उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा में परिवारवाद पर बगावत शुरू हो गई है। पहले ये विरोध केवल पार्टी के संगठन तक ही सीमित था। वहीं अब उनके विधायकों ने भी बागी रुख अख्तियार कर लिया है। बाजपट्टी से रालोमो के विधायक रामेश्वर महतो ने सोशल मीडिया पर बिना नाम लिए उपेंद्र कुशवाहा के परिवारवाद पर निशाना साधा है। वहीं इस मामले पर रालोमो मुखिया उपेंद्र कुशवाहा भास्कर से कहा कि, फिलहाल संसद सत्र चल रहा है और वे दिल्ली में है, उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है। जबकि कुशवाहा के बेटे और बिहार सरकार मंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि, अगर कुछ दिक्कत है तो बैठकर बात की जा सकती है। अब रामेश्वर महतो ने क्या लिखा वो जानिए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘राजनीति में सफलता केवल भाषणों से नहीं, बल्कि सच्ची नीयत और दृढ़ नीति से मिलती है। जब नेतृत्व की नीयत धुंधली हो जाए और नीतियां जनहित से अधिक स्वार्थ की दिशा में मुड़ने लगे, तब जनता को ज्यादा दिनों तक भ्रमित नहीं रखा जा सकता है। आज का नागरिक जागरूक है। वह हर कदम, हर निर्णय और हर इरादे को बारीकी से परखता है।’ यह बस मैसेज भर है, निर्णय बाकी है भास्कर ने उनसे बात कर पूरे मामले को समझने की कोशिश तो उन्होंने कहा कि ‘मैसेज भर है, सुधार नहीं हुआ तो आगे का निर्णय लिया जाएगा। पार्टी को कोई कार्यकर्ता और नेता बनाता है। इसी के बहाने पार्टी चलती है, लेकिन जब मौका देने की बारी आए तो पार्टी बचाने का हवाला देकर केवल परिवार को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।’ अब जानिए कौन हैं रामेश्वर महतो RLM से विधायक रामेश्वर महतो जदयू से MLC भी रह चुके हैं। पिछले साल नवंबर को ही इन्होंने जदयू से इस्तीफा दिया था। इसके बाद ये उपेंद्र कुशवाहा से जुड़े थे। इस्तीफा के दौरान इन्होंने कहा था,’कुशवाहा नेताओं के साथ अन्याय हो रहा है। कोई तरजीह नहीं दी जा रही है। नीतीश कुमार जिंदाबाद कहने वाले लोगों को नजर अंदाज किया जाता है। उन्हें अपमानित किया जा रहा है। तब इन्होंने सीतामढ़ी सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पर अपमान करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि सामंती सोच के साथ वो राजनीति कर रहे हैं। अपना एकछत्र राज चलाना चाहते हैं। जो कि जेडीयू की विचारधारा से अलग है। कुशवाहा की पार्टी में बगावत की वजह समझिए दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव बाद आखिरी समय में मास्टर स्ट्रोक चला था। उन्होंने अपने बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री पद की शपथ दिला दी। जबकि दीपक प्रकाश किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। उपेंद्र कुशवाहा पहले से राज्यसभा के सांसद हैं। राजनीति से दूर रहने वाली पत्नी को इस बार सासाराम से विधायक बनवा दिया। यही कारण है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। बगावत रोकने के लिए पार्टी की हर इकाई को भंग किया था इससे पहले पार्टी के भीतर लगातार बढ़ रहे बगावत को काबू करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने 30 नवंबर को रालोमो की प्रदेश इकाई, सभी जिला इकाइयों और प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था। कोर कमेटी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया था। पार्टी को चलाने के लिए पांच सदस्यीय संचालन समिति का गठन भी किया गया है। बेटे को मंत्री बनाकर कुशवाहा ने चला MLC सीट वाला दांव कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट दीपक प्रकाश फिलहाल किसी सदन (विधानसभा/विधान परिषद) के सदस्य नहीं हैं। अब मंत्री बने हैं तो उन्हें 6 महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य बनना होगा, वरना मंत्री पद छोड़ना होगा। सीनियर जर्नलिस्ट कुमार प्रबोध बताते हैं कि, ‘सम्राट चौधरी, मंगल पांडेय विधायक बन गए हैं। पहले वह विधान परिषद के सदस्य थे। अब भाजपा कोटे से उनकी सीट खाली होगी। NDA की 243 में से 202 सीटों पर जीत से कुशवाहा को डर होगा कि कहीं भाजपा MLC पद से मुकर ना जाए। इसलिए उन्होंने बेटे को मंत्री बनाकर दांव चल दिया।’ अब जानिए NDA का परिवारवाद- 29 विधायक नेताओं के परिवार से जब भी चुनाव होता है ‘परिवारवाद’ की चर्चा खूब होती है। हर पार्टी दूसरे पर नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट देने के आरोप लगाती है। गौर करें तो NDA भी ‘परिवारवाद’ से अछूता नहीं। JDU और BJP के 11-11 विधायक नेताओं के रिश्तेदार हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी हम के 80% विधायक परिवारवादी हैं। जीतन राम मांझी की बहू, समधन और दामाद बने विधायक परिवारवाद के मामले में HAM पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी सबसे आगे हैं। NDA की ओर से उन्हें 6 सीट मिले थे। इनमें से 5 पर परिवारवादियों को टिकट दिया। 