मेनोपॉज के बाद रहना है हेल्दी…एक्सपर्ट की बताई ये चीजें डाइट में शामिल करें महिलाएं
पीरियड्स शुरू होना जिस तरह से स्वाभाविक प्रक्रिया है ठीक उसी तरह से मेनोपॉज होना भी एक नेचुरल प्रोसेस ही है. अमूमन महिलाओं में 46 से 50 की उम्र में पीरियड्स बंद हो जाते हैं. इसे ही मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति कहा जाता है. इसके बाद सेहत का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है, क्योंकि मेनोपॉज के बाद कुदरती तौर पर ओवरी में फॉलिकल प्रोडक्शन खत्म हो जाता है और एस्ट्रोजन नामक हार्मोन भी कम होने लगता है. इसके शरीर में कई बदलाव आते हैं और नॉर्मल उम्र संबंधी समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं. इसलिए खानपान से लेकर फिजिकल एक्टिविटी, स्ट्रेस मैनेज करना जैसी चीजों का ध्यान रखा चाहिए. इस आर्टिकल में हम गायनोलॉजिस्ट से जानेंगे कि मेनोपॉज के क्या लक्षण हैं, इसके बाद कौन-कौन सी हेल्थ प्रॉब्लम होने लगती हैं और हेल्दी रहने के लिए महिलाओं को अपनी डाइट में क्या-क्या शामिल करना चाहिए.
मेनोपॉज होना कोई बीमारी नहीं होता है, बल्कि ये महिलाओं के शरीर में होने वाला एक सामान्य बदलाव है जो उम्र के साथ होता है. हालांकि इसके लक्षण अगर उम्र से पहले दिखें तो ध्यान देने की जरूरत है. इस फेज को बहुत ही समझदारी के साथ हैंडल करना चाहिए, जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाना, अपनी सेहत का ध्यान रखना, वेट मैनेजमेंट, आदि. चलिए इस बारे में विस्तार के साथ एक्सपर्ट से जान लेते हैं.
क्या है मेनोपॉज?
फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा की एडिशनल डायरेक्टर गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर नेहा गुप्ता कहती हैं कि महिलाओं में आम तौर पर, 46 से लेकर 50 साल की उम्र में मेनोपॉज होता है. कई बार महिलाएं
लगातार कई महीनों पीरियड्स नहीं होती हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उन्हें किसी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम है. उम्र के साथ ये मेनोपॉज फेज हो सकता है. आप इसके लक्षणों की पहचान कर सकती हैं और उसी के मुताबिक, इसे कैसे डील करना है, इसको लेकर पहले ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
प्री मेनोपॉज के क्या हैं लक्षण
एक्सपर्ट कहती हैं कि महिलाओं में मेनोपॉज स्टेज के आने से पहले प्री मेनोपॉज होता है. जिसमें पीरियड्स का अनियमित होना, कभी कम पीरियड आना तो कभी न आना. इसी तरह से धीरे-धीरे ये प्रक्रिया पूरी होती है और एक स्टेज पर जाकर पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं जो मेनोपॉज फेज कंप्लीट होना होता है. वहीं यह भी ध्यान रखना चाहिए कि महिलाओं में प्रेग्नेंसी की संभावना तब तक बनी रहती है, जब तक की पीरियड्स पूरी तरह से बंद न हो जाएं.
ये भी दिखते हैं लक्षण
मेनोपॉज फेज में और इसके कुछ समय के बाद तक शरीर में हॉट फ्लैशेज (अचानक से चेहरे और चेस्ट पर गर्मी महसूस होना) तेज पसीना आना, चेहरे पर रेडनेस होना, कभी-कभी घबराहट या सांस लेने में दिक्कत महसूस होना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. एक्सपर्ट कहती हैं कि जब पीरियड्स के बंद हो जाते हैं तो इसी के साथ धीरे-धीरे ये लक्षण कम होते हैं और फिर पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं यानी हेल्दी महसूस होने लगता है.

