Radha Kund: मथुरा का रहस्यमयी राधा कुंड क्यों है इतना प्रसिद्ध? जानें क्या है इसकी मान्यता
Radha Kund Mathura: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी मनाई जाती है. इस बार अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और विधि-विधान से अहोई माता की पूजा करते हैं. अहोई अष्टमी के मौके पर मथुरा में बेहद उल्लास देखने को मिलता है. अहोई अष्टमी के दिन भारी संख्या में भक्त मथुरा स्थित राधा रानी कुंड में स्नान करते हैं. इस लेख में हम आपको राधा कुंड की कहानी बताएंगे.
राधा रानी कुंड क्या है?
राधा रानी कुंड उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक पवित्र जल कुंड है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि में इस कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस कुंड का निर्माण राधा रानी ने श्री कृष्ण के वध के बाद किया था और कृष्ण ने भी इसे वरदान दिया था, जिससे यह कृष्ण कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध हो गया.
राधा कुंड में स्नान कब करना चाहिए?
राधा कुंड में स्नान अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि को करना चाहिए. यह कार्तिक मास की एक महत्वपूर्ण तिथि मानी गई है और इस समय स्नान करने से संतान प्राप्ति सहित सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.
राधा कुंड में स्नान करने से क्या होता है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, राधा कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. राधा कुंड को लेकर मान्यता है कि इसे भगवान कृष्ण ने अरिष्टासुर का वध करने के बाद स्वयं राधा जी के कहने पर खोदा था. अहोई अष्टमी के दिन भारी संख्या में निसंतान जोड़े यहां स्नान करने के लिए आते हैं.
राधा कुंड का रहस्य भगवान श्री कृष्ण के गोहत्या के पाप से मुक्त होने और राधा रानी द्वारा अपने कंगन से कुंड का निर्माण करने की पौराणिक कथा से जुड़ा है. यह कुंड भगवान कृष्ण की भक्ति और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक है.
कृष्ण कुंड का निर्माण किसने किया?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर नामक दैत्य का वध किया जिसके बाद उनपर गौहत्या का पाप लग गया. तब राधा रानी ने श्रीकृष्ण से गौहत्या के पाप से मुक्ति के लिए सभी तीर्थों में स्नान करने को कहा. तब भगवान श्री कृष्ण ने देवर्षि नारद की सलाह पर अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और सभी तीर्थों के जल को उसमें एकत्रित किया, जिसे कृष्ण कुंड का नाम दिया गया.
राधा कुंड का निर्माण किसने किया?
भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कृष्ण कुंड खोदने के बाद राधा जी ने भी अपने कंगन से एक और छोटा कुंड खोदा. श्री कृष्ण ने उस कुंड को देखा और वरदान दिया कि वह कृष्ण कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध होगा और उसमें स्नान करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. ऐसा माना जाता है कि यह कुंड कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर खोदा गया, जिसे अहोई अष्टमी कहते हैं. तभी से अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड में स्नान करने की विशेष मान्यता है.
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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