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MDU ने विवाद का ठीकरा 3 छात्र नेताओं पर फोड़ा:कहा-निजी स्वार्थ के लिए महिला कर्मियों को भड़काया; पीरियड्स की पुष्टि के लिए कपड़े उतरवाए थे

महिला कर्मियों के पीरियड्स की पुष्टि के लिए कपड़े उतरवा फोटो खींचने के विवाद में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) ने राज्य महिला आयोग के नोटिस का जवाब दे दिया है। यूनिवर्सिटी के सामान्य प्रशासन के प्रोफेसर इंचार्ज एवं संपदा निदेशक भगत सिंह की ओर से 3 पेज का जवाब सबमिट किया गया है। इसमें पूरा ठीकरा 3 छात्र नेताओं पर फोड़ दिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने जवाब में तीनों छात्र नेताओं के नाम का भी जिक्र किया है। इनमें विक्रम डूमोलिया, प्रदीप मोटा और हिमांशु कांगड़ा शामिल हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दावा किया कि इन छात्र नेताओं ने ही निजी स्वार्थ के लिए महिला सफाई कर्मियों को भड़काया। राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने 29 अक्टूबर को इस मामले में एमडीयू के कुलपति और रोहतक एसपी को लेटर जारी कर 5 दिन में मामले से जुड़ी पूरी रिपोर्ट और क्या एक्शन लिया गया, इसकी रिपोर्ट मांगी थी। MDU ने तेजी दिखाते हुए एक ही दिन में रिपोर्ट सबमिट कर दी। जानिए…MDU ने 3 पेज के जवाब में क्या-क्या बातें कहीं गवर्नर के दौरे को लेकर चल रही थी सफाई यूनिवर्सिटी कुलाधिपति (गवर्नर) के दौरे को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन गंभीरता से काम कर रहा था। गवर्नर का दौरा 26 से 28 अक्टूबर तक का था। सफाई व्यवस्था को लेकर सामान्य प्रशासन की ओर से इंतजाम किए गए थे। महिला खेल डायरेक्टर के आग्रह पर स्वीमिंग पूल, जिमनेजियम हॉल और पैवेलियन की सफाई के लिए 3 सुपरवाइजरों की देखरेख में 30-35 सफाई कर्मी लगाए थे। सफाई कर्मियों और छात्र नेताओं के हंगामे की खबर आई
26 अक्टूबर को दोपहर ढाई बजे चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर तरुण कुमार ने संपदा निदेशक प्रो. भगत सिंह को फोन पर सूचना दी। मातुराम यज्ञशाला के पास कुछ सफाई कर्मी और तथाकथित छात्र नेता शोर-शराबा कर रहे हैं। प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। मौके पर जाकर प्रो. भगत सिंह ने सफाई कर्मियों से जाकर बात की। एक छात्र नेता पर तो पुलिस ने पर्चा दर्ज कर रखा
जवाब में आगे लिखा- ये बताना आवश्यक है कि पिछले कुछ समय से तथाकथित छात्र नेता प्रदीप मोटा और अन्य, जिनके खिलाफ पुलिस ने पर्चा दर्ज रखा है। उसके खिलाफ प्रोक्टोरियल बोर्ड की कार्रवाई भी चल रही है। उन्होंने महिला सफाई कर्मियों को अपने निजी स्वार्थ के लिए प्रशासन के खिलाफ भड़काया। छात्र नेता मामले को समाप्त नहीं होने देना चाहते थे
जवाब में लिखा- तथाकथित छात्र प्रदीप मोटा, विक्रम डुमोलिया ओर दिनेश कांगड़ा मामले को समाप्त ही नहीं होने देना चाहते थे। बेवजह मामले को जरूरत से ज्यादा तूल देने पर जुटे थे। उन्होंने महिला सफाई कर्मचारियों को दबाव देकर कहा कि वे प्रोफेसर की बातों में आकर समझौता न करें। महिला कर्मी मान गईं थी, छात्र नेताओं ने फिर भड़काया
