छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: 48% विषाक्त पदार्थ था मिला, मंत्री बोले- कंपनी को नहीं दी थी क्लीनचिट
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से हुई 14 बच्चों की मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. विपक्ष लगातार मध्य प्रदेश सरकार पर हमला बोल रहा है. इस बीच प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दवा कंपनी को कभी क्लीनचिट नहीं दी गई थी और जैसे ही संदेह हुआ, तत्काल सैंपल जांच के लिए भेजे गए और दवा की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जांच में सिरप में 48% विषाक्त पदार्थ (toxic substances) पाए गए हैं. इसके बाद संबंधित दवा कंपनी पर कार्रवाई की गई है. वहीं जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से 11 परासिया, 2 छिंदवाड़ा और 1 चौरई क्षेत्र के हैं. प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई है. फिलहाल 8 बच्चे नागपुर के अस्पतालों में इलाजरत हैं, जिनमें चार सरकारी, तीन निजी और एक बच्चा एम्स में भर्ती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी जारी
मंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले में एक सरकारी डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है और सबसे बड़े स्टॉकिस्ट का गोदाम सील कर पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देने और पांच साल तक के बच्चों को विशेषज्ञ डॉक्टर की निगरानी में ही कफ सिरप देने के निर्देश जारी किए गए हैं.
तमिलनाडु की कंपनी पर गिरी गाज
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि जिस दवा कंपनी के उत्पाद से यह त्रासदी हुई, वह तमिलनाडु की एक फार्मा कंपनी है. राज्य सरकार ने इस कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और इस संबंध में पत्राचार भी किया गया है. कंपनी पर पूरी तरह शिकंजा कस लिया है. इस मामले का जो भी आरोपी होगा उसे सख्त सजा दी जाएगी. किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
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