P-8I और चिनूक हेलीकॉप्टर… समुद्र से लेकर पहाड़ों तक ऐसे बढ़ेगी भारत की ताकत, क्या अमेरिका से हो पाएगी डील?

P-8I और चिनूक हेलीकॉप्टर… समुद्र से लेकर पहाड़ों तक ऐसे बढ़ेगी भारत की ताकत, क्या अमेरिका से हो पाएगी डील?

अमेरिकी रक्षा विभाग और बोइंग कंपनी का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस हफ्ते एक बार फिर भारत आ रहा है. डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच 4 बिलियन डॉलर (करीब 33,000 करोड़ रुपए) के रक्षा सौदे पर अहम वार्ता होगी.

इस सौदे में भारतीय नौसेना के लिए छह नए P-8I पोसाइडन समुद्री निगरानी विमान और भारतीय वायुसेना के लिए अधिक CH-47F चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल हैं. भारत के पास अभी 12 P-8I पोसाइडन विमान हैं, जो 2013 से नौसेना में शामिल किए गए थे. ये विमान बोइंग 737 का सैन्य संस्करण हैं और अब तक 2 लाख घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुके हैं. इन विमानों ने हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और पनडुब्बी रोधी युद्ध में अहम भूमिका निभाई है. गलवान विवाद (2020) और क्वाड देशों के साथ अभ्यासों में भी इनकी ताकत साफ दिखी है.

नए प्रस्तावित छह P-8I विमान की कीमत प्रति विमान लगभग 600-700 मिलियन डॉलर होगी. ये अपडेटेड सेंसर, हार्पून एंटी-शिप मिसाइलों और सोनोबॉय जैसी अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे.

भारतीय रक्षा उद्योग को होगा बड़ा फायदा

अगर ये डील पूरी होती है तो भारत के पास कुल 18 P-8I विमान होंगे. इससे नौसेना को हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखने की क्षमता मिलेगी. इस सौदे में ट्रेनिंग, रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स के साथ-साथ 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा के इंडस्ट्रियल ऑफसेट्स भी शामिल होंगे, यानी भारतीय रक्षा उद्योग को भी बड़ा फायदा होगा.

कीमत और स्वदेशी हथियारों को लेकर बातचीत

भारत ने इस साल की शुरुआत में सौदा रोक दिया था क्योंकि अमेरिका ने कीमत में 50% तक बढ़ोतरी का संकेत दिया था. अब उच्च-स्तरीय बातचीत के बाद चर्चा फिर शुरू हुई है. भारत चाहता है कि इन विमानों में DRDO की नेवल एंटी-शिप मिसाइल (NASM-MR) जैसी स्वदेशी हथियार प्रणाली भी फिट की जाए. उम्मीद है कि साल के अंत तक इस सौदे पर लेटर ऑफ एक्सेप्टेंस (LoA) पर हस्ताक्षर हो जाएंगे.

चिनूक हेलीकॉप्टर के लिए नई पेशकश

P-81 विमानों के साथ ही बोइंग अपने CH-47F चिनूक हेलीकॉप्टरों की नई खेप के लिए भी जोर दे रहा है. बोइंग भारतीय वायुसेना और थलसेना को नए CH-47F चिनूक हेलीकॉप्टर बेचने की कोशिश कर रहा है. 2019 में भारत ने 15 चिनूक खरीदे थे. ये हेलीकॉप्टर ऊंचाई वाले क्षेत्रों, खासकर LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर सैनिकों, हथियारों और M777 जैसे हॉवित्जर तोपों को ले जाने में बेहद कामयाब साबित हुए हैं.

रूस के बड़े Mi-26 हेलीकॉप्टर 2022 से ग्राउंडेड हैं, क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद सप्लाई चेन बाधित हो गई थी, जिससे चिनूक की अहमियत और बढ़ गई. हालांकि चिनूक 10 टन का पेलोड ले जा सकता है, जबकि Mi-26 की क्षमता 20 टन थी. फिर भी तेज तैनाती के लिए चिनूक भारत के लिए अहम साबित हो रहा है.

आत्मनिर्भर भारत नीति के चलते चुनौती

नई खरीद में अड़चन यह है कि भारत आत्मनिर्भर भारत नीति पर ध्यान दे रहा है. सेना चाहती है कि अगर नया सौदा होता है तो उसमें स्थानीय निर्माण और तकनीक ट्रांसफर को प्राथमिकता दी जाए. अब बोइंग वायुसेना और थलसेना दोनों से बात कर रहा है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सेना स्थानीय निर्माण और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की ठोस गारंटी के बिना नया सौदा करने के पक्ष में नहीं है. इसके अलावा, प्रस्ताव को भारतीय स्वदेशी मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर परियोजना और अन्य विदेशी प्लेटफॉर्म से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा.

हालांकि भारत और अमेरिका के बीच यह संभावित रक्षा सौदा सिर्फ सैन्य सहयोग नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को काउंटर करने की रणनीति का हिस्सा भी है. अगर यह डील होती है तो भारत की नौसैनिक निगरानी और ऊंचाई वाले इलाकों में एयरलिफ्ट क्षमता दोनों मजबूत होंगी.

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