Stomach Ulcer: अल्सर की बीमारी क्यों होती है? क्या हैं शुरुआती लक्षण?

Stomach Ulcer: अल्सर की बीमारी क्यों होती है? क्या हैं शुरुआती लक्षण?

Stomach Ulcer: अल्सर एक ऐसी स्थिति है जिसमें पेट या आंत की अंदरूनी परत पर घाव या चोट बन जाती है. यह अक्सर पेट (गैस्ट्रिक अल्सर) या छोटी आंत (डुओडेनल अल्सर) में होता है. अल्सर सिर्फ असुविधा पैदा नहीं करता, बल्कि अगर समय पर इलाज न किया जाए तो गंभीर परेशानियां जैसे ब्लीडिंग, छेद या संक्रमण भी हो सकते हैं. जो लोग लंबे समय तक दवा, शराब, अधिक मसालेदार भोजन, तनाव या हानिकारक बैक्टीरिया (Helicobacter pylori) के संपर्क में रहते हैं, उनके लिए अल्सर खतरनाक हो सकता है. खासकर उम्रदराज़ लोग और पहले से पेट की समस्या वाले मरीज अल्सर के ज्यादा जोखिम में रहते हैं. समय पर पहचान और इलाज से अल्सर से होने वाले गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है.

अल्सर ज्यादातर तब होता है जब पेट या आंत में एसिड बहुत बढ़ जाता है या उनकी अंदरूनी परत कमजोर हो जाती है. Helicobacter pylori बैक्टीरिया संक्रमण अल्सर का सबसे आम कारण है. इसके अलावा लगातार पैन किलर दवाओं का उपयोग, तनाव, धूम्रपान, शराब, अस्वस्थ भोजन और खराब लाइफस्टाइल भी अल्सर को जन्म देते हैं. कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों की वजह से भी अल्सर का खतरा बढ़ जाता है. अगर शरीर में एसिड और पेट की परत के बीच संतुलन बिगड़ जाए, तो छोटी चोटें धीरे-धीरे घाव में बदल सकती हैं.

अल्सर के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

दिल्ली में वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. कमलजीत सिंह कैंथ बताते हैं कि अल्सर की शुरुआत अक्सर हल्के लक्षणों से होती है. सबसे आम शुरुआती लक्षण हैं पेट में जलन, खाना खाने के बाद भारीपन या दर्द, भूख कम लगना, उल्टी या जी मिचलाना. कुछ लोग खाने के बाद गैस या एसिड रिफ्लक्स का अनुभव भी करते हैं.

गंभीर लक्षण में लगातार पेट दर्द, ब्लैक स्टूल या खून आना, बार-बार उल्टी, वजन घटना और कमजोरी शामिल हैं. अगर ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. अल्सर को नजरअंदाज करने पर घाव बढ़ सकता है और पेट या आंत में छेद, भीतरी ब्लीडिंग और गंभीर संक्रमण जैसी स्थितियां हो सकती हैं. समय पर जांच और इलाज से इन्हें रोका जा सकता है.

कैसे करें बचाव?

मसालेदार और तैलीय भोजन कम करें.

हेल्दी भोजन लें और भूख लगने पर खाएं.

शराब, धूम्रपान और अत्यधिक कैफीन से बचें.

पैन किलर दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें.

तनाव कम करने के लिए योग, मेडिटेशन या वॉक करें.

पेट या आंत में लगातार दर्द महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं.

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