Supplementary vs Compartment Exam: कंपार्टमेंट और सप्लीमेंट्री एग्जाम में क्या है फर्क? क्या दोनों परीक्षाएं अलग-अलग हैं!

Supplementary vs Compartment Exam: कंपार्टमेंट और सप्लीमेंट्री एग्जाम में क्या है फर्क? क्या दोनों परीक्षाएं अलग-अलग हैं!

Supplementary vs Compartment Exam: आपने कंपार्टमेंट परीक्षा नाम सुना होगा. वहीं सप्लीमेंट्री एग्जाम का नाम भी सुना होगा. सीबीएसई समेत अन्य राज्य शैक्षणिक बोर्ड की तरफ से इन परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है. ऐसे में सवाल आता है कि क्या कंपार्टमेंट परीक्षा और सप्लीमेंट्री एग्जाम अलग-अलग हैं? अगर एक ही हैं तो क्यों दो नाम क्यों हैं? समझेंगे कि कैसे सप्लीमेंट्री एग्जाम ज्यादा प्रयोग हाेने लगा है और इसके पीछे की कहानी क्या है.

दोनों परीक्षा में क्या अलग हैं?

कंपार्टमेंट और सप्लीमेंट्री परीक्षा में कोई फर्क नहीं है. दोनों की प्रक्रिया बिल्कुल एक जैसी है. हालांकि सीबीएसई पिछले कुछ सालों तक कंपार्टमेंट परीक्षा का आयोजन करता था, अब सप्लीमेंट्री परीक्षा का आयोजन किया जाता है. कुल जमा समझें तो सीबीएसई ने कंपार्टमेंट परीक्षा का नाम बदलकर सप्लीमेंट्री एग्जाम कर दिया है.

कौन दे सकेगा सप्लीमेंट्री एग्जाम?

सीबीएसई के नए नियमों के बाद से साल 2023 से ‘कंपार्टमेंट’ और ‘इंप्रूवमेंट ऑफ परफॉर्मेंस’ जैसी श्रेणियों के सभी छात्र हर साल मुख्य परीक्षा के बाद होने वाली ‘सप्लीमेंट्री परीक्षा’ में शामिल हो रहे हैं. यानी, अगर कोई छात्र पहले कंपार्टमेंट परीक्षा की तैयारी कर रहा था, तो अब वही परीक्षा सप्लीमेंट्री नाम से होगी. काम और प्रक्रिया दोनों पहले जैसे ही रहेंगे.

क्यों किया गया बदलाव?

सीबीएसई ने यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) को ध्यान में रखते हुए लिया है. बोर्ड के मुताबिक, नाम बदलने से छात्रों पर कंपार्टमेंट शब्द से जुड़ा मानसिक दबाव कम होगा. नया नाम सप्लीमेंट्री छात्रों को ज्यादा पॉजिटिव और ईजी लगेगा.

कब लिया गया था फैसला

यह प्रस्ताव 2 दिसंबर 2022 को हुई परीक्षा समिति की बैठक में रखा गया था. इसके बाद 28 दिसंबर 2022 को बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने इसे मंजूरी दी. इसके अनुसार, 2023 से इस परीक्षा को आधिकारिक तौर पर सप्लीमेंट्री परीक्षा कहा जाने लगा.

छात्रों को इससे राहत

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बदलाव छात्रों के तनाव को कम करने की दिशा में अहम कदम है. पहले कंपार्टमेंट शब्द सुनकर छात्रों और अभिभावकों को असफलता की भावना आती थी, लेकिन सप्लीमेंट्री शब्द ज्यादा सहज और सकारात्मक है. नई शिक्षा नीति इसी दिशा में छात्रों पर दबाव कम करने और उन्हें बेहतर विकल्प देने पर जोर दे रही है.

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