हमास ने कितने समझौते किए, कितने तोड़े? क्या सफल होगा गाजा प्लान? जानिए कैसा है पुराना ट्रैक रिकॉर्ड

हमास ने कितने समझौते किए, कितने तोड़े? क्या सफल होगा गाजा प्लान? जानिए कैसा है पुराना ट्रैक रिकॉर्ड

गाजा में शांति को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ताजा प्लान इन दिनों अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बना हुआ है. यह चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमास ने कई मुद्दों पर सहमति दी है. कई मुद्दों पर उसने आंशिक सहमति दी है. ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर पोस्ट में बताया है कि जैसे ही हमास पुष्टि कर देगा, युद्धविराम ‘तत्काल’ प्रभाव से लागू हो जाएगा. इसके साथ ही बंधकों और कैदियों का आदान-प्रदान शुरू हो जाएगा.

यह पहला मौका नहीं है जब हमास ने समझौता किया है. इससे पहले ग़ाज़ा-इजराइल समझौता और मेक्का समझौता में भी शामिल रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो चला है कि हमास का ऐसे मामलों में पहले का इतिहास कैसा रहा है? हमास ने कब-कब किससे समझौते किए और बाद में वह अपने समझौतों पर कितना टिका रहा?

39 साल का है हमास का सफर

हमास की स्थापना 1987 में हुई. इसके बाद से ही यह इस्लामवादी-फलस्तीनी संगठन, समय-समय पर विभिन्न पक्षों के साथ राजनीतिक समझौतों और युद्धविरामों में शामिल रहा है. इन समझौतों की प्रकृति अक्सर सामरिक रही. स्थायी समाधान कम, तत्काल दबाव कम करने या राजनीतिक लाभ पाने के लिए अधिक.

Hamas

हमास की स्थापना 1987 में हुई. फोटो: Getty Images

ओस्लो समझौते के बावजूद हिंसा जारी

1990 के दशक में ओस्लो समझौते (PLO-इजराइल) के समय हमास बाहरी रहा और सैद्धांतिक विरोध में रहा. उसने औपचारिक रूप से इन समझौतों को स्वीकार नहीं किया. इस चरण में समझौता-निष्क्रियता दिखी यानी समझौते के बाहर रहकर भी जमीनी राजनीति और हिंसक प्रतिरोध जारी रखा.

हुदना यानी अस्थायी संघर्ष-विराम

साल 2003 में फिलिस्तीनी गुटों के बीच एक अस्थायी हुदना की बात हुई जिसमें हमास ने भी कुछ समय के लिए हमलों पर रोक का संकेत दिया. परंतु जमीनी घटनाओं, लक्षित हत्याओं और प्रतिशोधी कार्रवाइयों के चलते यह विराम अल्पकालिक रहा. हमास की प्रतिबद्धता सीमित और परिस्थिति निर्भर दिखी. उकसावे या सैन्य दबाव बढ़ते ही पालन ढीला पड़ता गया.

साल 2006-2007 आंतरिक समझ और मेक्का समझौता

साल 2006 की बात है. हमास ने चुनाव जीता, साल 2007 में फ़तह के साथ मेक्का समझौता हुआ ताकि एकता सरकार बने. कागज़ पर सहमति के बावजूद जमीनी शक्ति-संघर्ष और सुरक्षा ढांचे पर असहमति के कारण समझौता टिक नहीं पाया. हमास ने ग़ज़ा में सत्ता हासिल कर ली, जबकि एकता-प्रतिबद्धताएं व्यवहार में टूट गईं.

साल 2008-2014 इजराइल के साथ युद्धविराम समझौता

ऑपरेशन कास्ट लीड (2008-09), पिलर ऑफ़ डिफ़ेन्स (2012) और प्रोटेक्टिव एज (2014) के बाद मिस्र-मध्यस्थित युद्धविराम हुए. इनका स्वरूप प्रायः दे-एस्केलेशन के नियम था. रॉकेट हमले रोकना बनाम नाकेबंदी में कुछ ढील या क्रॉसिंग्स पर जरूरी व्यवस्थाएं होना तय था. अल्पकालिक पालन दिखा, पर सीमाई झड़पें, लक्षित हमले और गैर-राज्य सशस्त्र समूहों की गतिविधियां बार-बार विराम को भंग करती रहीं. हमास प्रायः सार्वजनिक रूप से विराम का संकेत देता, पर प्रतिरोध का अधिकार बचाए रखता. नतीजे में पालन सशर्त और कई अंतरालों में टूटा.

