देवीलाल के पुराने साथी पहली बार सम्मान रैली से गायब:लालू-नीतीश और मुलायम की पार्टी से कोई नहीं आया; इनेलो की सफाई- गठबंधन की मजबूरियां

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की ओर से ताऊ देवीलाल की 112वीं जयंती पर इस बार रोहतक में किया गया प्रोग्राम कई मायनों में फीका रहा। इस बार मंच पर न तो ताऊ देवीलाल के पुराने साथी नजर आए और न उनकी पार्टियों के प्रतिनिधि। बिहार से लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की पार्टियों का कोई प्रतिनिधि रोहतक नहीं आया। लालू-नीतीश या उनके प्रतिनिधि ताऊ देवीलाल की जयंती पर होने वाले प्रोग्राम में शामिल होते रहे हैं। इस बार जम्मू-कश्मीर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूख अब्दुल्ला या उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी नहीं आए। अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के डिप्टी सीएम को भेजा। यूपी से भी पुराने जनता दल का कोई नेता नहीं पहुंचा और अजीत सिंह व मुलायम सिंह का परिवार कार्यक्रम से दूर रहा। रैली से पहले अभय चौटाला ने कहा था कि वह पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से रैली में आने पर बात करेंगे मगर धनखड़ नहीं आए। प्रमुख चेहरों की बात करें तो पंजाब से सिर्फ सुखबीर बादल पहुंचे। इनेलो को भी ऐसा कुछ होने की उम्मीद थी इसलिए अभय चौटाला ने रैली से एक दिन पहले ही कह दिया कि इस बार उन्हीं लोगों को बुलाया गया है, जिनसे पारिवारिक रिश्ता है और जो देवीलाल के आदर्शों को मानते हैं। जो पार्टियां BJP से जुड़ी हैं, उन्हें नहीं बुलाया गया। अभय का इशारा नीतीश और दिवंगत अजीत सिंह के बेटे और राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी की तरफ था। उधर इनेलो के कुछ नेताओं ने तर्क दिया कि बिहार चुनाव के कारण वहां के नेता समारोह में नहीं आ पाए। इस बार इनेलो ने सम्मान रैली रोहतक में रखी जो पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। बड़े नेताओं को बुलाता रहा है चौटाला परिवार
इनेलो हमेशा से चौधरी देवीलाल की जयंती (25 सितंबर) पर बड़ी रैली करती रही है। वह अपने इस कार्यक्रम को तीसरे मोर्चा का साझा मंच भी बताती रही है। इनेलो अपनी रैलियों में बिहार से नीतीश कुमार, राजद के तेजस्वी यादव, जनता दल यूनाइटेड के शरद यादव, महाराष्ट्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस के शरद पंवार, पंजाब से प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल, जम्मू-कश्मीर से फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, कर्नाटक से जनता दल सेक्यूलर के एचडी देवगौड़ा, पश्चिमी बंगाल से तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और वामपंथी नेता सीताराम येचुरी को न्योता देता रहा है। इनमें से ज्यादातर नेता या उनके प्रतिनिधि रैलियों में आते भी रहे। अब जानिए रैली में हुड्डा पिता-पुत्र क्यों निशाने पर रहे… जाट वोट बैंक पर नजर
ताऊ देवीलाल के परिवार का मूल आधार जाट वोट बैंक रहा है। देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के बाद यह वोटर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण कांग्रेस की तरफ खिसक गया। खासकर पुराना रोहतक, जिसमें सोनीपत जिला भी आता है, तो हुड्‌डा का गढ़ बन गया। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बार इनेलो ने जाट वोट बैंक को वापस अपनी तरफ करने के मकसद से ही रैली के लिए रोहतक की धरती चुनी। अभय चौटाला खुद हुड्डा के हलके गढ़ी-सांपला-किलोई में रैली का न्योता देने गए। कांग्रेस से ज्यादा हुड्डा पर निशाना
मंच पर अभय समेत चौटाला परिवार के सभी वक्ताओं ने कांग्रेस से ज्यादा हुड्डा पिता-पुत्र को कोसा। अभय ने कहा कि जब 1987 में चुनाव हुआ तो देवीलाल ने 85 सीट हासिल करते हुए कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। आज फिर वही हालात बन रहे हैं, अब फिर से कांग्रेस का सूपड़ा साफ करना होगा। जजपा पर कड़े प्रहार
अभय चौटाला ने अपने बड़े भाई, अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) को भी निशाने पर रखा। JJP के नाम में जननायक शब्द शामिल है और हरियाणा में इस शब्द का मतलब देवीलाल ही समझा जाता है। अभय ने कहा कि कुछ लोगों ने 2019 में चौधरी देवीलाल का नाम लेकर 10 सीटें जीतीं और चुनाव में भाजपा को जमुना पार भेजने की बात कही। चुनाव में हरियाणा की जनता ने भाजपा को 40 सीटों पर समेट दिया, लेकिन बाद में JJP ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। उसके बाद लोग JJP के खिलाफ हो गए। आज उनका नाम लेने वाला हरियाणा में कोई नहीं बचा। संपत मंच पर आए, पार्टी जॉइन करने का ऐलान नहीं
इनेलो रोहतक रैली से पहले, कई दिन से जिस तरह का प्रचार कर रही थी, उससे लग रहा था कि रैली में कई नेताओं को पार्टी ज्वाइन करवाकर धमाका किया जाएगा। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री संपत सिंह मंच पर नजर आए और खुद को देवीलाल का शिष्य बताया। संपत ने अभय चौटाला की दिलेरी की सराहना भी की, लेकिन कांग्रेस छोड़कर इनेलो में आने की घोषणा नहीं की। किन बड़े चेहरों की उम्मीद थी, जो नहीं आए… इधर, भाजपा की भी हुड्डा के गढ़ पर नजर
भाजपा का भी पूरा ध्यान रोहतक में संगठन को मजबूत करने पर लगा है। भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ को कैसे तोड़ा जाए? इसके लिए भाजपा की तरफ से रोजाना कोई न कोई मंत्री यहां पहुंचता है। सीएम नायब सैनी खुद एक माह में तीन-तीन बार रोहतक पहुंच रहे हैं। सितंबर महीने की ही बात करें तो सीएम सैनी 14 और 17 सितंबर को रोहतक पहुंचे और अब 1 अक्टूबर को फिर उनके यहां आने का प्रोग्राम है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी रोहतक का दौरा कर चुके। भाजपा नेता लगातार इस जुगत में हैं कि रोहतक की जनता को कैसे हुड्‌डा से तोड़कर अपने पक्ष में लाया जाए।

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