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मेनोपॉज से जुड़ी समस्याएं क्या हैं?
गायनोलॉजिस्ट डॉ नेहा गुप्ता के मुताबिक, मेनोपॉज फेज में महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर भी असर होता है. इस दौरान मूड में चिड़चिड़ापन, चिंता महसूस होना, नींद में कमी आना, कंसन्ट्रेट करने में दिक्कत, ज्यादा थकान महसूस होना, सिरदर्द और स्ट्रेस, डिप्रेशन हो सकता है. इसके अलावा वजाइना में ड्राइनेस होना, इंटीमेसी अट्रैक्शन में कमी या इस दौरान दर्द महसूस होना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसके अलावा महिलाओं में यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने की ज्यादा संभावना हो जाती है. मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर होना,
स्किन ज्यादा सेंसेटिव और ड्राई होने के साथ ही हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
शरीर का रखें ख्याल
गायनोलॉजिस्ट का कहना है कि मेनोपॉज के दौरान और इसके बाद महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो अपना ध्यान रखें. इसके लिए सही खानपान फॉलो करना. डेली रूटीन में योग या फिर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करना जैसी एक्टिविटीज के जरिए इस दौरान होने वाली समस्याओं में कमी लाई जा सकती है और आप अपने इस फेज में भी हैप्पी-हेल्दी रह सकती हैं.
महिलाएं कैसी रखें डाइट
एक्सपर्ट कहती हैं कि महिलाओं को इस दौरान ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी और रसभरी जैसी बेरीज को डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए, क्योंकि इसमें पोषक तत्वों के साथ ही एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो वेट को मैनेज करने में मदद करते हैं. इसके अलावा ब्रसेल्स स्प्राउट्स, सोया बीन्स, अलग-अलग तरह की फलियां, गोभी, कैल, जैसी अलग-अलग तरह की सब्जियों को अपनी डाइट में बढ़ा देना चाहिए. के साथ ही डाइट में विटामिन डी के साथ कैल्शियम रिच फूड्स को बढ़ाएं. इसके लिए आप अंडा, मछली, दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट का हिस्सा बना सकती हैं जो प्रोटीन, ओमेगा 3 से भी भरपूर हैं.

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डाइट से कम कर दें ये चीजें
मेनोपॉज एज में हैं तो अपनी डाइट से शुगर और नमक को कम कर दें. सीमित मात्रा में ही इनका सेवन करना सही रहता है. इसके अलावा सैचुरेटेड फैट कम ही लेना चाहिए यानी डीप फ्राई फूड्स, चिप्स, नमकीने आदि को अवॉइड करें या बहुत कम मात्रा में खाएं. इसकी जगह पर आप हेल्दी फैट्स को बढ़ा सकती हैं जैसे बादाम, अखरोट, हेजल नट, पाइन नट, पंपकिन सीड्स, सनफ्लावर सीड्स, अलसी के बीज आदि खाएं. अगर अल्कोहल लेती हैं तो इसका सेवन न करें या फिर बहुत कम कर दें. स्मोकिंग को भी बिल्कुल बंद कर देना चाहिए.
डॉक्टर से सलाह और टेस्ट
एक्सपर्ट का कहना है कि महिलाओं को अपने प्री मेनोपॉज के पहले ही कुछ जरूरी टेस्ट करवा लेना चाहिए जैसे एनीमिया का टेस्ट, ऑस्टियोपोरोसिस, डायबिटीज चेक करवाएं, साथ ही डिप्रेशन और एंग्जायटी के बारे में भी पता लगाना जरूरी होता है. मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग होना, ब्रेस्ट में गांठ महसूस होना, यूरिन लीकेज, हॉट फ्लैशेज की समस्या बनी रहना जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हो तो गायनोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए. कुछ दवाओं और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से इसे सही किया जा सकता है.
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