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Prabhasakshi NewsRoom: परमाणु मिसाइल हो तो Russia जैसी हो, Burevestnik का सफल परीक्षण कर Trump के भी बॉस बन गये Putin

रूस ने अपनी परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल “बुरेवेस्टनिक” (Burevestnik) का सफल परीक्षण किया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अनुसार यह मिसाइल किसी भी मौजूदा या भविष्य की रक्षा प्रणाली को भेदकर निकल सकती है। 21 अक्टूबर को हुए इस परीक्षण में मिसाइल ने लगभग 14,000 किलोमीटर की दूरी तय की और लगभग 15 घंटे तक हवा में रही। रूस के सेनाध्यक्ष जनरल वालेरी गेरासिमोव ने पुतिन को बताया कि यह मिसाइल लगभग “अविजेय” है क्योंकि इसका मार्ग अनिश्चित होता है और इसकी उड़ान सीमा लगभग असीम है। नाटो (NATO) इसे SSC-X-9 Skyfall नाम से पहचानता है।
हम आपको बता दें कि पुतिन ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कहा, “यह ऐसा हथियार है जो पूरी दुनिया में किसी के पास नहीं है। हमने असंभव को संभव कर दिखाया है।” उन्होंने संकेत दिया कि रूस अब इसकी वास्तविक तैनाती की दिशा में आगे बढ़ेगा। देखा जाये तो यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस पर नए दबाव डालने की रणनीति अपना रहे हैं।

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इसमें कोई दो राय नहीं कि रूस की यह घोषणा केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि पश्चिम के लिए एक रणनीतिक संदेश भी है कि मॉस्को अब भी वैश्विक शक्ति-संतुलन का केंद्रीय स्तंभ है और युद्ध की थकान या आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद “झुकने वाला नहीं”। हम आपको याद दिला दें कि पुतिन ने बुरेवेस्टनिक परियोजना की घोषणा 2018 में की थी। उस समय उन्होंने इसे अमेरिका की मिसाइल-डिफेंस प्रणाली के प्रतिकार के रूप में प्रस्तुत किया था। अमेरिका की मिसाइल डिफेंस प्रणाली को वाशिंगटन ने 1972 की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से बाहर निकलने के बाद तेज़ी से विकसित किया था।
रूस का तर्क है कि अमेरिकी मिसाइल-ढांचे का उद्देश्य केवल ‘रक्षा’ नहीं, बल्कि सामरिक बढ़त प्राप्त करना है। बुरेवेस्टनिक जैसे हथियार इसी “रणनीतिक असमानता” का उत्तर हैं। लगभग असीम दूरी और अनिश्चित मार्ग के कारण यह मिसाइल पारंपरिक रडार या एंटी-मिसाइल सिस्टम से लगभग अप्राप्य मानी जा रही है।
खास बात यह है कि परीक्षण की घोषणा पुतिन ने सैन्य वर्दी में, युद्ध संचालन की समीक्षा बैठक के दौरान की। यह दृश्यात्मक प्रतीक स्वयं में संदेश था। यह संकेत पश्चिम को था कि रूस अब भी अपने सैन्य आत्मविश्वास में किसी कमी को स्वीकार नहीं करता। यह समय भी संयोग नहीं है। जब अमेरिका रूस पर कड़ा रुख अपनाकर युद्धविराम का दबाव बना रहा है, तब यह घोषणा मॉस्को की “अडिगता” का प्रदर्शन है।
साथ ही बुरेवेस्टनिक का सफल परीक्षण वैश्विक परमाणु रणनीति के लिए एक गहरी चेतावनी है। परमाणु शस्त्रों की होड़ के शांत पड़ चुके अध्याय में यह मिसाइल एक नया पृष्ठ खोलती है। अमेरिका, नाटो और रूस के बीच पहले ही हाइपरसोनिक और टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों की प्रतिस्पर्धा चल रही है; अब इस नई श्रेणी का प्रवेश सुरक्षा समीकरणों को और जटिल बना देगा। यह भी ध्यान देने योग्य है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मॉस्को ने परमाणु संकेतों का उपयोग कई बार किया है— चाहे वह बेलारूस में सामरिक हथियारों की तैनाती हो या ज़ापोरिज़िया परमाणु संयंत्र के इर्द-गिर्द की धमकियाँ। बुरेवेस्टनिक का सफल परीक्षण इस रणनीतिक मनोविज्ञान को और सशक्त करता है।
इसके अलावा, इस परीक्षण के साथ रूस पश्चिमी सुरक्षा ढांचे को सीधी चुनौती दे रहा है। अमेरिका का “मिसाइल शील्ड” यूरोप और एशिया के कई हिस्सों जैसे- पोलैंड, रोमानिया, जापान और दक्षिण कोरिया तक सक्रिय है। किंतु अगर बुरेवेस्टनिक जैसी मिसाइलें वाकई “असीम दूरी” और “अनिश्चित मार्ग” रखती हैं, तो ये सभी ढाँचे अप्रासंगिक हो सकते हैं। इसका प्रत्यक्ष परिणाम होगा कि नई हथियार होड़ और संभवतः किसी नए शीतयुद्ध जैसे माहौल की वापसी।
भारत के लिए यह घटना दोहरे दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। पहला, यह दर्शाती है कि वैश्विक शक्ति-संतुलन फिर से पूर्व की ओर झुक रहा है। रूस और चीन की सैन्य तकनीक में तेजी से प्रगति पश्चिम के लिए चिंता का कारण बन रही है। दूसरा, भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और बल देना होगा। क्योंकि यदि परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्धा फिर से तेज़ हुई, तो एशिया इसका मुख्य रणक्षेत्र बन सकता है।
इसके अलावा, पुतिन की यह घोषणा केवल तकनीकी या सामरिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक विजय भी है। आर्थिक प्रतिबंधों, यूक्रेन में ठहर चुके मोर्चे और आंतरिक असंतोष के बीच इस प्रकार का प्रदर्शन घरेलू राजनीति के लिए भी लाभकारी है। यह रूसी जनता को यह संदेश देता है कि पश्चिम की नाकेबंदी के बावजूद रूस अब भी “विश्व की प्रथम श्रेणी की शक्ति” है।
कुल मिलाकर देखें तो रूस का बुरेवेस्टनिक परीक्षण उस दौर की याद दिलाता है जब शीतयुद्ध के बीच हर नई मिसाइल का परीक्षण वैश्विक चिंता का विषय बन जाता था। यह नयी तकनीक केवल एक देश की शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि उस अंतरराष्ट्रीय असुरक्षा का भी द्योतक है जो आज फिर से उभर रही है।
बहरहाल, यूक्रेन युद्ध के दौरान यह घोषणा स्पष्ट संदेश देती है कि मॉस्को न तो सैन्य रूप से झुकने को तैयार है, न ही पश्चिमी दबाव में अपने सामरिक निर्णयों को सीमित करने वाला है। विश्व समुदाय के लिए यह समय सतर्कता बरतने का है क्योंकि यदि महाशक्तियाँ अपने विवादों को फिर से “हथियारों की भाषा” में सुलझाने लगें, तो आने वाले दशक की सुरक्षा संरचना और अधिक अस्थिर हो सकती है।


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