कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप एमपी में बैन:तमिलनाडु में प्रतिबंधित हो चुकी है; इसी के पीने से छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत हुई

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। स्थानीय डाॅक्टर की सलाह पर बच्चों को कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) कफ सिरप देने की बात सामने आई है। मामले में 3 टीमें जांच में जुटी हैं। इस बीच तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) कफ सिरप और कंपनी के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सीएम मोहन यादव ने X पर पोस्ट कर ये जानकारी दी है। सीएम ने लिखा- आज सुबह जांच रिपोर्ट मिली
सीएम डॉ. मोहन यादव ने X पर लिखा- छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है। सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है। इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। आज सुबह जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया है। सिर्फ छिंदवाड़ा में ही सप्लाई होती थी कोल्ड्रिफ सिरप
खुलासा हुआ है कि जो सिरप सप्लाई की गई थी, उन्हें जबलपुर से भेजा गया था। हालात की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर कलेक्टर ने पहले ही COLDRIF SYRUP और Nastro- DS सिरप पर बैन लगा दिया था। छिंदवाड़ा में श्री सन फार्मा कंपनी के मैनेजर की डिमांड पर महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल से इस कफ सिरप की सप्लाई होती थी। खास बात यह है कि कोल्ड्रिफ सिरप के लिए पूरे महाकौशल में से सिर्फ छिंदवाड़ा से ही डिमांड आती थी। दूसरी ओर, मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि साल 2023 में डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर बताया था कि इस फाॅर्मूले की दवा 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद छिंदवाड़ा के डॉक्टरों द्वारा यह दवा लिखी गई। जिन 9 मासूमों की मौत हुई है, उनमें से 7 की उम्र 4 साल या उससे कम है। जबकि 2 अन्य बच्चे भी 5 साल के ही है। 660 सिरप मंगवाई, 594 छिंदवाड़ा भेजी गई
महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल ने सितंबर माह में चेन्नई की कंपनी श्री सन फार्मा से 660 कोल्ड्रिफ सिरप मंगवाई थी। जिसमें से 594 छिंदवाड़ा की तीन अलग-अलग मेडिकल शाॅप आयुष फार्मा, न्यू अपना फार्मा और जैन मेडिकल एवं जनरल स्टोर में सप्लाई की गई। बाकी 66 सिरप डीलर ने अपने ऑफिस में रख ली थी। ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर जबलपुर ड्रग इंस्पेक्टर (DI) शरद कुमार जैन ने शुक्रवार को नौदरा ब्रिज स्थित कटारिया फार्मास्यूटिकल ऑफिस में जांच की है। शरद कुमार जैन ने बताया कि श्री सन फार्मा कंपनी की डीलरशिप महाकौशल में सिर्फ एक ही है। इसी कंपनी की सिरप कोल्ड्रिफ मध्यप्रदेश में कहीं भी सप्लाई नहीं होती। छिंदवाड़ा में भी यह सिरप सिर्फ 3 मेडिकल शॉप पर ही भेजा जाता था। तीन टीमें कर रही हैं अलग-अलग जांच
9 बच्चों की मौत कैसे हुई? क्या कफ सिरप में ही गड़बड़ी थी? या फिर कुछ और वजह है, इसकी हकीकत जानने के लिए सेंट्रल से लेकर स्टेट और जिला स्तर की टीम अलग-अलग जांच कर रही है। CDSCO दिल्ली की टीम कफ सिरप की मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर जांच कर रही है। एक टीम चेन्नई में तो दूसरी छिंदवाड़ा में डेरा डाले हुए है। जबकि एक टीम स्टेट ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर बनी है। जिसमें डीआई शरद कुमार जैन (जबलपुर), देवेंद्र कुमार जैन (जबलपुर), स्वप्निल सिंह (बालाघाट), वैष्णवी तलवारे और गौरव शर्मा (छिंदवाड़ा) शामिल हैं। यह टीम 7 दिन के भीतर जांच कर अपनी रिपोर्ट भोपाल मुख्यालय में पेश करेगी। साथ ही छिंदवाड़ा सीएमएचओ के निर्देश पर बनी एक टीम यह पता लगा रही है कि सिरप को अभी तक कितने बच्चों ने उपयोग किया है। हर माह मंगवाते थे 500 से अधिक कोल्ड्रिफ
कटारिया फार्मास्यूटिकल के पास पिछले 20 सालों से श्री सन फार्मा चेन्नई की डीलरशिप है। जिसमें अलग-अलग तरह के सिरप मंगाए जाते हैं। छिंदवाड़ा में कंपनी के रिप्रेजेंटेटिव मैनेजर सतीष वर्मा है। उनके ऑर्डर पर ही कोल्ड्रिफ सिरप मंगवाकर भेजे जाते थे। इस बार भी कफ सिरप की डिमांड आई थी। जिसमें से कुछ सिरप भेजे गए हैं। बाकी के ऑफिस में रखे हैं। छिंदवाड़ा में कंपनी का ऑफिस भी खुला है। इस वजह से वहां से अधिक मांग इस सिरप की आती है। डीलर राजपाल कटारिया का कहना है कि आज तक कभी भी इस कंपनी के सिरप या फिर दवाएं से कभी भी किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। यह जांच का विषय है कि क्या वाकई में कफ सिरप पीने से ही बच्चों की हालत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई। 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित
