पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन:मिर्जापुर में बेटी के घर अंतिम सांस ली, काशी में होगा अंतिम संस्कार
शास्त्रीय गायक और पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार सुबह 4.15 बजे निधन हो गया। बेटी नम्रता मिश्रा ने बताया कि पिताजी मिर्जापुर में मेरे ही घर पर थे। उनका अंतिम संस्कार काशी में किया जाएगा। बीएचयू से छुट्टी मिलने के बाद स्वजन उनको लेकर के मिर्जापुर पहुंचे थे और रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया था, जहां उनकी जांच हुई थी। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजीव कुमार सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर पंकज कुमार पांडेय आदि के साथ उनका कुशलक्षेम जानने पहुंचे थे। चिकित्सकों ने शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का बीएचयू में चले इलाज व जांच रिपोर्ट को देखा। उन्होंने शास्त्रीय गायक के बेटी नम्रता मिश्रा को कुछ स्वास्थ्य संबंधी सुझाव दिए थे। साथ ही रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय के डॉक्टर के साथ मिलकर उनके इलाज के बारे में जानकारी ली थी। आजमगढ़ में हुआ था जन्म आजमगढ़ के हरिहरपुर में जन्मे छन्नूलाल पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को यूपी के आजमगढ़ स्थित हरिहरपुर में हुआ। उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। छन्नूलाल ने छह साल की उम्र में ही अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की बारीकियां सीखी। छन्नूलाल को 9 साल की उम्र में उनके पहले गुरु उस्ताद गनी अली साहब ने खयाल सिखाया। उन्होंने पहले अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्रा के साथ संगीत सीखा और तब किराना घराने के ‘उस्ताद अब्दुल गनी खान’ ने उन्हें शिक्षित किया। इसके बाद ठाकुर जयदेव सिंह ने उन्हें प्रशिक्षित किया। बिहार में सांगीतिक पढ़ाई, 4 दशक पहले वाराणसी आए पंडित छन्नूलाल को खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है। इनकी सांगीतिक शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई। करीब 4 दशक पहले पंडित छन्नूलाल वाराणसी चले आए। यहां अपनी संगीत साधना की धार को और तेज किया। ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती जैसी शास्त्रीय-लोक विधाओं के अनूठे संगम के लिए देश-विदेश में विख्यात हैं। मोदी के प्रस्तावक रहे पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित हुए पंडित छन्नूलाल मिश्र ने धर्म नगरी काशी को अपनी कर्मभूमि बनाया। उन्होंने यहीं रहकर शास्त्रीय संगीत में महारथ हासिल की। वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2010 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। फिर 2014 में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बने। वहीं 2020 में उन्हें पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया। खेले मसाने में होली… संगीत छन्नूलाल का शास्त्रीय संगीत से पं. छन्नूलाल मिश्र ने लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनका खेले मसाने में होली का गीत आज भी हर किसी की जुबां पर है।
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