छोटी स्कर्ट पहने छात्राएं, लेगिंग नहीं… सत्यमेव स्कूल के ड्रेस कोड पर मचा बवाल, पैरेंट्स ने कहा- तुरंत वापस लें आदेश
अहमदाबाद के बोपल इलाके का प्रसिद्ध सत्यमेव इंटरनेशनल स्कूल हाल ही में एक बेहद असामान्य नियम लागू करने के बाद उपजे विवाद के कारण चर्चा का केंद्र बन गया है. अभिभावकों ने स्कूल संचालकों पर छात्रों के ड्रेस कोड को लेकर विवादास्पद और अनुचित नियम थोपने का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षा का केंद्र माने जाने वाले स्कूलों में बच्चों के सर्वांगीण विकास की बजाय उन पर जबरदस्ती नया ड्रेस कोड थोपा जाना सही नहीं है.
अभिभावकों के आरोपों के मुताबिक, सत्यमेव इंटरनेशनल स्कूल ने छात्राओं के लिए एक आदेश जारी किया है, जिसमें उन्हें छोटी स्कर्ट पहनने को कहा गया है. इससे भी ज़्यादा विवादास्पद बात यह है कि स्कूल ने स्कर्ट के नीचे लेगिंग न पहनने का साफ निर्देश दिया है. अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि स्कूल इतना विवादास्पद और गंभीर फैसला कैसे ले सकता है? ड्रेस कोड का मकसद छात्राओं में समानता और अनुशासन बनाए रखना है, लेकिन छात्राओं को लेगिंग जैसे पूरक और आरामदायक कपड़े न पहनने देने का आदेश अतार्किक और असंवेदनशील है. खासकर जब छोटी बच्चियां स्कर्ट में सहज नहीं होतीं या उन्हें गर्मी में अतिरिक्त सुरक्षा और आराम की ज़रूरत होती है, तो स्कूल का यह फैसला कैसे उचित माना जा सकता है?
नियम तोड़ने पर गंभीर सजा का आरोप
अभिभावकों का सबसे गंभीर आरोप यह है कि अगर कोई छात्रा स्कूल के इस नियम का उल्लंघन करती है और स्कर्ट के नीचे लेगिंग पहनती है, तो उसे सज़ा दी जाती है. आरोप है कि स्कूल प्रशासन छात्राओं को छोटी स्कर्ट पहनने के लिए मजबूर कर रहा है और लेगिंग पर प्रतिबंध लड़कियों के लिए एक तरह का असुरक्षित माहौल बना रहा है. ऐसे में यहां कुछ सवाल उठ रहे हैं.
अभिभावकों ने इस पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि स्कूलों को लेगिंग पहनने पर दंडित करने का अधिकार किसने दिया? लड़कियों की सुविधा, आराम और सुरक्षा की अनदेखी करते हुए सख्त ड्रेस कोड नियम लागू करना कितना उचित है? स्कूलों को सजा के डर के कारण लड़कियों पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए. हालांकि, स्कूल का काम शिक्षा प्रदान करना है, लेकिन इस तरह के नियमों के ज़रिए छात्राओं के पहनावे पर बेहद सख्त नियंत्रण लगाने की कोशिश से अभिभावकों में भारी रोष है. अभिभावकों ने सामूहिक रूप से इस फैसले का विरोध किया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है.
कानूनी लड़ाई की तैयारी
पूरा मामला सामने आने और विवाद बढ़ने के बाद, जब मीडिया और गुस्साए अभिभावकों ने सत्यमेव स्कूल के प्रशासकों से संपर्क किया, तो स्कूल प्रशासन गंभीर आरोपों पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. प्रशासकों की इस चुप्पी ने अभिभावकों के आरोपों को और बल दिया है. अभिभावक अब सिर्फ विरोध तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने इस पूरे मामले में क़ानूनी कार्रवाई करने की भी तैयारी की बात कही है. अभिभावकों ने मांग की है कि राज्य के शिक्षा विभाग और पुलिस व्यवस्था में आधिकारिक शिकायत दर्ज की जाए और स्कूल के ऐसे विवादास्पद और भेदभावपूर्ण फैसले की उचित जांच हो, ताकि छात्रों के हितों की रक्षा हो सके और उनके साथ अन्याय न हो.
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