद दोबारा रखवाना थी। वो काम अधर में रह गया। अब परिवार ही इसे पूरा करवाएगा। परिवार में भतीजे की दो दिन पहले हुई थी मौत
अमित कुमार की मौसी के बेटे एवं फौजी राकेश कुमार ने बताया कि 12-13 सितंबर की रात को चाचा रामजीलाल की मौत हुई थी। अब 26 सितंबर को 13वीं होगी। उनके परिवार में सुनील की भी दो दिन पहले मौत हुई थी। वह रामजीलाल के रिश्ते में भतीजा लगता था। उनकी मौत को लेकर भी वह चिंतित थे। जवान बेटा चला गया, उसके बच्चे हैं, उनकी टेंशन थी : संतोष
शहीद अमित कुमार की मां परमेश्वरी उर्फ संतोष गम में डूबी हैं। पहले बेटा गया और अब पति। वह बताती हैं-मुझे तो अमित के बारे में दिनभर बताया भी नहीं गया था। अगले दिन अमित का पार्थिव शरीर घर पर आया तो पता चला। अमित की सेना के प्रति खुद की लग्न थी और वह भर्ती देखता रहता था। एक-दो बार भर्ती में बात नहीं बनी। हिसार में जो भर्ती हुई थी, उसमें वह पास हुआ। संतोष बताती हैं-अमित की प्रतिमा धंसने के बाद से उसके पिता परेशान थे। 12 सितंबर को पूरे दिन वहां पर काम लगे रहे। मिस्त्री को ठीक करवाने बुलाया। शाम को आकर दुकान खोल ली। रात साढ़े 9 बजे घर आए तो मैंने कहा-रोटी खा लो। तब कहा कि मेरे पेट में अफारा है। कई बार कहने पर रोटी खाई और फोन पर बेटे की फोटो देखने लगे। कुछ देर बाद उल्टी आई। बाद में कुछ नहीं कहा। भतीजा राकेश ने पेट-छाती दबाकर कोशिश की। फिर अस्पताल ले गए। टेंशन तो थी, जवान बेटा चला गया। उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनकी भी टेंशन थी। सेना अफसरों का अमित के मोबाइल से आया था फोन : फौजी राकेश
​​​​​​​मौसी के बेटे एवं फौजी राकेश कुमार ने बताया कि उस दिन सुबह 7 बजे इलाहाबाद से अमित के फोन से ही उनके पास सेना अफसरों का फोन आया था। पूछा- आप अमित के क्या लगते हो। फिर बताया कि अमित का निधन हो गया है। मैं भी देहरादून ड्युटी पर था तो वो बोले कि हम पार्थिव शरीर को ले आएंगे। आप इनके घर-परिवार काे संभाले। उससे पहले रात को अमित से छुट्टी को लेकर बात हुई थी कि कब तक आएगा। अगले दिन यह दुखद समाचार मिला। रात को मैं उनसे मिलकर गया था : राकेश
​​​​​​​फौजी राकेश कुमार ने बताया कि अंकल रामजीलाल 13 सितंबर को रात 10.30 बजे घर में आंगन में चारपाई पर सोए थे। मैं उनसे मिलकर गया था। उस समय उन्होंने कहा कि मेरी छाती में दर्द है। उल्टी भी आई थी। मैं बोला- आपको डॉक्टर को दिखाकर लाऊं, तो मना कर दिया था। बाद में मौसी संतोष का फोन आया कि एक बार घर आओ, तुम्हारे चाचा को दिक्कत हो रखी है। फिर अस्पताल सिरसा लेकर गए और वहां देहांत हो गया। भाई का रोष-हरियाणा में शहीद की कीमत नहीं, स्मारक स्थल तक नहीं बनवाते
​​​​​​​शहीद अमित के भाई सुमित कुमार ने बताया कि वह छह माह से लंदन में जॉब करते हैं। 13 सितंबर को रात 9 बजे पिता से फोन पर बात हुई थी। पिता ने कहा था कि सब ठीक है। अचानक उनके देहांत की सूचना मिली तो वापस लौटना पड़ा।सुमित रोष जताते हैं-भाई अमित की प्रतिमा एवं स्मारक स्थल बनवाने में परिवार ने 8-9 लाख रुपए खर्च किए। क्या हरियाणा में शहीद की कोई कीमत नहीं। गांव में उनका स्मारक स्थल बनवाना तो दूर भाई की पत्नी को सरकार से कोई जॉब तक नहीं मिली। सिर्फ पेंशन से घर चला रही हैं।

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Source: देश | दैनिक भास्कर