मध्यप्रदेश विधानसभा में VIT यूनिवर्सिटी को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय छात्रों से एडमिशन के समय एक अनिवार्य “कंसेंट बॉन्ड (सहमति पत्र)” भरवाता है, जिसके आधार पर संस्थान छात्रों का ब्लड और यूरिन सैंपल जब चाहे ले सकता है और उन्हें स्टोर भी कर सकता है। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने सदन में बॉन्ड की लाइन पढ़ते हुए बताया कि यह प्रक्रिया बिना वास्तविक सहमति के दबाव में और छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए की जाती है। हेमंत कटारे ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रवेश से पहले छात्रों को मजबूरन यह लिखकर देना पड़ता है कि, “I consent to permit the tracing doctor to collect and store blood, urine samples and also to disclose the result to VIT Bhopal if necessary.” (मैं सहमति देता/देती हूं कि ट्रेसिंग डॉक्टर मेरे रक्त और मूत्र के नमूने एकत्रित और संग्रहित कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर रिजल्ट VIT भोपाल को साझा कर सकते हैं।) कटाने कहा कि यह वही संस्थान है, जहां पर बजरंग बली का नाम लिया जाता है, तो कार्रवाई की जाती है। 5 हजार रुपए का फाइन लगाया जाता है और दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। छात्रों को मेडिकल टेस्ट देने के लिए मजबूर किया जाता है
कटारे ने आरोप लगाया कि बिना सरकारी अनुमति का फर्जी क्लिनिक विश्वविद्यालय के अंदर संचालित हो रहा है। CMHO को परिसर में दो घंटे तक अंदर प्रवेश नहीं दिया गया, जो शासकीय कार्य में बाधा है। छात्रों को जब चाहे मेडिकल टेस्ट देने के लिए बाध्य किया जाता है। छात्र आंदोलन की जड़ में दूषित पानी, खराब भोजन
कटारे और अन्य विधायकों ने बताया कि पेयजल के 18 सैंपलों में से 4 में बैक्टीरिया पाए गए। स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें महीनों तक लंबित रहीं। छात्रों पर हजारों FIR दर्ज कर दी गईं। यह सब मिलकर छात्रों में भारी नाराजगी का कारण बना, जिसके चलते हजारों छात्र सड़कों पर आ गए। बोले- जांच होगी, दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा- विश्वविद्यालय को धारा 41(1) के तहत नोटिस जारी किया गया है। 7 दिन बाद धारा 41(2) के तहत कठोर कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें विश्वविद्यालय को सरकारी नियंत्रण में लेना शामिल है। इस पर हेमंत कटारे ने कहा- 3 हजार बच्चों का भविष्य बर्बाद न हो, इसलिए छात्र हित में उस एफआईआर को या तो निरस्त किया जाए या वापस लिया जाए। इस पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा- मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि एक भी छात्र का भविष्य खराब नहीं होगा, क्योंकि यह विश्वविद्यालय के प्रबंधन के कारण समस्या पैदा हुई है, छात्रों के कारण नहीं हुई है। बजरंगबली को नाम लिया तो फाइन लगा दिया
कटारे ने कहा कि यहां पर बजरंग बली का नाम लिया जाता है, तो 5 हजार रुपए का फाइन लगाया जाता है। दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। 8 जुलाई 2022 को यहां के छात्रों ने बजरंग बली के नाम का स्मरण किया और उन पर दंडात्मक एक्शन लिया गया था। कैलाश विजयवर्गीय मोदी राज और डॉ. मोहन राज के बारे में बता रहे थे, तो शायद राम राज्य की ऐसी कल्पना हम कभी नहीं कर सकते, जहां हनुमान जी का नाम लेने पर ऐसी कार्रवाई हो। मैंने तो देश में ऐसा कभी नहीं देखा है। इससे बड़ा दुर्भाग्य हो नहीं सकता है। मंत्री बोले- यहां की लगातार शिकायतें मिल रही थीं
