बंगाल दुर्गा पूजा: मिस्र के पिरामिड, ममी और… इस पंडाल में दिखेगा मां दुर्गा का अनोखा रूप

बंगाल दुर्गा पूजा: मिस्र के पिरामिड, ममी और… इस पंडाल में दिखेगा मां दुर्गा का अनोखा रूप

महाषष्ठी के साथ बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत हो चुकी है. राज्य के विभिन्न इलाकों में थीम आधारित पूडा मंडपों में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं. पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट में इजिप्ट की सभ्यता का दर्शन हो रहा है. पिरामिड और ममी पूजा मंडप के विशेष आकर्षण के केंद्र हैं.

न केवल मिस्र की सभ्यता की दुर्गा पूजा, बल्कि महिषादल के शाही महल की नकल करने वाला एक पुराना मंडप भी बनाया गया है.

वहीं दूसरी ओर, घोषबाड़ी की तीन सौ साल पुरानी बनेड़ी बाड़ी की बनागी भी देखने मिल रही है. यानी इस घोषबाड़ी में एक ही परिसर में तीन अलग-अलग दुर्गा पूजाएं आयोजित की जा रही हैं.

महिषादल महल की थीम पर मंडप

इस साल, बशीरहाट अनुमंडल के ब्लॉक 1 में टाकी रोड के किनारे एक विशाल क्षेत्र में घोषबाड़ी पूजा एक नए अंदाज में दर्शकों को लुभा रहा है. घोषबाड़ी में पहले से ही साल भर कई कार्यक्रम और समाज सेवा के कार्य आयोजित होते रहते हैं. लेकिन इस साल की पूजा का अंदाज बिल्कुल अलग है. छह महीने की लंबी मेहनत के बाद दो पूजा मंडप बनाए गए हैं. इसके अलावा, एक पुराने ठाकुर भवन का भी जीर्णोद्धार किया गया है.

Durga Puja Bashirhat

घोषबाड़ी में प्रवेश करते ही आपको महिषादल महल दिखाई देगा. पूजा मंडप को प्लाई, लोहे और रंग-रोगन से हूबहू महिषादल महल जैसा बनाया गया है. थोड़ा आगे, 300 साल पुराने घोषबाड़ी की अपनी बानेडी पूजा दिखाई देती है और दो कदम चलने पर ही एक खास आश्चर्य दिखाई देता है, जहां मिस्र की सभ्यता की झलक दिखाई देती है.

मंडप में पिरामिड के साथ-साथ ममी भी

उस मंडप में पिरामिड, रेतीले रेगिस्तान, तूतनखामेन, ममी और क्लियोपेट्रा सहित मिस्र की सभ्यता देखी जा सकती है. पुरातत्वविदों को मिस्र के विभिन्न पिरामिडों से कई चित्र और मूर्तियां मिली हैं. ये दुर्गा की मूर्तियों जैसी थीं.

Durga Puja Egypt (1)

लगभग चार हजार साल पहले, जब मिस्र की सभ्यता अपने चरम पर थी, उस समय का दृश्य मंडप में दिखाया गया है. मंडप में प्रवेश करते ही आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी पिरामिड में प्रवेश कर गए हों. एक तरफ़, मिस्रवासियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सोने के आभूषणों के बक्से, चित्रलिपि फॉन्ट और विभिन्न जानवरों व देवी-देवताओं के चित्र हैं.

घोषबाड़ी परिसर में रोशनी, फव्वारे और रेस्टोरेंट भी हैं यानी, आगंतुक और पर्यटक, घोषबाड़ी में प्रवेश करते ही पूरी पूजा का आनंद ले सकेंगे.

घोषबाड़ी के सदस्य और आयोजक लाल्टू घोष ने कहा, ‘हम अपनी सभ्यता को फिर से लोगों तक पहुंचाने के लिए उत्सुक हैं.इस बार की थीम मिस्र की सभ्यता की दुर्गा पूजा है. छह महीने के लंबे प्रयास के बाद, हम बशीरहाट के लोगों को कुछ नई चीजें उपहार में देना चाहते हैं.’

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