3 तो उनके अपने रिश्तेदार हैं। मांझी की बहू, समधन और दामाद चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। भाजपा के 12.35% विधायक नेताओं के रिश्तेदार ‘परिवारवाद’ के तहत टिकट पाने वाले NDA के 29 (14.35%) प्रत्याशियों ने चुनाव जीता है। भाजपा ने 101 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा। पार्टी को 89 सीटों पर जीत मिली। जीतने वाले 11 विधायक (12.35%) राजनीतिक परिवार से हैं। इनमें सम्राट चौधरी, नीतीश मिश्रा और श्रेयसी सिंह जैसे बड़े चेहरे शामिल हैं। जदयू के 11 विधायकों का राजनीतिक परिवार से नाता जदयू को 101 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मौका मिला। पार्टी को 85 सीटें मिलीं। भाजपा की तरह इसके भी 11 (12.9%) ऐसे प्रत्याशी जीते जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से नाता रखते हैं। इसमें अनंत सिंह, ऋतुराज कुमार और चेतन आनंद जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता बनीं विधायक पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी पीछे नहीं हैं। NDA की ओर से इनकी पार्टी को 6 सीटों पर प्रत्याशी देने का मौका मिला। कुशवाहा ने सासाराम सीट से अपनी पत्नी स्नेहलता को चुनाव लड़ाया। जीतकर वह विधायक बन गईं। कुशवाहा ने नीतीश सरकार में मंत्री संतोष सिंह के भाई आलोक कुमार सिंह को दिनारा सीट से टिकट दिया। वह भी जीत गए हैं। RLM के चार विधायक बने हैं। इनमें से 2 (50%) नेताओं के संबंधी हैं। पूर्व सांसद अरुण कुमार के बेटे और भतीजा बने विधायक भूमिहार जाति से आने वाले प्रो. अरुण कुमार जहानाबाद के पूर्व सांसद हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बेटे ऋतुराज कुमार के साथ जदयू में शामिल हो गए। जहानाबाद के घोषी सीट से बेटे को टिकट दिलाया। बेटे ने चुनाव जीत लिया। अरुण कुमार ने जीतन राम मांझी की पार्टी से अपने भाई अनिल कुमार और उनके बड़े भाई के बेटे रोमित को टिकट दिलाई। भाई को टिकारी तो भतीजे को अतरी सीट से टिकट मिला। अनिल कुमार हार गए। रोमित कुमार को जीत मिली है। जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ में हावी ‘परिवारवाद’ NDA में किस तरह से ‘परिवारवाद’ हावी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी HAM है। ‘हम’ के संरक्षक जीतन राम मांझी केंद्रीय मंत्री हैं। इनके बेटे संतोष मांझी बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं। बहू दीपा कुमारी गया के इमामगंज, समधन ज्योति देवी गया के बाराचट्टी से चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। HAM को 6 में से 5 सीटों पर जीत मिली। इनमें 3 नेताओं के परिवार से हैं। चिराग पासवान की पार्टी LJP R को 19 सीटों पर जीत मिली। इसने बाहुबली राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी को गोविंदगंज से टिकट दिया। वह जीत गए हैं। राजद के 20% विधायक नेताओं के रिश्तेदार NDA के नेताओं ने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद की आलोचना परिवारवाद के चलते खूब की है। चुनाव में राजद के 25 उम्मीदवार जीते। इनमें से 5 (20%) नेताओं के रिश्तेदार हैं। पहला नाम राजद नेता तेजस्वी यादव का आता है। तेजस्वी लालू यादव के सबसे छोटे बेटे हैं। पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। राघोपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते। दूसरे प्रमुख नाम की बात करें तो ओसामा साहब हैं। मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को रघुनाथपुर से जीत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती करिश्मा राय को परसा, पूर्व मंत्री जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार को जहानाबाद और पूर्व सांसद राजेश कुमार के बेटे कुमार सर्वजीत को बोध गया सीट से जीत मिली है। —————- ये खबर भी पढ़ें भास्कर एनालिसिस- कुशवाहा के बेटे बने मंत्री, भाजपा पर क्यों बढ़ा प्रेशर:नीतीश ने नहीं जताया एतराज, दीपक बोले- मुझे मंत्री क्यों बनाया पापा से पूछिए रिकार्ड 10वीं बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी थी। मंच पर PM मोदी से लेकर 12 राज्यों के मुख्यमंत्री थे। नीतीश कुमार के बाद 5-5 की संख्या में मंत्री शपथ ले रहे थे। इस बीच जींस और शर्ट पहने एक युवक मंच पर चढ़ा और पद व गोपनीयता की शपथ लेने लगा। इस अनजान चेहरे पर कैमरे से लेकर लोगों तक की नजरें ठहर गई। पूरी खबर पढ़ें
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