सुर्ख लाल, कांटे भी गायब… कैसा है प्रयागराज का ‘Top Secret Rose’, रूस और मिडिल ईस्ट हैं दीवाने

सुर्ख लाल, कांटे भी गायब… कैसा है प्रयागराज का ‘Top Secret Rose’, रूस और मिडिल ईस्ट हैं दीवाने

उत्तर प्रदेश में संगम की पावन भूमि प्रयागराज अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए विश्व विख्यात है. हाल में महाकुंभ के दौरान करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी, लेकिन इस ऐतिहासिक शहर की एक और पहचान है, वह पहचान है- शहर में होने वाले सुर्ख लाल गुलाब “टॉप सीक्रेट रोज” और उन गुलाबों की खासियत यह है कि उनमें कांटे नहीं होते हैं.

ये सुर्ख गुलाब न केवल अपनी खूबसूरती और खुशबू से लोगों का मन मोहते हैं, वरन स्थानीय किसानों को आर्थिक मजबूती प्रदान कर रहे हैं. इन गुलाबों का निर्यात रूस और मिडिल ईस्ट के देशों में किया जा रहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की साख भी बढ़ रही है.

धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी प्रयागराज कैसे गुलाब उत्पादन करने वाला शहर बन गया है. इसकी एक कहानी है, आइए जानें उस कहानी को, जिसने गुलाब उत्पादन के लिए प्रयागराज को दुनिया में अलग पहचान दी है.

“टॉप सीक्रेट रोज” बना सहारा

पिछले कुछ बरसों में लगातार मौसम के बदलते मिजाज से मौसम विज्ञानी और कृषि वैज्ञानिक ही नहीं, देश के किसान भी चिंतित और परेशान हैं. प्रयागराज के एक किसान ने मौसम की इस आंख मिचौली से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए एक ऐसा कदम उठाया कि आज वह जिले के किसानों के लिए रोल मॉडल बन गया है.

मौसम के अप्रत्याशित मिजाज से किसान अपनी परंपरागत फसलों का क्रॉपिंग पैटर्न बदलने को विवश है. किसान का झुकाव उस प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन पर गया है, जिसमें खेतों में नहीं, बल्कि पॉली हाउस और नेट हाउस में उत्पादन होता है.

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प्रयागराज के मेजा इलाके के हरवारी लखापुर गांव के किसान जिज्ञासु मिश्रा ने इसे अपनाकर एक ऐसी खेती की शुरुआत की, जो रातों-रात किसानों के लिए संजीवनी बन गई है.

फ्लोरीकल्चर के अनुभव से मिली नई उड़ान

किसान जिज्ञासु मिश्रा बताते हैं कि 12 साल तक कई देशों में जॉब करने के बाद जब उनका मन कही नहीं रमा तो वह अपने गृह नगर प्रयागराज वापस आ गए. उन्होंने ओमान, कतर, कुवैत की तेल कंपनियों में बतौर मैनेजर काम किया है.

मिडिल ईस्ट में फ्लोरीकल्चर के समृद्ध अनुभव को उन्होंने अपने पुश्तैनी खेतों में उतारना शुरू कर दिया, लेकिन मौसम के बदलते मिजाज से वह शुरू में सफल नहीं हुए. आखिर में पॉलीहाउस में टॉप सीक्रेट रोज की पौध लगाकर उसकी बागवानी शुरू की.

उन्होंने उद्यान विभाग की मदद से 4 पॉली हाउस और एक नेट हाउस बनाया है. इसमें तीन पॉली हाउस में वह केवल गुलाब की खेती करते हैं, गुलाब की प्रजाति “टॉप सीक्रेट” को उन्होंने प्रमुखता से लगाया है.

“टॉप सीक्रेट रोज” की विदेशों में क्यों बढ़ रही मांग

वह इसका रूस और मिडिल ईस्ट देशों में इसे वह निर्यात कर रहे हैं, जिससे वह लाखों कमा रहे हैं. जिज्ञासु बताते हैं कि साल में दो सीजन में वह ओमान, कतर, कुवैत और रूस में टॉप सीक्रेट गुलाब की खेप भेजते हैं. एक बार में 80 हजार से अधिक रोज स्टिक वह निर्यात कर रहे हैं. लगभग 800 मिलियन यू एस डॉलर का इन देशों में गुलाब का कुल बाजार है. जिज्ञासु की आमदनी इस बाजार में हर सीजन में आठ से दस लाख रुपए की है.

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जिज्ञासु मिश्रा का कहना है कि मिडिल ईस्ट और रूस में टॉप सीक्रेट रोज की सबसे ज्यादा मांग को देखते हुए उन्होंने इसका उत्पादन शुरू किया.

गुलाबों से कैसे अलग है टॉप सीक्रेट रोज

दरअसल टॉप सीक्रेट रोज एक हाइब्रिड टी रोज है, जो सुर्ख लाल रंग का चमकदार और सुगंधित पंखुड़ी वाला गुलाब है, जो गर्मी और ठंड-दोनों मौसम में फूल देता है. 90 से 120 दिन में पॉली हाउस में गुलाब का पौधा फूल देना शुरू कर देता है.

वह बताते हैं कि लंबे समय तक ताजा रहता है, इसलिए फूलों के गुलदस्ते बनाने में भी बहुत प्रयोग होता है. इसके अलावा क्रिसमस से लेकर वेलेंटाइन डे के बीच इसकी सर्वाधिक मांग रहती है.

स्थानीय किसानों को रास आया इनोवेशन

प्रयागराज के जो किसान, मौसम में अप्रत्याशित मिजाज से चिंतित और परेशान थे, उसे टॉप सीक्रेट रोज ने एक संजीवनी प्रदान की. चाका के किसान सीएल गौतम बताते हैं कि वह ड्रैगन फ्रूट और पाइन एप्पल खुले खेतों में उगाते थे, लेकिन बेमौसम बारिश और एक्सट्रीम तापमान से उनकी हर फसल खराब हो रही थी. जिज्ञासु मिश्रा के फार्मूले को उन्होंने भी आजमाया है. उन्होंने भी पॉली हाउस में फ्लोरीकल्चर शुरू किया है.

ड्रैगन फ्रूट भी अब इसी पॉली हाउस में वह उगाएंगे. इस समय जिले में 6 पॉली हाउस और 2 नेट हाउस में बागवानी की जा रही है. जिले में इसमें चार पॉली हाउस में फ्लोरी कल्चर और दो नेट हाउस में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी हो रही है. फ्लोरीकल्चर के अंतर्गत टॉप सीक्रेट गुलाब और डेजी फ्लॉवर्स की मांग सबसे अधिक होने की वजह से इन्हें ही किसान यहां वरीयता दे रहे हैं.

राज्य सरकार ने दिया साथ

राज्य सरकार ने क्रॉप प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी में समय के साथ बदलाव कर किसानों को प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन करने के लिए प्रोत्साहित कर पॉली हाउस और नेट हाउस में बागवानी और खेती के लिए प्रोत्साहित किया.

प्रयागराज के जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव बताते हैं कि इस समय जिले में 6 पॉली हाउस और 2 नेट हाउस में बागवानी की जा रही है. बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत इसमें सरकार 50 फीसदी सब्सिडी भी प्रदान कर रही है. जिले में इसमें चार पॉली हाउस में फ्लोरी कल्चर और दो नेट हाउस में ड्रैगन फ्रूट की बागवानी हो रही है.

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