क्रिप्टो या गोल्ड: 50 हजार करोड़ के मालिक ने किसे बताया असली ‘हीरो’, कौन है बुरे वक्त का साथी?
मौजूदा दौर में एक चर्चा ने काफी जोर पकड़ लिया है और वो है आखिर निवेश किसमें किया जाए. गोल्ड में या फिर क्रिप्टोकरेंसी में. गोल्ड में निवेश एक ट्रेडिशनल इंवेस्टमेंट की तरह है. वहीं क्रिप्टोकरेंसी एक मॉर्डन ऐरा का इंवेस्टमेंट असेट क्लास है. जिसने बीते करीब डेढ़ दशक में निवेशकों को कमाई कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वैसे मौजूदा साल में दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने निवेशकों को मात्र 30 फीसदी से ऊपर का मामूली रिटर्न दिया है. वहीं दूसरी ओर गोल्ड ने इंवेस्टर्स को 50 फीसदी से ज्यादा की कमाई कराई है. साथ ही बीते पांच साल में गोल्ड ने निवेशकों करीब 3 गुना से ज्यादा का रिटर्न दिया है. वहीं दूसरी ओर बिटकॉइन ने भी निवेशकों को 3 गुना का रिटर्न दिया है.
लेकिन सवाल ये है कि आखिर बुरे वक्त में निवेशकों का असली दोस्त कौन है? क्रिप्टोकरेंसी या फिर गोल्ड दोनों में से रियल हीरो कौन है? इन सवालों का जवाब जोहो फाउंडर और 50 हजार करोड़ रुपए के मालिक श्रीधर वेम्बू ने देने की कोशिश की है. उन्होंने बताया है कि आखिर दोनों में से उन्हें कौन सा असेट पसंद हैं? साथ ही वो क्यों उस असेट को पसंद करते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कहा है.
जोहो फाउंडर का किस पर विश्वास?
जोहो कॉर्पोरेशन के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने स्पष्ट कर दिया है कि लॉन्गटर्म वैल्यू के मामले में उनका रुख क्या है? खास बात तो ये है कि उनके लिए क्रिप्टोकरेंसी उस कैटेगिरी में नहीं है. सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर हाल ही में एक पोस्ट में, वेम्बू ने बताया कि उन्हें क्रिप्टो की तुलना में सोना ज़्यादा विश्वसनीय और टाइम टेस्टिड असेट लगता है. उनकी यह राय ऐसे समय में आई है जब डिजिटल करेंसीज और सोने जैसे ट्रेडिशनल असेट्स को लेकर बहस लगातार बढ़ रही है, खासकर बढ़ती महंगाई और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता देखने को मिल रही है.
I have long been in the “gold as insurance against currency debasement” camp, for over 25 years now. Over the long term, gold has held its purchasing power in terms of commodities like petroleum, and gold has held its own against broad stock market indexes. No, I am not pic.twitter.com/dyfnCFa7T6
— Sridhar Vembu (@svembu) October 12, 2025
क्या गोल्ड वैल्यू का एक विश्वसनीय भंडार है?
श्रीधर वेम्बू ने बताया कि उन्होंने हमेशा सोने को एक सुरक्षित संपत्ति माना है, खासकर ऐसे समय में जब करेंसीज का मूल्य कम हो रहा है. उन्होंने सोने को “गिरती करेंसी के मुकाबले में इंश्योरेंस” के रूप में परिभाषित किया है, जिसका अर्थ है कि जब महंगाई या खराब मॉनेटरी पॉलिसीज के कारण पेपर करेंसी की वैल्यू कम हो जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि सोने ने कई अन्य दीर्घकालिक निवेशों, जैसे सरकारी बॉन्ड या ट्रेजरी बिल, की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. उनके अनुसार, अस्थिर आर्थिक परिस्थितियों में भी, सोना समय के साथ अपनी क्रय शक्ति बनाए रखता है.
वह क्रिप्टो से क्यों बचते हैं?
हालांकि कई तकनीकी दिग्गजों ने क्रिप्टोकरेंसी को अपनाया है, श्रीधर वेम्बू अभी भी सतर्क हैं. उन्होंने खुलकर कहा कि उन्हें बिटकॉइन जैसी डिजिटल संपत्तियों में कभी दिलचस्पी नहीं रही. उनकी मुख्य चिंता यह है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत अप्रत्याशित होती हैं और जटिल सॉफ्टवेयर सिस्टम और सट्टा मूल्य पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं. अपनी एक पोस्ट में, उन्होंने टिप्पणी की कि पैसा इतना महत्वपूर्ण है कि इसे केंद्रीय बैंकों या सॉफ्टवेयर इंजीनियरों पर नहीं छोड़ा जा सकता.
भारत का सोने में पुराना और पक्का विश्वास!
श्रीधर वेम्बू के विचार भी लंबे समय से चली आ रही भारतीय मानसिकता से मिलते-जुलते हैं. भारतीय संस्कृति में, सोना केवल एक फाइनेंशियल असेट नहीं, बल्कि सुरक्षा और धन का प्रतीक है. परिवार अक्सर बचत के तौर पर सोना खरीदते और रखते हैं, खासकर अनिश्चित समय में. ग्लोबल लेवल पर सोने की कीमतें नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के साथ, ज़्यादा से ज़्यादा लोग एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में सोने की ओर रुख कर रहे हैं. श्रीधर वेम्बू का समर्थन इस पारंपरिक पसंद को और पुष्ट करता है.
ऐसे समय में जब फिनटेक तकनीकें फाइनेंशियल वर्ल्ड को नया रूप दे रही हैं, श्रीधर वेम्बू का सोने में विश्वास एक रूढ़िवादी लेकिन जमीनी दृष्टिकोण दर्शाता है. जबकि कई लोग डिजिटल ट्रेंड्स की ओर जा रहे हैं. उनका मैसेज साफ और स्पष्ट है, इस अनिश्चित दुनिया में, रियल वैल्यू अभी भी उस चीज में निहित है जिसे आप धारण कर सकते हैं.
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