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि यह बात सही है कि यहां की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। उसके कारण लंबे समय से बच्चों में एक बड़ा आक्रोश बन गया था। बाहर का व्यक्ति सामान्य परिस्थिति में वहां जा नहीं सकता। पहले एक घटना हुई थी, उस समय भी कार्रवाई की गई थी इस बार की घटना को लेकर कलेक्टर और एसपी से मेरी खुद की बात हुई। हमारे एसीएस की बात हुई और हमने उन्हें इनवॉल्व किया। क्योंकि समिति को भी वहां जाने में मुश्किल पैदा की गई है। समिति की पूरी विस्तृत रिपोर्ट है जो सबके सामने सार्वजनिक हो चुकी है। व्यवस्था चरमराई इसलिए सख्त कदम उठाने पर मजबूर हुए
परमार ने कहा- यह बात सही है कि वहां पर जो व्यवस्था है, वह मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं थी। इसलिए हम सख्त कदम उठाने पर मजबूर हुए। क्योंकि जैसे ही कमेटी की रिपोर्ट आई, हमने तत्काल मुख्यमंत्री जी से बात की और उसी दिन फैसला किया था कि इसके आधार पर हमें आगे कार्रवाई करनी चाहिए ताकि प्रबंधन को भी समझ में आ जाए। क्योंकि जिला प्रशासन भी इनवॉल्व है। कलेक्टर, एसपी भी इनवॉल्व हैं। उन्होंने सीएमएचओ को भेजने का काम उन्होंने किया था। अगर उनको ऐसा लगता है कि उन पर शासकीय कार्य में बाधा की कार्रवाई होनी चाहिए तो सीएचएमओ को खुद और कलेक्टर को मिलकर के कराना चाहिए था। मुझे लगता है कि शायद वह कार्रवाई नहीं की गई है। हम एक बार कलेक्टर से आग्रह करके, उसके लिए भी कहेंगे कि इनकी ओर से भी शासकीय कार्य में जो बाधा उत्पन्न की गई है, उसको लेकर भी वहां के प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस विधायक बोले- मामले की मजिस्ट्रियल जांच हो
महिदपुर से कांग्रेस विधायक दिनेश जैन (बोस) ने कहा कि इस पर जांच कब तक होगी ? कितने दिनों में हम लोगों को न्याय मिलेगा। इसमें हम चाहते हैं कि मजिस्ट्रियल जांच हो और विद्यार्थियों को न्याय मिले। हमारी छवि भी खराब न हो। इस तरह की कानूनी कार्रवाई हो कि अच्छा संदेश जाए। क्योंकि मध्यप्रदेश में पूरे देश के कोने-कोने से विद्यार्थी आते हैं। नहीं तो हमारे राज्य का नाम खराब हो जाएगा। विद्यार्थियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण वापस लिए जाएं। 4 हजार स्टूडेंट्स ने की थी आगजनी-तोड़फोड़ दरअसल, वीआईटी यूनिवर्सिटी में 25 नवंबर की रात हालात अचानक बेकाबू हो गए थे। करीब 4 हजार छात्र कॉलेज परिसर में जमा हो गए और देखते ही देखते बसें और गाड़ियां आग की लपटों में घिर गईं। कई वाहनों के शीशे चकनाचूर हो गए, एम्बुलेंस में तोड़फोड़ हुई और परिसर में अफरा-तफरी मची रही। गुस्साए छात्रों के हंगामे को काबू करने के लिए 5 थानों की पुलिस को एक साथ मैदान में उतरना पड़ा था। इससे जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… VIT यूनिवर्सिटी को नोटिस, 7 दिन में मांगा जवाब:सरकार ने दी कार्रवाई की चेतावनी; जांच रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं मिलीं घटिया खाने के विरोध पर चांटे पड़े, लगा दी आग:VIT में दूसरे दिन भी बवाल, बस और बाइक जलाईं, तोड़फोड़; कैंपस में पैरामिलिट्री तैनात वीआईटी कॉलेज में 2 हजार छात्रों का हंगामा, VIDEO:बोले- गर्मी में पीने का पानी तक नहीं मिल रहा; कॉलेज ने परीक्षा स्थगित की
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