ओलिंपियन दीपक पुनिया ने की रिंग सेरेमनी:पिता के प्रॉपर्टी डीलर दोस्त की बेटी से हुआ रिश्ता; सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही

हरियाणा के झज्जर के अंतरराष्ट्रीय पहलवान और ओलिंपियन दीपक पुनिया जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। रविवार को बहादुरगढ़ में उनकी रिंग सेरेमनी हुई। उन्होंने झज्जर जिले के ही निलौठी गांव की शिवानी को शादी की रिंग पहनाई। दीपक की मंगेतर शिवानी 23 साल की है। उनका सपना IAS बनने का है, जिसके लिए वे तैयारी कर रही हैं। उनके पिता अनूप खेतीबाड़ी करते हैं। इसके अलावा दीपक के पिता सुभाष पुनिया के साथ प्रॉपर्टी डीलिंग का कार्य भी देखते हैं। इसी दोस्ती को दोनों परिवारों ने और मजबूती प्रदान करते हुए यह रिश्ता तय किया। यह कार्यक्रम पूरी तरह पारिवारिक माहौल में संपन्न हुआ, जिसमें दोनों परिवारों और करीबी मित्रों ने ही शिरकत की। फिलहाल शादी की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन दीपक के पिता ने बताया कि जल्द ही दोनों परिवारों की सहमति से विवाह की तारीख घोषित की जाएगी। दीपक-शिवानी की रिंग सेरेमनी के PHOTOS… मंगेतर शिवानी बोली- दोनों परिवारों की रजामंदी से हुआ रिश्ता
पहलवान दीपक की गांव निलौठी की 23 वर्षीय शिवानी के साथ सगाई हुई है। शिवानी के पिता अनूप प्रापर्टी डीलर हैं। उन्होंने बताया कि बेटी शिवानी बड़ी हैं और छोटा बेटा है जो नौवीं कक्षा में पढ़ता है। शिवानी की मां गृहिणी हैं। शिवानी ने जाट कॉलेज रोहतक से एमए अंग्रेजी की है। बीएड भी की है। शिवानी ने बताया कि मेरा खेलों से कोई नाता नहीं रहा है। मैं शुरू से ही पढ़ाई में ध्यान रखती आई हूं। अब मेरा लक्ष्य आईएएस बनने का है। इसके लिए मैं सेल्फ स्टडी कर रही हूं। मेरे पापा दीपक के पिता के साथ 6-7 साल से साथ में काम करते हैं। दोनों परिवारों ने आपसी रजामंदी से यह रिश्ता किया है। फिलहाल शादी की कोई डेट फिक्स नहीं की गई है। दीपक पूनिया का केतली पहलवान से ओलिंपियन तक का सफर… झज्जर जिले के छारा गांव में जन्म, दंगल से शुरुआत
दीपक पुनिया का जन्म 19 मई, 1999 को झज्जर जिले के छारा गांव में हुआ। बचपन से ही कुश्ती उनके खून में रही, क्योंकि उनके पिता सुभाष भी स्थानीय स्तर पर पहलवान रहे। दीपक को महज पांच साल की उम्र में अखाड़े में दाखिल कराया गया। इसी दौरान उन्हें गांव में “केतली पहलवान” का उपनाम मिला, क्योंकि उन्होंने एक बार दूध पीते-पीते पूरी केतली (बर्तन) ही खाली कर दी थी। बचपन के दंगल मुकाबलों से लेकर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम तक दीपक का सफर यादगार रहा। पारंपरिक मिट्टी के अखाड़े से निकलकर जब उन्होंने मैट पर कदम रखा तो जल्दी ही खुद को अनुकूलित किया और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन किया। टोक्यो ओलिंपिक में मामूली अंतर से कांस्य से चूके दीपक
टोक्यो ओलिंपिक 2021 में दीपक कांस्य पदक मुकाबले में मामूली अंतर से हारकर पांचवें स्थान पर रहे। यह हार उनके लिए भावनात्मक रही, क्योंकि कुछ ही महीने पहले उन्होंने अपनी मां को खो दिया था और वे पदक उन्हें समर्पित करना चाहते थे। मगर, इस हार ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बनाया। एक साल बाद 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। छत्रसाल स्टेडियम में कर रहे अभ्यास, पिता हर रोज दूध खुद भेज रहे
दीपक पुनिया वर्तमान में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे हैं और आने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे हैं। अब निजी जीवन की नई शुरुआत के साथ खेल मैदान पर भी उनके प्रदर्शन से देशवासियों को नई उम्मीदें हैं।

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