सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गवई पर हमला करने वाले वकील के खिलाफ FIR की मांग, दिल्ली पुलिस को AIBA ने लिखा पत्र
ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (AIBA) ने दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा को पत्र लिखकर अधिवक्ता राकेश किशोर के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की मांग की है. आरोप है कि उन्होंने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया. कानूनी समुदाय और राष्ट्रीय नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की.
एआईबीए अध्यक्ष डॉ. आदिश सी. अग्रवाल ने अपने पत्र में कहा कि यह अभूतपूर्व घटना पूरी कानूनी बिरादरी को गहराई से विचलित करने वाली है. उन्होंने कहा कि इस मामले के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की की जाए.
सीजेआई के धैर्य की सराहना की
डॉ. अग्रवाल, जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं, ने कहा कि भारत के चीफ जस्टिस ने अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ न करके उदारता और संयम का परिचय दिया, किंतु यह कृत्य भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और इसके लिए पुलिस को तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है.
उन्होंने यह भी बताया कि इस घटना की निंदा देश के प्रधानमंत्री, केंद्रीय कानून मंत्री, सॉलिसिटर जनरल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा की गई है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अधिवक्ता राकेश किशोर को पहले ही निलंबित कर दिया है.
विष्णु पर टिप्पणी टालनी चाहिए थी: डॉ. अग्रवाल
घटना की पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह विवाद न्यायिक कार्यवाही के दौरान चीफ जस्टिस की एक टिप्पणी के गलत अर्थ निकालने से उत्पन्न हुआ. उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि भारत के माननीय चीफ जस्टिस द्वारा यह टिप्पणी करना आवश्यक नहीं था कि अब जाकर स्वयं भगवान से कहो कुछ करें. आप तो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो जाकर प्रार्थना करो. उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी देशभर में अनेक लोगों की भावनाओं को आहत करने वाली मानी गई. किंतु इसके बावजूद, अधिवक्ता राकेश किशोर का यह असभ्य और अनुचित आचरण किसी भी परिस्थिति में सहनीय नहीं है.
BNS के तहत पुलिस कार्रवाई की मांग
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि यह घटना थाना तिलक मार्ग के अधिकार क्षेत्र में हुई, और उन्होंने पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया कि वे इस संज्ञेय अपराध के लिए खुद ही एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दें. उन्होंने कहा कि पूरी न्यायालय कार्यवाही का वीडियो सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री के पास उपलब्ध है, जो घटना का प्रत्यक्ष सबूत है.
न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने का आह्वान
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमारे लोकतंत्र का सर्वोच्च न्याय मंदिर है. उसके मुख्य न्यायाधीश पर किया गया कोई भी आक्रमण न केवल एक व्यक्ति पर हमला है, बल्कि संपूर्ण न्यायिक व्यवस्था और विधि के शासन पर प्रहार है. उन्होंने आग्रह किया कि पुलिस को संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने और कानून व न्याय की सर्वोच्चता को फिर से स्थापित करने के लिए निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.
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