ताइवान पर हमला कैसे करेगा चीन, रूस सीखा रहा है रणनीति, लीक हुई पूरी रिपोर्ट
रूस चीन की सेना को विशेष सैन्य ट्रेनिंग और उपकरण मुहैया करवा रहा है, जो विशेष रूप से हवाई घुसपैठ के लिए हैं. जानकारों का मानना है कि यह तैयारी ताइवान के नेतृत्व को अचानक खत्म के इरादे से हो रही है. यह हमला दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे खतरनाक समुद्री अभियान हो सकता है. ये जानकारी हाल ही में लीक हुई एक रिपोर्ट से पता चली है.
अमेरिका का मानना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को आदेश दिया है कि वे 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएं. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र लोकतंत्र कहता है. चीन लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है और समुद्री हमले के लिए तैयारी कर रहा है.
रूस से क्या सीख रहा है चीन?
ब्रिटिश थिंक टैंक RUSI (रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में रूस और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें रूस ने चीन को घुसपैठ के लिए जरूरी हथियार और तकनीकी मदद देने का वादा किया था. इस सौदे में हल्के वाहन, एंटी-टैंक गन, बख्तरबंद वाहन और मरम्मत की तकनीकें शामिल हैं.
रूस एक चीनी एयरबोर्न बटालियन को फुल साइकिल ट्रेनिंग भी दे रहा है. यह ऐसी बटालियन होती है, जो युद्ध क्षेत्र में एयरक्राफ्ट से दाखिल होते हैं, ये पैराशूट के साथ एयरक्राफ्ट से जंप लगाते हैं. चीन भले ही अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा हो, लेकिन उसके पास रूस जितना ताजा युद्ध अनुभव नहीं है. रूस को यूक्रेन युद्ध से काफी युद्ध का अनुभव मिला है, जबकि चीन ने पिछले 40 वर्षों में कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा.
ताइवान पर हमले की रणनीति क्या हो सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन हवाई रास्ते से ताइवान में घुसपैठ कर सकता है, जिससे वह ताइवान की समुद्री सुरक्षा को दरकिनार कर पाएगा. रूसी अनुभव के आधार पर, चीन ताइवान के मुख्य शहर ताइपे के हवाई अड्डों जैसे ताओयुआन और सोंगशान पर कब्जा करने की कोशिश कर सकता है. साथ ही, वह शहरी इलाकों में स्थित स्टेडियम और स्कूलों को भी इस्तेमाल कर सकता है.
ताइवान की सेना इस खतरे को समझती है और उसने पहले भी इन जगहों को अभ्यास का हिस्सा बनाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान को ऐसे शहरी और सपाट इलाकों की सुरक्षा मजबूत करनी चाहिए.
चीन-रूस की गहरी दोस्ती
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन और रूस के बीच रक्षा सहयोग काफी गहरा है. ये दोनों देश एक-दूसरे की ताकतों का फायदा उठाकर साझेदारी बढ़ा रहे हैं. रूस के लिए यह सौदा सिर्फ आर्थिक फायदा नहीं है, बल्कि चीन के साथ रिश्ते स्थायी करने का तरीका है.
इस रिपोर्ट पर ताइवान ने क्या कहा?
ताइवान ने इस नई जानकारी पर कहा है कि वह चीन-रूस के सैन्य सहयोग पर नजर बनाए हुए है, ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए हर कदम उठाएगा. उधर, चीन ने फिर दोहराया कि ताइवान का भविष्य चीन में शामिल होने में है, कोई भी ताकत इसे नहीं रोक सकती. इसका असर न सिर्फ ताइवान, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र और दुनिया की सुरक्षा पर पड़ सकता है. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए यह एक नई चुनौती बनकर उभरा है.
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