दक्षिण हरियाणा में अब वर्चस्व की जंग:कांग्रेस अध्यक्ष बोले- अब अहीरवाल का माहौल बदलेगा; आरती बोलीं- यहां राव इंद्रजीत से बड़ा कोई नहीं

हरियाणा कांग्रेस ने अहीरवाल को साधने की कोशिश में राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी है। इससे दक्षिण हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में वर्चस्व की लड़ाई शुरू होती दिख रही है। राव नरेंद्र ने वीरवार को राव इंद्रजीत के गढ़ एवं गृह क्षेत्र रेवाड़ी से ही स्वागत कार्यक्रमों की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि अहीरवाल जिसके साथ रहा, उसकी सरकार बनी है। अब अहीरवाल के साथ पूरे हरियाणा में माहौल बदलेगा। उन्होंने एक तरह से इशारा करते हुए कहा कि अब राव इंद्रजीत की चुनौती यहां पर खत्म हो जाएगी। इस दावे का जवाब राव इंद्रजीत की बेटी एवं नायब सरकार की हेल्थ मिनिस्टर आरती राव ने पंचकूला में दिया। आरती बोलीं कि दक्षिण हरियाणा में राव इंद्रजीत से बड़ा कोई नेता नहीं है। यह सब जानते हैं। फिर कांग्रेस चाहे अपने प्रदेश अध्यक्ष को रखे या नहीं, कुछ फर्क नहीं पड़ता। इंद्रजीत ने जब कांग्रेस का हाथ छोड़ा, पार्टी दक्षिण में बेसहारा दिखी। राव इंद्रजीत 1977 से कांग्रेस में बड़ा अहीर चेहरा रहे। लगातार 4 दशक तक वो रामपुरा हाउस (राव इंद्रजीत का घर) सियासत का केंद्र रहा। राव ने प्रदेश की सियासत के अलावा केंद्र की राजनीति में दखल रखा। साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा थाम लिया। उसके बाद से कांग्रेस अहीरवाल में सीटों को तरस रही है। कुल मिलाकर रेवाड़ी सीट पर कैप्टन अजय यादव ही जमे रहे। हालांकि वो अहीरवाल में राव इंद्रजीत के कद को नहीं छू सके। 48 साल में पहली बार राव को चुनौती
राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1977 में हुई थी। अहीरवाल से आखिरी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष स्व. राव बंसी सिंह 1972-77 के बीच रहे। उनका राजनीतिक सफर शुरू होने के बाद कभी ऐसा मौका नहीं आया, जब उनके मुकाबले कांग्रेस या विपक्षी दल में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी यादव नेता को मिली हो। राव को अब विपक्ष से भी चुनौती
राव इंद्रजीत सिंह अभी तक पार्टी के भीतर ही विरोधियों से लड़ रहे थे। उन्हें अहीरवाल में BJP के ही मंत्री राव नरबीर का विरोध झेलना पड़ता था। मानेसर मेयर चुनाव में राव नरबीर उन्हें शिकस्त भी दे चुके हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री अभय सिंह यादव भी उन पर लगातार प्रहार करते रहे हैं। लेकिन अब राव इंद्रजीत सिंह को कांग्रेस से भी हमले झेलने पड़ेंगे। क्योंकि कांग्रेस ने अहीरवाल पर फोकस करते हुए ही राव नरेंद्र सिंह को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है। 3 प्वाइंट में समझिए सत्ता की जंग में अहीरवाल अहम क्यों.. राव के पिता की पार्टी से MLA बने नरेंद्र के पिता
राव नरेंद्र सिंह के पिता स्व. राव बंसी सिंह तीन बार विधायक रहे हैं। हरियाणा सरकार में वह विकास एवं पंचायत मंत्री भी रहे। राव नरेंद्र के पिता ने पहली बार 1972 में राव इंद्रजीत के पिता बीरेंद्र सिंह की विशाल हरियाणा पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। विशाल हरियाणा पार्टी का 1978 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गया था। फिर राव के भाई को हराया
दूसरी बार साल 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधायक निर्वाचित हुए। तीसरी बार 1991 में अटेली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुए। उस वक्त उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे एवं राव इंद्रजीत के भाई राव अजीत सिंह को पराजित किया था। इंद्रजीत व आरती लगातार कह रहे- अहीरवाल बनाता है सरकार
राव इंद्रजीत और आरती राव सार्वजनिक मंचों पर कहते रहे हैं कि भाजपा सरकार बनवाने में अहीरवाल की अहम भूमिका रही है। पिता-पुत्री ने तो यहां तक कहा कि साल 2024 में कोई नहीं कह रहा था कि भाजपा सत्ता में लौटेगी, तब हमने ही हवा बनाई और भाजपा की सत्ता में हैट्रिक लगी। राव इंद्रजीत ने यही बात CM नायब सैनी के मंच पर भी कही थी। साथ ही यह भी कहा था कि हमने सरकार बनवाई, हमारे काम भी होने चाहिए। तब सैनी ने जवाब दिया था कि यह 36 बिरादरी और पूरे हरियाणा की सरकार है।

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