ट्रंप इजराइल-हमास सीजफायर के लिए मिडिल ईस्ट जाएंगे, मिस्र में 20 देशों के साथ मीटिंग करेंगे, क्या है एजेंडा?

ट्रंप इजराइल-हमास सीजफायर के लिए मिडिल ईस्ट जाएंगे, मिस्र में 20 देशों के साथ मीटिंग करेंगे, क्या है एजेंडा?

अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप रविवार को इजराइल और मिस्र की यात्रा पर निकल रहे हैं. इस दौरे का मकसद युद्धविराम और बंधकों की रिहाई डील को मजबूत करना है. 48 बंधकों की रिहाई सोमवार सुबह से शुरू हो सकती है. ट्रंप पहले इजराइल जाएंगे, जहां वे कनेसेट (इजराइल की संसद) को संबोधित करेंगे. 2008 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कनेसेट में संबोधन दिया था.

इसके बाद ट्रंप मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी के साथ शार्म अल-शेख में एक शांति सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. इसमें 20 से अधिक देशों के नेता शामिल होंगे और गाजा और पूरे मिडिल ईस्ट में शांति पर चर्चा करेंगे.

क्या है इस समझौते में?

समझौते के पहले चरण में हमास को 48 बंधकों को रिहा करना है, जिनमें लगभग 20 अब भी जिंदा माने जा रहे हैं. बदले में इजराइल भी 2 हजार फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ेगा. गाजा में मानवीय सहायता (खाद्य सामग्री, दवाएं) पहुंचाई जाएगी. इजराइली सेना को गाजा के कुछ प्रमुख शहरों से पीछे हटना होगा. शुक्रवार को इजराइली सेना ने कुछ इलाकों से अपनी सेनाएं हटाई हैं. इसके बाद 72 घंटे के भीतर हमास को बंधकों को छोड़ना है. ट्रंप को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया सोमवार या मंगलवार तक पूरी हो जाएगी.

क्या हैं चुनौतियां?

अभी तक यह साफ नहीं है कि गाजा में युद्ध के बाद शासन कौन करेगा. हमास के हथियार छोड़ने को लेकर भी कोई सहमति नहीं है. इजराइल कह चुका है कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो सैन्य कार्रवाई दोबारा शुरू की जा सकती है. गाजा बुरी तरह से तबाह हो चुका है और पुनर्निर्माण में सालों लग सकते हैं. गाजा के लोग भुखमरी और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं.

ट्रंप प्रशासन ने इजराइल में एक अमेरिकी-नेतृत्व वाला सहायता केंद्र बनाने की घोषणा की है, जो राहत सामग्री और सुरक्षा सहायता गाजा भेजने में मदद करेगा. इसके लिए 200 अमेरिकी सैनिकों को भेजा जाएगा.

ट्रंप की योजना क्या है?

ट्रंप चाहते हैं कि इस शांति समझौते के जरिए अब्राहम समझौते (Abraham Accords) को आगे बढ़ाया जाए. उनका लक्ष्य है कि सऊदी अरब और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देशों को भी इजराइल से संबंध सामान्य करने के लिए तैयार किया जाए. UAE, बहरीन और मोरक्को ने 5 साल पहले इजराइल को मान्यता देने वाले अब्राहम समझौते पर दस्तखत किए थे.

सऊदी अरब बहुत ताकतवर और अमीर देश है. अगर वह इजराइल से समझौता करता है, तो यह पूरे मध्य पूर्व को बदल सकता है और इजराइल को बड़ा फायदा मिलेगा. लेकिन यह आसान नहीं होगा, क्योंकि सऊदी अरब कह चुका है कि वह इजराइल को तब तक नहीं मानेगा जब तक इजराइल और फिलिस्तीन का झगड़ा पूरी तरह खत्म नहीं होता.

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