डायरेक्टेड जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS), सेंटर ड्रग स्टैंडर्ड सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन के ड्रग कंट्रोलर ने 18 दिसंबर 2023 को सभी राज्यों को भेजे पत्र में लिखा था कि क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट आईपी 2एमजी प्लस फिनाइलेफ्राइन एचसीएल 5 एमजी ड्रॉप 4 साल से कम उम्र के बच्चों के यह सिरप नहीं दिया जा सकता है। इसे बनानी वाली फर्म को दवा के लेवल पर यह चेतावनी लिखनी होगी। केंद्र से लेकर राज्य की टीम मामले में एक्टिव
वहीं, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त टीम ने घटनास्थल का दौरा किया है। टीम ने राज्य के अफसरों के साथ मिलकर कफ सिरप समेत कुल 6 सैंपल लिए। जांच रिपोर्ट में इनमें से किसी भी सैंपल में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) नहीं पाया गया। इधर, राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने कुल 13 सैंपल कलेक्ट किए। इनमें से सिर्फ 3 सैंपल डीफ्रोस्ट (Defrost) सिरप, वॉक्स एमडीएस (Vox MDS) सिरप और आल्टो ई (Alto E) सिरप की रिपोर्ट सामने आई। जबकि अभी कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा-डीएस (Nexa-DS) के अलावा 8 और सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। राज्य और केंद्र की संयुक्त टीम गठित
एसएफडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को एक हाई-लेवल मीटिंग हुई है। जिसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के प्रतिनिधियों के साथ मध्यप्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग और राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) के अधिकारी मौजूद रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि बचे हुए 10 सैंपल की रिपोर्ट भी 3 से 4 दिन में सामने आ जाएगी। इस पूरे मामले की निगरानी के लिए एक संयुक्त टीम गठित की गई है। जिन 10 सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है, उनमें कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सा-डीएस (Nexa-DS) शामिल हैं। अधिकारियों को इनकी रिपोर्ट का इंतजार है। यह वो दो कफ सिरप हैं, जिन्हें प्रशासन ने बैन किया है और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों ने भी अपने पर्चे में लिखा है। बैठक में अधिकारियों ने यह भी तय किया है कि यदि इनकी रिपोर्ट नॉर्मल आई तो भी नए सिरे से प्रभावित इलाकों का सर्वे किया जाएगा। ताकि यह साफ किया जा सके कि बच्चों की किडनी फेल होने के पीछे जिम्मेदार व्हीकल इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाला केमिकल एथिलीन ग्लाइकॉल और डाईएथिलीन ग्लाइकॉल कहां से आया है। दवा विक्रेता ने कहा- अभी कुछ कहना जल्दबाजी
जबलपुर केमिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव चंद्रेश जैन का कहना है कि दवा जीवन रक्षक होती है। ऐसे में किसी दवा से मृत्यु होने का कारण आसानी से नहीं बताया जा सकता है। जिस सिरप को पीने से मौत होना चर्चा में है। इससे जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… 1. 9 बच्चों की मौत वाले कफ सिरप में 48% जहर ​​​​​​मप्र के छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत की वजह बताए जा रहे कफ सिरप में जहरीले केमिकल की मिलावट है, इसकी तमिलनाडु सरकार ने भी पुष्टि कर दी है। जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल की मिलावट है। ये एक जहरीला केमिकल है। पढ़ें पूरी खबर… 2. मौतें जारी हैं…किडनी फेल से फिर बच्चे की मौत छिंदवाड़ा में अज्ञात बीमारी से किडनी फेल होने के बाद एक और बच्चे की मौत हो गई। शनिवार को दीघावानी के विकास यदुवंशी (4) ने नागपुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रविवार दोपहर को उसका अंतिम संस्कार किया गया। पढ़ें पूरी खबर… 3. 6 बच्चों की मौत वाला सिरप तमिलनाडु-हिमाचल से आया छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 6 बच्चों की मौत के बाद कलेक्टर ने कोल्ड्रिफ (Coldrif) और नेक्सट्रो-डीएस (Nextro-DS) बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया। बच्चों की मौत के पीछे इन दोनों सिरप को जिम्मेदार माना जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर…

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