Rajasthan Cough Syrup Danger: कफ सिरप से हो रहे बच्चे बीमार, राजस्थान में हड़कंप… रोक लगाई और सैंपल भेजे लैब
राजस्थान में बच्चों में खांसी की दवा के कारण साइड इफेक्ट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. पिछले दो दिनों में भरतपुर, बांसवाडा, सीकर और जयपुर में डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप के उपयोग से कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ी है जिन्हें JK लोन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था. हालांकि इन बच्चों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. लेकिन, सोमवार सुबह राजधानी जयपुर के एक निजी अस्पताल में एक दो साल की बच्ची को भर्ती किया गया और इस बच्ची को भी डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड दी गई थी. बताया जा रहा है कि सीकर के श्रीमाधोपुर में इसी कफ सिरप के पीने से एक बच्ची की संदिग्ध मौत हुई है.
परिजनों ने बच्ची का पोस्टमार्टम नही करवाया. यह खांसी की दवा सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जाती है और मामले की जानकारी मिलते ही चिकित्सा विभाग ने फ़िलहाल इस दवा के बैच को होल्ड कर दिया है. चिकित्सा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज के औषधि प्रभारी और जिला औषधि भण्डार गृह को पत्र लिखा है और दवा की सप्लाई पर रोक लगा दी है. मामले को लेकर ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक का कहना है कि भरतपुर और सीकर जिले से कुछ ऐसे मामले सामने आए जिसमें खांसी की दवा के उपयोग के कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. ऐसे में हमने तुरंत दवा के सैंपल उठाए और जांच के लिए भेज दिए हैं.
दावा किया जा रहा है कि जो खांसी की दवा बच्चों को पिलाई गई है वह सिर्फ़ एडल्ट लोगों के इलाज में ही काम में आती है. जितने भी बच्चे इस दवा को लेने के बाद बीमार हुए हैं उनकी उम्र चार साल से कम है. लेकिन भरतपुर के जिस सरकारी अस्पताल में बच्चों को यह दवा दी गई वहां के एक चिकित्सक ने भी इस दवा का उपयोग किया. उसके बाद उस चिकित्सक की तबीयत भी बिगड़ गई. ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप की पूरी सप्लाई पर रोक लगा दी गई है. विभिन्न बैचों के सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे गए हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
इससे पहले भी उठे कंपनी पर सवाल
बच्चों को दी गई खांसी की दवा डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप जयपुर की लोकल कंपनी कायसन्स फार्मा बना रही है. इसकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सरना डूंगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है. मामला सामने आने के बाद राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इस कंपनी की सिरप को दवा केंद्रों पर वितरित करने से रोक लगा दी है. इसी साल जून में जांच के बाद सप्लाई शुरू हुई थी. जिस कंपनी की ये सिरप है उसकी एक दवा पहले भी ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड’ पाई गई थी.
कतराते दिखे डॉक्टर्स
बांसवाड़ा में खांसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली डेक्स्ट्रोमेथोर्फन सिरप एचबीआर के सेवन से बच्चों के बीमार पड़ने के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. पिछले 14 दिनों में, दवा के ओवरडोज के समान लक्षणों वाले 7 बच्चे बांसवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती हुए हैं. हालांकि डॉक्टर इन मामलों की वास्तविक संख्या बताने से कतराते रहे. लेकिन प्राथमिक जांच में बच्चों के बीमार होने का कारण दवा का ओवरडोज ही माना जा रहा है.
बांसवाड़ा में सरकारी अस्पतालों में इस दवा के उपयोग और वितरण पर तत्काल रोक लगा दी गई है. जिले को इस दवा की लगभग 50 हजार सिरप की खेप मिली थी जिनमें से 13 हजार सिरप विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा चुकी थी. बाकी लगभग 37 हजार सिरप वेयर हाउस में रखी हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को सभी अस्पताल प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे इस सिरप का इस्तेमाल न करें. इस सिरप की निर्माता कंपनी कैसन फॉर्मा द्वारा सप्लाई की गई थी.
अगले आदेश तक रोक
बच्चों के बीमार होने के मामले सामने आने के बाद, आरएमएससीएल मुख्यालय ने दवा के वितरण और उपयोग पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. प्रदेश के सभी जिलों में इस दवा की कुल 21 बैच में लाखों की मात्रा में सप्लाई की गई थी. जिसे अब होल्ड कर दिया गया है. हालांकि जिला अधिकारियों का कहना है कि बांसवाड़ा में जिस बैच की शिकायतें मिली हैं, उस बैच की दवा की सप्लाई नहीं हुई है.
किस कंडीशन में देते हैं दवा
यह सिरप मुख्य रूप से सूखी या हल्की खांसी के इलाज के लिए दी जाती है. दवा के ओवरडोज के सामान्य लक्षणों में चक्कर, बेहोशी, अत्यधिक नींद/सुस्ती, श्वसन दर धीमा होना, हृदय गति में बदलाव, मांसपेशियों में कमजोरी, उल्टी या दस्त शामिल हैं. डॉ. प्रद्युमन जैन, शिशुरोग विशेषज्ञ, ने बताया कि माता-पिता को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह भी सलाह दी है कि यदि बच्चे की तबीयत बिगड़ती है और ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेकर ही कोई दवा दें.
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि पूरे प्रदेश में दवा कंपनियों से सांठगांठ कर स्वास्थ्य व्यवस्था चलाई जा रही है. जरूरी मानकों पर खरी नहीं उतरने वाली कंपनियों को सप्लाई दी गई. सरकार सो रही है. अभी तक इस कंपनी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ. ताज्जुब है कि 1 बच्ची की मौत होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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