अमेरिका से डिपोर्ट बुजुर्ग महिला का दर्द छलका:मोहली में बोली- अपराधियों जैसा व्यवहार किया, फट्टे पर सुलाया, खाने को बीफ-ठंडा ब्रेड देते थे
अमेरिका में 32 वर्ष रहने के बाद डिपोर्ट की गईं पंजाब मूल की बुजुर्ग महिला हरजीत कौर का अब दर्द छलका है। उन्होंने बताया है कि गिरफ्तारी के बाद उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा कि हाजिरी लगाने के दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इसके तुरंत बाद ही उन्हें एक ठंडे कमरे में बंद कर दिया गया। जब ओढ़ने को कुछ मांगा तो एल्यूमीनियम फॉइल का टुकड़ा दे दिया। महिला का कहना है कि डिटेक्शन सेल में उन्हें सोने के लिए फट्टा दिया गया। खाने के लिए ठंडी ब्रेड और बीफ देते थे, जिसे वह खाती नहीं थीं। उन्होंने चिप्स और बिस्कुट पर 10 दिन गुजारे। बता दें कि अमेरिका ने महिला हरजीत कौर को 24 सितंबर को बेड़ियां लगाकर पंजाब भेजा था। वह अब मोहाली में अपनी बहन के घर पर रह रही हैं। बुजुर्ग महिला ने गिरफ्तारी के समय की ये बातें बताईं… भारत में कोई सगा नहीं, मुझे रोना आता है
बुजुर्ग बताती हैं- यहां भारत में उनका सगा कोई नहीं है। वह कभी अपने भाई तो कभी किसी अन्य रिश्तेदार के घर रह रही हैं। दशकों तक मैंने अपने पौत्र और पौत्री को पाला। अब जब वह वीडियो कॉल पर बात करते हुए मुझसे पूछते हैं कि दादी आपके पास बेड है, तो मुझे रोना आता है। जिंदगी के इस आखिरी समय के दौरान मेरे अपने मुझसे बिछड़ गए। हरजीत कौर बताती हैं कि अमेरिका से भारत पहुंचाने के लिए उनके परिजनों ने भी सरकार से आग्रह कर थोड़ा समय मांगा था। उन्होंने कहा था कि वह खुद अपने खर्चे पर हरजीत कौर को भारत भेज देंगे, लेकिन परिवार की भी कोई सुनवाई नहीं की गई। केंद्र सरकार मामला उठाए
हरजीत कौर मांग करती हैं कि भारत की केंद्र सरकार को अमेरिकी सरकार के सामने इस मुद्दे को उठाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि अमेरिका पर दबाव बनाया जाए कि उनके केस को दोबारा खोला जाए, ताकि वह अपने परिवार के पास जा सकें। 1992 में 2 बेटों के साथ अमेरिका गई थीं
हरजीत कौर 1992 में 2 बेटों के साथ अमेरिका गई थीं। अब US इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इन्फोर्समेंट (ICE) ने उन्हें गैरकानूनी ढंग से अमेरिका में रहने का आरोप लगाकर भारत डिपोर्ट किया है। परिवार का तर्क है कि वह 3 दशक से अमेरिका में रह रही थीं। उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। बता दें कि हरजीत कौर को हिरासत में लेने के खिलाफ भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिका में प्रदर्शन किए थे। उनकी उम्र और सेहत को देखते हुए परिवार ने रिहाई की मांग की, लेकिन उन्हें डिपोर्ट कर दिया गया।
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