Hamas Agreements History

कागज़ पर सहमति के बावजूद जमीनी शक्ति-संघर्ष और सुरक्षा ढांचे पर असहमति के कारण हमास का समझौता टिक नहीं पाया. फोटो: Getty Images

साल 2017 राजनीतिक दस्तावेज़

हमास ने एक दस्तावेज़ जारी कर 1967 सीमाओं के भीतर एक फ़लस्तीनी राज्य को अंतरिम सहमति के रूप में स्वीकार किया. हालांकि इजराइल को मान्यता नहीं दी. यह औपचारिक शांति समझौता नहीं, बल्कि स्थिति-परक लचीलापन था. वचनबद्धता की दृष्टि से, यह वक्तव्य-स्तर का बदलाव था; व्यवहार में रणनीति वैसी ही रही. शासन (गाजा) और सशस्त्र प्रतिरोध का दोहरा ट्रैक.

साल 2018-2019 गाजा-इजराइल समझौता

मिस्र, क़तर मध्यस्थता में बिजली, ईंधन और नकद सहायता के बदले तनाव घटाने की व्यवस्थाएं हुईं. सहमति भी बनी. हमास ने कई बार सीमा पर विरोधों को कम करने और रॉकेट फ़ायर घटाने का आश्वासन दिया लेकिन समझौते का आंशिक पालन किया. नतीजे में कुछ न कुछ छिटपुट घटनाएं होती रहीं.

साल 2021 युद्धविराम

मई 2021 में 11-दिवसीय संघर्ष के बाद मिस्र-मध्यस्थित सीज़फ़ायर हुआ. प्रारंभिक महीनों में तुलनात्मक शांति रही, पर बीच-बीच में रॉकेट/हवाई हमले होते रहे. यह दिखाता है कि हमास और अन्य गुटों के बीच नियंत्रण और अनुशासन पूर्ण नहीं था.

समझौते का लगातार हुआ उल्लंघन

7 अक्टूबर 2023 के हमलों के बाद व्यापक युद्ध छिड़ा. मानवीय विरामों के दौरान कैदी-बंधक अदला-बदली पर कुछ सीमित समझ बनी. यहां भी पालन मुख्यतः लेन-देन आधारित रहा, मानवीय सहायता, बंदियों की रिहाई, और संघर्षविराम तात्कालिक खिड़कियों तक सीमित रहा. कुछ न कुछ उल्लंघन लगातार होते रहे.

इस तरह कहा जा सकता है कि हमास के समझौते अक्सर सामरिक, अल्पकालिक और मध्यस्थ-परक रहे. इस संगठन ने सार्वजनिक घोषणाओं में लचीलापन दिखाया है, पर वैचारिक रेखा पर सख्त रहा. इजराइल की औपचारिक मान्यता से परहेज़ किया और लगातार प्रतिरोध भी सामने आता रहा है.

जब राजनीतिक/मानवीय प्रोत्साहन और क्षेत्रीय दबाव बाधा तो अनुपालन भी बढ़ा, लेकिन उकसावे, आंतरिक गुटबाजी या सैन्य गतिशीलता ने बार-बार समझौतों को तोड़ा. स्थापना के बाद से अब तक हमास की प्रवृत्ति रही है.

Us President Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

ट्रंप की क्या है योजना?

ट्रंप 20-सूत्रीय गाज़ा शांति योजना को उनके अपने कार्यालय ने सार्वजनिक किया है. योजना के मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार हैं.

  • तत्काल युद्धविराम.
  • 72 घंटे में सभी बंधकों (जीवित/अवशेष) की वापसी.
  • इसके बाद चरणबद्ध रूप से इज़राइली बलों की तैनाती में कमी.
  • मानवीय सहायता का बड़े पैमाने पर प्रवाह.
  • गाज़ा के लिए अस्थायी टेक्नोक्रेट शासन.
  • एक अंतरराष्ट्रीय बोर्ड ऑफ पीस द्वारा पर्यवेक्षण.
  • हमास का निरस्त्रीकरण व गाज़ा का पुनर्निर्माण व विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी व्यवस्था.

हमास ने क्या स्वीकार किया?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हमास ने सभी शेष इज़राइली बंधकों की रिहाई, गाज़ा प्रशासन को स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी तकनीक-विशेषज्ञों के एक अंतरिम, गैर-राजनीतिक निकाय को सौंपने तथा मानवीय सहायता का प्रवाह तेज करने पर सहमति जताई है. पूर्ण निरस्त्रीकरण, दीर्घकालिक सुरक्षा ढांचा, इज़राइली बलों की पूरी वापसी की समय-सीमा और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण की संरचना जैसे मुद्दों पर भी सहमति बनी है.

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