बिना हेलमेट लगाए इस गांव में नहीं रह सकते, घरों में गिर रहे बड़े-बड़े पत्थर; दिन-रात लगाने को मजबूर लोग

बिना हेलमेट लगाए इस गांव में नहीं रह सकते, घरों में गिर रहे बड़े-बड़े पत्थर; दिन-रात लगाने को मजबूर लोग

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के शंकरपुर महेवा गांव के लोग इन दिनों डर के साए में जी रहे हैं. यहां लोग घरों के अंदर भी हेलमेट लगाकर रहने को मजबूर है. इसकी वजह पत्थर तोड़ने वाली ब्लास्टिंग है, जिसके चलते लोगों के घरों में पत्थर के टुकड़े आ जाते है, और ग्रामीणों को सिर फूटने का डर सताता रहता है. यही वजह है कि इससे बचने के लिए लोग घर में हेलमेट लगाए हुए नजर आते है. जिस तरह से कोरोना के समय कोरोना को भगाने के लिए थाली बजाई गई थी. उसी तरह से इस समस्या को भगाने के लिए गांव वाले थाली बजा रहे है.

दरअसल, यह मामला त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के शंकरपुर महेवा गांव का है जहां पर क्रेशर मशीन पर्यावरण की धज्जियां तो उड़ा ही रही है. इन क्रेशर मशीनों से निकलने वाला धुआं क्षेत्र के लोगों को धूल के रूप में भी दूषित सांस लेने में मजबूर करा रहा है. क्रेशर के आसपास के इलाकों में होने वाली ब्लास्टिंग लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. ब्लास्टिंग से फूटकर आने वाले पत्थर लोगों के घरों में गिर रहे हैं. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि घरों में लंबी-लंबी दरारें आ गई हैं और कच्चे मकान गिर रहे हैं.

क्यों घरों में ही हेलमेट पहन रहे हैं लोग?

ग्रामीण ने कहा कि इसका प्रभाव न केवल इंसानों में बल्कि पशुओं तक में पहुंच रहा है, जहां अचानक तेजी से होने वाली ब्लास्टिंग से पशु भी डर रहे हैं. लगातार हो रहे प्रदूषण और ब्लास्टिंग से बचने के लिए अब इस क्षेत्र के लोग घर से हेलमेट पहन रहे हैं. लोगों का कहना है की डर इस बात का है कि कभी भी कोई भी पत्थर टूट कर सिर पर गिर सकता है, और कोई दुर्घटना हो सकती है. इसलिए यहां के लोग हेलमेट पहन रहे हैं. साथ में बच्चे भी अगर घर से बाहर पढ़ते हैं तो सिर में हेलमेट लगाकर ही पढ़ने जाते हैं. हालांकि स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं, और विरोध के लिए घरों के बाहर थालियां और बर्तन बजा रहे हैं. साथ में प्रशासन को जगाने की कोशिश कर रहे हैं.

थाली बजाकर कर रहे जागरूक

लोगों ने कहा कि जिस तरह कोरोना के समय में थाली बजाकर हमने उसे भगाया था, उसी तरह गांव के लोगों के लिए समस्या बने स्टोन क्रेशर को भी भगाने के लिए यह उपाय किया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो 6 माह बाद वह गांव ही छोड़ देंगे. वहीं इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि अभी इस मामले की जानकारी मिली है. इसकी जांच कराएंगे और जांच में जो भी बातें सामने आएंगी उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

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