पाथ ग्रुप पर छापा, अनिल अंबानी केस से जुड़ी लिंक:इंदौर में ईडी कर रही सर्चिंग; शक- दोनों कंपनियों ने की करोड़ों रुपए की हेराफेरी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार सुबह महू में पाथ इंडिया लिमिटेड (प्रकाश एस्फाल्टिंग एंड टोल हाईवेज इंडिया लिमिटेड) समूह पर छापा मारा है। ईडी की टीम पांच-छह गाड़ियों में महू स्थित पाथ के घर और दफ्तर पहुंची। जहां ईडी के अधिकारी दस्तावेज, कंप्यूटर और डिजिटल डिवाइस की जांच कर रहे है। सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी अनिल अंबानी से संबंधित बैंक लोन घोटाले की जांच का भी हिस्सा है। ईडी को इनपुट मिले थे कि अनिल अंबानी की एक कंपनी और पाथ ग्रुप के बीच कई निर्माण कार्यों को लेकर समझौते हुए हैं। ईडी को संदेह है कि इन समझौतों की आड़ में करोड़ों रुपए की राशि इधर-उधर की गई है। यह कार्रवाई पाथ ग्रुप के प्रबंध निदेशक (एमडी) नितिन अग्रवाल के आर्मी क्षेत्र में स्थित माल रोड के बंगले नंबर 76 पर की गई। ईडी के अधिकारी सुबह-सुबह यहां पहुंचे। बंगले का मुख्य द्वार बाहर से बंद कर दिया गया है और सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है। पाथ ग्रुप के एमडी नितिन अग्रवाल हैं, जबकि निपुण अग्रवाल, सक्षम अग्रवाल, नीति अग्रवाल और संतोष अग्रवाल डायरेक्टर के पद पर हैं। इसके अलावा आशीष अग्रवाल और आदित्य उपाध्याय इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हैं। इंडियन स्ट्रीट प्रीमियर लीग (ISPL) की मुंबई टीम में अमिताभ बच्चन के साथ पाथ इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर नीतिन अग्रवाल सह-मालिक के रूप में जुड़ी है। सेना के लिए लड़ाकू ड्रोन भी तैयार कर रही कंपनी
बता दें कि जहां ईडी ने कार्रवाई की है यह कंपनी सेना के लिए महू में लड़ाकू ड्रोन भी तैयार कर रही है। पाथ इंडिया लिमिटेड ने कानपुर आइआइटी (IIT Kanpur) की स्टार्टअप कंपनी वीयू डायनामिक के साथ महू की पाथ इंडिया लिमिटेड ने हाथ भी मिलाया है। इसके साथ ही पाथ इंडिया लिमिटेड पूरे देश में रोड बनाने का काम करता है। इनके देश में कई जगह पर टोल टैक्स भी है। आज सुबह रेड पड़ते ही ऑफिस की छुट्टी भी कर दी गई है। दस साल पहले आयकर विभाग का छापा पड़ा था
करीब दस साल पहले पाथ ग्रुप पर आयकर विभाग ने भी छापा मारा था। उस समय सामने आया था कि राजस्थान में एक हाईवे निर्माण परियोजना का ठेका अनिल अंबानी की कंपनी को मिला था, जिसे पाथ ग्रुप को पेटी कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर सौंपा गया। इस प्रोजेक्ट को लेकर दो अलग-अलग एग्रीमेंट बनाए गए थे। एक आधिकारिक और दूसरा गोपनीय। सूत्रों के अनुसार, इस गुप्त करार में यह प्रावधान था कि कंपनी को मिलने वाली अतिरिक्त राशि को अन्य कंपनियों के माध्यम से शिफ्ट किया जाएगा। आयकर विभाग की जांच में यह भी सामने आया था कि इस राशि को देशभर की अलग-अलग कंपनियों से ट्रांसफर किया गया और फिर यह पैसा दुबई के माध्यम से दोबारा भारत में लाया गया। इन लेन-देन से लाभ उठाने वाली कंपनियों के तार अनिल अंबानी के ग्रुप से जुड़े हुए पाए गए थे।

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