कर्नाटक में समय से पूरी नहीं हुई जातिगत जनगणना, बढ़ सकती है तारीख; स्कूलों की टाइमिंग में भी बदलाव
कर्नाटक में इस समय सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वे जिसे आम तौर पर ‘जाति जनगणना’ कहा जा रहा है, यह प्रक्रिया आज मंगलवार को खत्म हो रही थी. अब इसे आगे बढ़ाए जाने की संभावना है. राज्य की स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy) की ओर से जारी एक ज्ञापन के अनुसार, सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वे का समय आगे बढ़ाया जा सकता है.
शिक्षा विभाग ने दशहरा की छुट्टियों के बाद 8 अक्टूबर को स्कूल खुलने पर टीचर्स को सर्वे का काम पूरा करने का समय देने के लिए स्कूलों की टाइमिंग में अहम बदलाव किया है. ग्रेटर बेंगलुरु एरिया के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 8 से 24 अक्टूबर तक सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही कक्षाएं चलेंगी. जबकि इस अवधि के दौरान, सर्वे में शामिल गणनाकर्ता के रूप में नियुक्त टीचर्स स्कूल के समय के बाद सर्वेक्षण से जुड़े काम में शामिल होंगे और उसे पूरा करेंगे.
बेंगलुरु के साथ ही पूरे राज्य के टाइम में बदलाव
राज्य के अन्य हिस्सों में भी सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 8 से 12 अक्टूबर तक सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक कक्षाएं चलेंगी. 6 अक्टूबर के जारी ज्ञापन में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के एक पत्र का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया है कि सर्वे का काम पूरा करने के लिए और समय की जरूरत होगी.
इसमें आगे कहा गया कि स्कूल के समय में बदलाव का फैसला छात्रों के शैक्षणिक हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि मध्य-वार्षिक अवकाश (Mid-Year Vacations) के बाद सर्वे की वजह से कक्षाओं में किसी तरह का व्यवधान न हो. कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा कराया जा रहा यह सर्वे 22 सितंबर को शुरू हुआ था और इसे आज मंगलवार (7 अक्तूबर) को खत्म होना था.
सर्वेक्षण में 60 सवालों की प्रश्वावली
अधिकारियों का कहना है कि 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किए गए इस सर्वेक्षण में 60 सवालों वाली प्रश्नावली का उपयोग किया गया है और इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है. राज्य सरकार ने साल 2015 में एक पूर्व सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण पर 165.51 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था.
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