कर्ण का तर्पण, राम की कहानी… उत्सव में मृत्यु की दास्तान बता रहा कोलकाता का दुर्गा पूजा मंडप

कर्ण का तर्पण, राम की कहानी… उत्सव में मृत्यु की दास्तान बता रहा कोलकाता का दुर्गा पूजा मंडप

कोलकाता की दुर्गा पूजा विख्यात है. शनिवार को महापंचमी के साथ ही पूजा पंडालों में दर्शनियों की भीड़ उमड़ने लगी है. दक्षिण कोलकाता के नाकतला उदयन संघ का पूजा पंडाल आम लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. नाकतला उदयन संघ हर बार अपनी पूजा की थीम में एक नयापन लेकर आता है, इस बार भी यह कोई अपवाद नहीं था.

प्रकाश और अंधकार से घिरे मंडप के खुलते ही लोगों का तांता लग गया. इस बार नाकतला पूजा मंडप की थीम ‘तर्पण’ है. मंडप में विभिन्न कलात्मक कृतियों में सभी पौराणिक कथाओं को दर्शाया गया है.

यहां दुर्गा प्रतिमा के चेहरे पर एक अजीब सी शांति है. एक पौराणिक स्पर्श है. दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो दुर्गा प्रतिमा को शंख पर चित्रित किया गया हो.

तर्पण का बनाया गया है मंडप की थीम

इसे केवल कलात्मक कृतियों में ही दर्शाया गया है. मंडप के एक ओर पौराणिक कथा का वर्णन भी लिखा गया है. आगंतुक वहां कर्ण के तर्पण की कथा पढ़ सकते हैं. प्रत्येक कथा का महत्व और अर्थ भी लिखा गया है. मंडप की प्रकाश व्यवस्था भी देखने लायक है. थीम के डिजाइनर रिंटू दास हैं.

Tarpan

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के इन 15 दिनों में पितरों को तर्पण देने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मृत पूर्वज धरती पर लौट आते हैं. अगर उन्हें प्रसन्न किया जाए, तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

इसी विचार को ध्यान में रखते हुए नाकतला उदयन संघ द्वारा 39वें वर्ष दुर्गा मंडप को सजाया गया है. इस वर्ष उनका विषय ‘तर्पण’ है.

दीवारों पर महाभारत-रामायण की कथा

मंडप की आंतरिक साज-सज्जा में अगर आप एक बार पलक झपकाएं, तो आपको पितृ पक्ष, देवी पक्ष और कोशाकुश से टपकते जल का प्रतिबिंब कहीं दिखाई देगा.

Puja 3

मंडप की साज-सज्जा में शामिल विराजन कर्मकार ने बताया, “अनगिनत कोशाकुश से जल गिरेगा. शंख के माध्यम से प्रकाश डाला जाएगा. मंडप में स्वर्ग की ओर जाने वाली एक सर्पिल सीढ़ी भी स्थापित की गई है.”

विराजन ने यह भी कहा, “हम आत्मा को नहीं देख सकते. यहां, इसे धुएं की मदद से समझा जाएगा. यहां अनगिनत कौवे और रामायण-महाभारत की हस्तलिखित कहानियां हैं.

मंडप में दिखाया गया है तर्पण की परंपरा

विराजन कर्माकर कहते हैं, “बात यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि हम गंगा में तर्पण करते हैं, इसलिए मंडप में एक घाट की संरचना भी बनाई गई है.” उन्होंने आगे बताया, “श्मशान में आने वालों के तौलियों से लेकर मृतकों के नाम तक, मृत्यु से जुड़ी हर चीज यहा प्रदर्शित की गई है. पहले, जब किसी के माता-पिता की मृत्यु हो जाती थी, तो पुआल के बिस्तर पर सोने का रिवाज था. इसलिए यहाँ भी ऐसी ही व्यवस्था है.”

Puja 2

मंडप को 800 से ज्यादा कोशाकुशी, अनगिनत कपड़ों, तौलियों, रेशों, बांस और लोहे से सजाया गया है. मूर्ति का निर्माण कलाकार अमल पाल ने किया है.

नाकतला उदयन संघ का मंडप 25 सितंबर को खुला है. तब से आम लोग बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं. यह नाकतला कभी पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की पूजा के नाम से जाना जाता था. यह पूजा पूर्व मंत्री की देखरेख में आयोजित की जाती थी.पार्थ पिछले तीन सालों से जेल में हैं.

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