राघोपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में प्रशांत किशोर, ममता मॉडल पर जनसुराज की तैयारी तेज

राघोपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में प्रशांत किशोर, ममता मॉडल पर जनसुराज की तैयारी तेज

बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर राघोपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. जनसुराज ने राघोपुर सीट पर इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है. शनिवार (11 अक्टूबर) को पीके राघोपुर में कार्यकर्ताओं के साथ एक संवाद करेंगे. इसके बाद उनके उम्मीदवारी की घोषणा की जा सकती है. राघोपुर सीट से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वर्तमान में विधायक हैं.

जनसुराज के सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. अब बस औपचारिकताएं पूरी की जा रही है. राघोपुर सीट पर 6 नवंबर को मतदान प्रस्तावित है. 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी.

राघोपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी क्यों?

राघोपुर लालू परिवार का गढ़ माना जाता है. राजद सुप्रीमो लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव यहां से विधायकी जीतकर सदन पहुंच चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यहां से वर्तमान में विधायक हैं. तेजस्वी विपक्षी गठबंधन की तरफ से सीएम फेस भी हैं. ऐसे में पीके सीधी लड़ाई के जरिए तेजस्वी को घेरना चाहते हैं.

पीके ममता मॉडल पर काम कर रहे हैं. 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ खुद ममता मैदान में उतर गईं थीं. शुभेंदु नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ रहे थे. ममता भले शुभेंदु से चुनाव हार गईं, लेकिन शुभेंदु के सियासी असर को नाकाम करने में सफल रहीं. पीके ममता की तरह ही तेजस्वी को राघोपुर में ही घेर कर रखना चाहते हैं.

राघोपुर का जातीय समीकरण भी पीके के लिए मुफीद है. राघोपुर में राजपूत-पासवान करीब 25% है. इनमें 19 प्रतिशत राजपूत और 6 प्रतिशत पासवान हैं. इसके अलावा ब्राह्मण 3 प्रतिशत हैं. यादव यहां पर 32 प्रतिशत है. 12 प्रतिशत गैर पासवान दलित हैं. 28 प्रतिशत अन्य जाति हैं. सीधी लड़ाई में पीके यादव वर्सेज ऑल करना चाहते हैं.

चुनाव लड़ना पीके के लिए मजबूरी भी

प्रशांत किशोर जब सियासत में आए, तो चुनाव को लेकर उन्होंने खूब बातें की. नीतीश कुमार के चुनाव न लड़ने को लेकर भी उन्होंने कई टिप्पणी की. पीके हमेशा यह कहते रहे कि जो भी शख्स राजनीति में है, उनके लिए चुनाव लड़ना जरूरी है. 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार के चुनाव न लड़ने का भी मुद्दा विपक्षी पार्टियों ने बनाया था.

पीके अगर खुद चुनाव नहीं लड़ते हैं तो जनसुराज और उन पर सवाल उठेंगे. शुरू में ही मामला बैकफायर हो जाएगा. यही वजह है कि शुरू से पीके चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने राघोपुर या करगहर से चुनाव लड़ने की बात कही थी. करगहर से जनसुराज ने रितेश पांडेय को उम्मीदवार बनाया है.

राघोपुर सीट और उसका सियासी समीकरण

वैशाली जिले की राघोपुर सीट को यादव लैंड के नाम से भी जाना जाता है. पार्टी कोई भी हो, यहां साल 1980 से यादव समुदाय से आने वाले नेताओं को ही जीत मिलती रही है. 2010 का चुनाव छोड़ दिया जाए तो 1995 से इस सीट पर लालू परिवार का ही कब्जा है. इस सीट पर 32 प्रतिशत यादव समुदाय की आबादी है.

इसके बाद यहां ठाकुर और दलित समुदाय के लोग रहते हैं. राघोपुर सीट से जीतकर लालू यादव और राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं. इसलिए इसे हाईप्रोफाइल सीट भी कहा जाता है.

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