Ganja Taskari: गिरोह के सदस्य आपस में बातचीत के लिए असली नामों की जगह ‘फाइनेंसर’, ‘डीलर’, ‘स्टोरकीपर’ और ‘सेल्समैन’ जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे. पूरी बातचीत व्हाट्सएप पर होती थी. माल की डिलीवरी पूरी होने के बाद भुगतान नकद की जगह फोन-पे के माध्यम से लिया जाता था, ताकि लेन-देन का रिकॉर्ड बना रहे और शक से बचा जा सके.
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