बिश्नोई महासभा के पूर्व अध्यक्ष की जमानत के 3 आधार:युवती रेप की तारीख भूली, मां को गवाह नहीं बनाया; बूड़िया को करती थी फोन

अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया को शुक्रवार को हिसार की फास्ट ट्रैक कोर्ट से जमानत मिल गई है। देवेंद्र बूड़िया 96 दिन से हिसार जेल में बद हैं। उनके शनिवार को जेल से बाहर आने की उम्मीद है। देवेंद्र बूड़िया के वकील पवन रापड़िया ने इस केस के ऐसे पहलू बताए हैं जो जमानत में महत्वपूर्ण साबित हुए। वकील ने बताया कि युवती ने पुलिस को जब शिकायत दी थी तब कहा था कि उसके साथ 2 फरवरी 2024, अगस्त 2024 और सितंबर 2024 में रेप हुआ। बाकायदा 164 के जो मजिस्ट्रेट के सामने बयान होते हैं, उसमें यही तारीख बताई थी। बाद में पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी तो पता चला कि फरवरी में तो देवेंद्र बूड़िया कभी चंडीगढ़ गया ही नहीं। इसके बाद युवती ने बयान बदल लिए कहा कि उसके साथ 15 मई, 2 जून और 21 अक्टूबर 2024 को रेप हुआ था। इतना ही नहीं युवती बार-बार देवेंद्र बूड़िया को कॉल करती थी। बूड़िया की कॉल डिटेल से यह जाहिर है कि युवती ने कई बार बूड़िया को कॉल किए। वकील ने कोर्ट में कहा कि जब किसी युवती के साथ रेप हुआ तो वह बार-बार फोन किए लिए कर रही थी। वकील बोले- चंडीगढ़ में अकेले रुके थे बूड़िया
वकील पवन रापड़िया का कहना है कि पुलिस ने चार्जशीट में लोकेशन के आधार पर बताया कि देवेंद्र बूड़िया 15 मई को चंडीगढ़ गए थे और हयात होटल में रुके थे। मगर यह नहीं बताया कि वह होटल में अकेले रूके। उनकी गेस्ट के तौर पर वन पर्सन की ही एंट्री रजिस्टर में दर्ज है। इसी लोकेशन के आधार पर बाद में युवती के बयान बदल दिए गए। इसके अलावा वकील ने बताया कि पुलिस को दी शिकायत में युवती ने बताया था कि उसने सबसे पहले घर आकर अपनी मां को सारी बात बताई, मगर मां को केस में गवाह ही नहीं बनाया गया है। पवन रापड़िया ने बताया कि डेढ़ घंटे चली कोर्ट में बहस के दौरान उन्होंने हर चीज कोर्ट के सामने रख दी। वकील ने कहा कि चालान पेश हो चुका है और उसमें जो डॉक्यूमेंट लगे हैं वो डॉक्यूमेंट ही देवेंद्र बूड़िया को बेकसूर ठहराने में काफी हैं। 1912 पन्नों की चार्जशीट और 45 गवाह बनाए गए
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के पूर्व प्रधान देवेंद्र बूड़िया के खिलाफ हिसार कोर्ट में 26 अगस्त को चार्जशीट दायर की गई थी। पुलिस ने 1912 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में जमा करवाई और इसमें 45 गवाह बनाए थे। पुलिस ने चार्जशीट में दावा किया था कि देवेंद्र बूड़िया के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। चंडीगढ़ में जिस होटल में युवती से रेप हुआ, वहां की सीसीटीवी फुटेज से जुड़ी रिपोर्ट भी है। वहीं, जयपुर के फ्लैट में भी घटना वाले दिन युवती के साथ बूड़िया मौजूद थे। पुलिस ने कहा है कि सभी के साक्ष्य चार्जशीट में लगाए गए हैं। इतना ही नहीं युवती और देवेंद्र बूड़िया के मोबाइल फोन का डेटा भी पुलिस के पास है। युवती ने जो बातें पुलिस को बताई थीं, उसी के अनुसार पुलिस ने जांच के बाद यह चार्जशीट तैयार की। 24 जनवरी को दर्ज हुआ था रेप केस
देवेंद्र बूड़िया पर 24 जनवरी 2025 को हिसार के आदमपुर थाने में 20 वर्षीय युवती ने रेप केस दर्ज करवाया था। इसके बाद जून 2025 में राजस्थान के जोधपुर से हिसार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। हालांकि, तब बूड़िया के वकील पवन रापड़िया ने कहा था कि बूड़िया ने जांच में सहयोग के लिए सरेंडर किया है। इसके बाद हरियाणा के हिसार लाते समय बूड़िया की रास्ते में तबीयत खराब हो गई। देवेंद्र बूड़िया अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। इससे पहले पुलिस बूड़िया के पीए कल्पेश से भी पुलिस पूछताछ कर चुकी है। पीड़ित युवती ने FIR में ये आरोप लगाए… कुलदीप बिश्नोई और देवेंद्र बूड़िया का विवाद जानिए… विधायक पर बदतमीजी का आरोप लगाया
अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा का विवाद हरियाणा विधानसभा चुनाव-2024 के बाद हुआ था। महासभा के तत्कालीन संरक्षक कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर सीट से हार गए। इस दौरान तत्कालीन महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया सोशल मीडिया पर लाइव आए। उन्होंने कुलदीप के करीबी भाजपा विधायक रणधीर पनिहार पर बदतमीजी का आरोप लगाया। हालांकि, पनिहार ने इन आरोपों को नकार दिया। कुलदीप ने बूड़िया को पद से हटाया
इसके बाद कुलदीप बिश्नोई ने बूड़िया को अध्यक्ष पद से हटा दिया। कुलदीप ने परसराम बिश्नोई को नया अध्यक्ष बनाते हुए बूड़िया को समाज को तोड़ने वाला व्यक्ति बताया। इसके बाद बूड़िया ने जोधपुर में महासभा की बैठक की और कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाने का प्रस्ताव पास कर दिया। बूड़िया ने इसके लिए कुलदीप के छोटे बेटे चैतन्य के अंतरजातीय विवाह का हवाला दिया। बूड़िया ने कुलदीप से बिश्नोई रत्न सम्मान भी वापस लेने का ऐलान किया। कुलदीप ने संरक्षक पद छोड़ा
दिसंबर 2024 में कुलदीप ने 12 साल बाद महासभा के संरक्षक का पद छोड़ दिया। कुलदीप ने पद छोड़ने के पीछे निजी कारण बताए। इस्तीफा देते हुए कुलदीप ने कहा- ऐसे व्यक्ति को प्रधान बनाएं, जो नशा न करता हो। हालांकि, अभी तक चुनाव नहीं हो पाए।

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