SIP Plan: 50 की उम्र तक कैसे बनाएं 5 करोड़ का फंड, यहां जानिए सिम्पल इवेंस्टमेंट प्लान
हममें से ज़्यादातर लोग एक आम गलती करते हैं. रिटायरमेंट की तैयारी नहीं करना. वजहें कई हो सकती हैं. करियर की शुरुआत में कम सैलरी, काम का बोझ या फिर निवेश की जानकारी की कमी. निवेश गुरुओं का मानना है कि निवेश में सबसे ज़रूरी है शुरुआत करना और उसके बाद है धैर्य रखना. इन्हीं दोनों चीज़ों का नतीजा है सफलता. मशहूर निवेशक वॉरेन बफे भी यही कहते हैं कि समय और धैर्य से ही कॉम्पाउंडिंग का जादू काम करता है और असली संपत्ति बनती है.
कॉम्पाउंडिंग का सबसे आसान तरीका
अगर आप नियमित रूप से छोटी-छोटी रकम निवेश करने की आदत डाल लें तो म्यूचुअल फंड SIP के ज़रिए आप एक बड़ा रिटायरमेंट फंड बना सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, स्टेप-अप SIP से 50 साल की उम्र तक 5 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कॉर्पस तैयार किया जा सकता है.
कब और कितना शुरू करें निवेश?
मान लीजिए कोई व्यक्ति 22 साल की उम्र में नौकरी शुरू करता है. शुरुआती 23 साल में खर्च और लाइफस्टाइल संभालने के बाद 25 साल की उम्र में वह SIP शुरू करता है. शुरुआत में वह 10,000 रुपये प्रति माह का SIP करता है.हर साल इस SIP को 10% बढ़ा देता है.लंबी अवधि में यही स्टेप-अप कॉम्पाउंडिंग की ताकत को और बढ़ा देता है.
अनुमानित रिटर्न और कैलकुलेशन
अगर 25 साल (25 से 50 साल की उम्र तक) SIP जारी रखी जाए और 15% CAGR (औसत सालाना रिटर्न) माना जाए तो नतीजे कुछ ऐसे निकलते हैं.
- कुल निवेश: करीब ₹1.18 करोड़
- अनुमानित रिटर्न: करीब ₹4.54 करोड़
- 25 साल बाद कुल कॉर्पस: लगभग ₹5.72 करोड़
यानी सिर्फ 10,000 रुपये से शुरुआत करके आप 50 की उम्र में तनाव-मुक्त होकर रिटायर हो सकते हैं.
SIP का कॉम्पाउंडिंग इफेक्ट
कॉम्पाउंडिंग का मतलब है. जो रिटर्न आपको मिलते हैं, वो हर साल आपके असली निवेश में जुड़ जाते हैं और अगले साल उन पर भी ब्याज मिलता है. यही प्रक्रिया लंबी अवधि में आपके छोटे निवेश को बड़े कॉर्पस में बदल देती है. अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी कॉम्पाउंडिंग को दुनिया का आठवां अजूबा कहा था. SIP की एक और खूबी है रुपया कॉस्ट एवरेजिंग, यानी बाज़ार ऊपर-नीचे हो तो भी लंबे समय में औसत रिटर्न अच्छे निकलते हैं.
सावधानी ज़रूरी
यहां हमने 15% CAGR का अनुमान लगाया है, लेकिन ध्यान रहे कि पिछले रिटर्न भविष्य की गारंटी नहीं देते. बाज़ार में उतार-चढ़ाव हमेशा रहते हैं. इसलिए निवेश करने से पहले सही फंड चुनना, विविधता (diversification) रखना और अपनी रिस्क प्रोफाइल समझना ज़रूरी है.
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