Navratri Katha Day 8: नवरात्रि की अष्टमी के दिन जरूर पढ़ें माता महागौरी की कथा, भाग्य का मिलेगा साथ!

Navratri Katha Day 8: नवरात्रि की अष्टमी के दिन जरूर पढ़ें माता महागौरी की कथा, भाग्य का मिलेगा साथ!

8th day of Navratri Katha: आज यानी 30 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है, जिसे अष्टमी या महाअष्टमी भी कहा जाता है. इस तिथि का नवरात्रि में विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन लोग कन्या पूजन का आयोजन करते हैं और कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है. नवरात्रि के 8वें दिन यानी अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. महागौरी माता, देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं, जिन्हें शांत, करुणावान और स्नेहमय देवी माना जाता है. माता महागौरी का वाहन बैल है, इसलिए उन्हें ‘वृषारूढ़ा’ भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां गौरी भक्तों पर कृपा करती हैं और उनकी सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं. नवरात्रि के अष्टमी पर महागौरी माता की कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. आइए पढ़ते हैं नवरात्रि के आठवें दिन की कथा.

महागौरी माता की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती को अपने पूर्व जन्म की घटनाएं आठ साल की आयु में ही याद आने लगीं, जब वे देवी सती थीं और उनकी मृत्यु हो चुकी थी. पिछले जन्म की स्मृति के बाद उन्होंने भगवान शिव को अपना पति मान लिया और उन्हें पाने के लिए इस जन्म में भी कठोर तपस्या करने का निश्चय किया. माता पार्वती ने वर्षों तक निराहार और निर्जला तपस्या की, जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था.

माता पार्वती की ऐसी तपस्या देखकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार करने का वचन दिया. फिर भगवान शिव ने माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोया और गंगाजल से स्नान करने के बाद उनका शरीर विद्युत के समान तेजस्वी और गौर वर्ण का हो गया. इस स्नान के बाद माता पार्वती कांतिमय और तेजस्वी हो गईं और महागौरी कहलाईं.

अष्टमी कथा का महत्व

महागौरी माता की यह कथा देवी के त्याग और तपस्या का प्रतीक है. यह कथा दर्शाती है कि जो भक्त सच्चे हृदय से तपस्या करते हैं, उन पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं.

महागौरी माता की आरती

जय महागौरी जगत की माया.

जया उमा भवानी जय महामाया..

हरिद्वार कनखल के पासा.

महागौरी तेरा वहां निवासा..

चंद्रकली और ममता अंबे.

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे..

भीमा देवी विमला माता.

कौशिकी देवी जग विख्याता..

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा.

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा..

सती सत’ हवन कुंड में था जलाया.

उसी धुएं ने रूप काली बनाया..

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया.

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया..

तभी मां ने महागौरी नाम पाया.

शरण आनेवाले का संकट मिटाया..

शनिवार को तेरी पूजा जो करता.

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता..

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो.

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो..

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/qoz48eF