Sameer Wankhede on Bollywood: मैंने 3500 केस दर्ज किए, क्या सब बॉलीवुड के खिलाफ थे… फिल्म इंडस्ट्री को निशाने बनाने पर बोले समीर वानखेड़े
Sameer Wankhede on Bollywood: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व मुंबई क्षेत्रीय निदेशक (NCB) समीर वानखेड़े ने टीवी9 को इंटरव्यू दिया है, जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी है. मुंबई में नियुक्ति के दौरान समीर वानखेड़े पर आरोप लगे थे कि वो फिल्म इंडस्ट्री को निशाना बनाते थे. इस पर भी उन्होंने जवाब दिया है. उनका कहना है कि ये बातें गलत हैं और उन्होंने अपने जीवन में अब तक साढ़े तीन हज़ार से ज्यादा केस दर्ज किए हैं.
जब समीर वानखेड़े से सवाल हुआ कि आप जिस दिन से मुंबई में आए, तभी से आपने बॉलीवुड के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी, ऐसा आरोप फिल्म इंडस्ट्री के लोग आप पर लगाते हैं. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे? इस सवाल पर पूर्व एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े ने कहा, “तो आप या ये लोग (बॉलीवुड वाले) क्या उम्मीद करते हैं, छोड़ दें इन लोगों को. क्या हमें इन्हें छोड़ देना चाहिए. अगर किसी तरह से भी कानून टूट रहा है, अगर कुछ गलत हो रहा है तो क्या मुझसे उम्मीद की जा रही है कि मैं इन्हें छोड़ दूं या कोई और अधिकारी जो अपना काम कर रहा है वो इन्हें छोड़ दे? ये ऐसे नहीं होता है.”
‘संविधान के सामने सब बराबर’
समीर वानखेड़े ने कहा, “संविधान और कानून किसी को भी खास विशेषाधिकार नहीं देता है. अगर कुछ भी मिलता है तो उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा. मैंने अपने करियर में जो केस भी दर्ज किए हैं, वो हार्ड कोर पेडलेर, हार्ड कोर स्मगलर के खिलाफ किए हैं. जितना मुझे याद है, मैंने करीब 3500 केस दर्ज किए हैं, तो क्या ये सब इस तथाकथित इंडस्ट्री के बारे में है, नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ है.”
समीर वानखेड़े ने कहा, “क्योंकि ये खबरें मीडिया में चलीं, क्योंकि इन तथाकथित सेलिब्रिटीज़ की फेस वैल्यू है, एक्शन लिया गया तो इसका ये मतलब नहीं कि हम किसी को टारगेट कर रहे हैं या मैं किसी को टारगेट कर रहा हूं.
जवान के डायलॉग पर क्या बोले समीर?
जवान में शाहरुख खान ने एक डायलॉग कहा था, “बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर.” इसे समीर वानखेड़े से जोड़ा गया था. सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि ये डायलॉग समीर वानखेड़े के खिलाफ था. इसपर अब समीर ने कहा, “पहली बात ये कि मैं ऐसी चीज़ों से मैं परेशान नहीं होता. मुझे नहीं पता आप किसके बारे में बात कर रही हैं. मैं फिल्मों और ऐसे लोगों में दिलचस्पी नहीं लेता.”
आगे वो कहते हैं, “दूसरी बात, उन्होंने जो डायलॉग बोला जब किसी ने मुझसे पूछा, मेरा तो इतना ही मानना था कि इस तरह की भाषा भारतीय संस्कृति के हिसाब से सही नहीं. ये तो राइड साइड टाइप चीज़ लगती है. जैसा जुग्गियों में लोग बातें करते हैं. हमारी भातीय संस्कृति बहुत रिच है. हम अपने पिता का नाम भी तमीज से लेते हैं. उनको पिता जी कहते हैं, ये सुनने में ही बहुत सड़कछाप लगता है. इसलिए हम ऐसी सड़कछाप चीज़ों से परेशान नहीं होते.”
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