कहीं आप भी तो 10 रुपये का नकली सिक्का लेकर नहीं घूम रहे? ऐसे करें असली की पहचान
दस रुपये के सिक्कों को लेकर अक्सर तरह-तरह की अफवाहें सुनने को मिलती हैं. इसी वजह से कई दुकानदार दस रुपये के सिक्के लेने से कतराने लगे हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अब तक कुल 14 अलग-अलग डिजाइन के दस रुपये के सिक्के बाजार में आ चुके हैं. केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर इन सभी डिजाइनों की पूरी जानकारी भी दे रखी है. फिर भी, जैसे ही नकली सिक्के चलने की कोई अफवाह उभरती है, दुकानदार और आम लोग सिक्के लेने से घबराने लगते हैं. कई बार लोग सिक्के की धारियों या रुपये के चिन्ह की जगह देखकर यह सोचने लगते हैं कि ये सिक्का असली है या नकली. तो आइए जानते हैं असली दस रुपये के सिक्के की पहचान का सबसे आसान और सही तरीका, ताकि आपको कभी भी इस बात को लेकर परेशानी न हो.
सिक्कों का डिज़ाइन बदलता रहता है
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साफ कहा है कि सिक्कों के डिज़ाइन और पैटर्न समय-समय पर बदलते रहते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि नया या अलग दिखने वाला सिक्का नकली है. उदाहरण के तौर पर 2009 में जारी किए गए 10 रुपये के सिक्कों में 15 धारियाँ थीं. बाद में 2011 में जारी सिक्कों में उन धारियों की संख्या घटा कर 10 कर दी गई और रुपये का चिन्ह 10 के ऊपर रखा गया. दोनों प्रकार के सिक्के वैध हैं. इसलिए सिर्फ किसी सिक्के के दिखने को देखकर उसे फर्जी समझना गलत है. RBI का कहना है कि बाजार में जो भी कानूनी 10 रुपये के सिक्के हैं, उन्हें लेन-देन में स्वीकार किया जाना चाहिए.
दुकानदार सिक्का लेने से इनकार करे तो करें ये काम
अगर कहीं दुकानदार आपके 10 रुपये का सिक्का लेने से मना कर दे तो घबराने की ज़रूरत नहीं. आप आराम से नज़दीकी बैंक जा सकते हैं और सिक्के की जांच करवा सकते हैं. बैंक संदिग्ध सिक्कों को RBI को भेज देता है. जांच में सिक्का असली निकले तो आपको वापस मिल जाएगा. अगर नकली निकला तो आगे की कानूनी प्रक्रिया चल सकती है.
कानून के अनुसार सभी बैंकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे वैध सिक्के स्वीकार करें और बदले में नोट दें. बिना वजह सिक्का न लेने वालों के खिलाफ IPC की धाराएं भी लागू हो सकती हैं. आमतौर पर रेलवे टिकट काउंटर, टोल प्लाज़ा, पोस्ट ऑफिस, सुपरमार्केट और मॉल जैसे स्थानों पर 10 रुपये के सिक्के बिना शक के स्वीकार किए जाते हैं.
10 रुपये का सिक्का बनाना बहुत मुश्किल
नकली सिक्का बनाना नोट की तरह आसान नहीं है. 2018 में मिली जानकारी के मुताबिक एक 10 रुपये का सिक्का बनाने की लागत तकरीबन 5.54 रुपये थी. आज कीमतें बढ़ चुकी होंगी, यानी सिक्का बनाने की लागत बढ़ना स्वाभाविक है. नकली सिक्का बनाने में जो खर्च और मेहनत लगेगी, वह अक्सर उस कारोबार के लिए फायदेमंद नहीं रहती.
साथ ही सिक्कों की फिनिशिंग और क्वालिटी की नकल करना मुश्किल होता है. नकली सिक्के अक्सर पुराने डिज़ाइन की नकल करने की कोशिश करते हैं, पर कोटिंग, किनारों की नाज़ुक धार और चमक जैसी चीज़ें असली जैसी नहीं रहतीं. इसलिए नकली सिक्कों का सामान्य तौर पर फैलाव कम ही होता है. फिर भी अगर आप 10 रुपये के सिक्के की असलियत जानना चाहते हैं, तो आप इन आसान तरीकों की मदद ले सकते हैं.
- वजन और धातु: 10 रुपये का सिक्का दो तरह की धातुओं से बना होता है. बाहरी हिस्सा ऐलुमिनियम-ब्रॉन्ज का और बीच का हिस्सा निकल-ब्रॉन्ज का होता है. नकली सिक्के का रंग फीका या असमान हो सकता है और वजन में भी फर्क नजर आएगा. असली सिक्का चमकदार और सटीक होता है.
- डिजाइन और नक्काशी: सिक्के पर अशोक स्तंभ और भारत व India लिखा होता है. दूसरी तरफ 10 रुपये और कोई खास निशान जैसे कमल का फूल हो सकता है. असली सिक्के के किनारों पर महीन रेखाएं होती हैं. नकली सिक्के की नक्काशी धुंधली या गलत हो सकती है.
- गिरने पर आवाज और चुंबक का टेस्ट: असली सिक्का गिराने पर साफ़ और धात्विक आवाज करता है, जबकि नकली सिक्के की आवाज खोखली होती है. असली सिक्का हल्का चुंबकीय होता है, चुंबक से हल्का आकर्षित होता है, नकली सिक्का या तो बहुत चिपकता है या बिलकुल नहीं.
- जानकारी के लिए नंबर: रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के सिक्कों की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 14440 जारी किया है. कॉल करके भी आप सिक्कों की पूरी जानकारी ले सकते हैं.
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