जवाब में दावा है-कुलसचिव व प्रो. भगत सिंह के समझाने पर महिला कर्मी वहां से शांतिपूर्ण जाने के लिए तैयार हो गईं। 27 अक्टूबर को दोपहर ढाई बजे के आसपास दोबारा उक्त छात्र नेता 50-60 महिला और पुरूष सफाई कर्मियों के साथ नारे लगाते हुए यूनिवर्सिटी सचिवालय की तरफ पहुंचे। छात्र नेताओं ने भड़काते हुए कहा कि प्रदर्शन जारी रखो। यूनिवर्सिटी के कुछ कर्मियों पर भी राजनीति करने का आरोप
महिला आयोग को भेजे जवाब में यह भी दावा किया है कि उक्त छात्र नेताओं के अलावा यूनिवर्सिटी के ही एक-दो कर्मचारी राजनीतिक विपक्षी दलों से जुड़े हैं, वो अनावश्यक रूप से मामले को तूल देने में लगे हुए हैं। मामले की जांच चल रही है।
यूनिवर्सिटी की इंटरनल कंपलेंट कमेटी की अध्यक्ष प्रो. सपना गर्ग को निर्देश दिए गए हैं कि अति शीघ्र जांच रिपोर्ट जमा करवाएं, ताकि मामले में आगे की कार्रवाई बिना देरी की जा सके। यूनिवर्सिटी की ओर से सफाई कर्मियों में बारे में ये लिखा… महिला कर्मियों ने दो सुपरवाइजरों पर आरोप लगाया
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आगे महिला कर्मचारियों के आरोप का भी जिक्र किया। लिखा- महिलाओं ने बताया कि सुपरवाइजर विनोद हुड्डा और वितेंद्र ने उनके साथ बदसलूकी की है। जब हम सड़क पर सफाई कर रही थी, तो वितेंद्र व विनोद को बताया कि हम मासिक धर्म से पीड़ित हैं। ऐसे कहने पर दोनों ने हमसे कहा कि गवर्नर साहब का दौरा है, सफाई करवाना बहुत जरूरी है। सुपरवाइजरों ने कहा- कोई बीमारी नहीं है, चेकिंग करवाओ
पीड़ित महिलाओं के हवाले से आगे कहा- सुपरवाइजरों ने हमें कहा काम में लगे रहो। तुम्हें कोई बीमारी नहीं है और तुम काम से बचने को बहाने बना रही हो। उसके बाद चिल्लाकर कहा कि तुम अपनी चेकिंग करवाओ। सुपरवाइजरों ने कहा-हमें असिस्टेंट रजिस्ट्रार (जनरल ब्रांच) ने निर्देश दिए हैं। दोनों सुपरवाइजरों को काम से हटाने का आश्वासन दिया
प्रो. भगत सिंह ने जवाब में आगे लिखा- महिला सफाई कर्मियों की सारी बात सुनने के बाद आश्वासन दिया कि आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होगी और कार्यमुक्त किया जाएगा। मामले की उचित जांच के लिए लिखित में शिकायत देने को कहा। बार-बार कहने के बावजूद 26 अक्टूबर को महिलाओं की ओर से कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई। सहायक कुलसचिव ने मौके पर आकर सफाई भी दी
प्रो. भगत सिंह के जवाब के मुताबिक- सफाई कर्मियों द्वारा बार-बार मांग करने पर उन्होंने कुलसचिव को घटनास्थल पर आने का आग्रह किया। कुलसचिव मौके पर पहुंचे। इसी बीच सहायक कुलसचिव श्याम सुंदर व सुपरवाइजर वितेंद्र भी पहुंच गए। सहायक कुलसचिव श्याम सुंदर ने सफाई कर्मचारियों के सामने कहा कि उन्होंने किसी भी महिला सफाई कर्मी के लिए किसी भी प्रकाश की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया। न ही महिलाओं के कपड़े चेक करने के निर्देश दिए थे। कुलसचिव के कहने पर भी महिला कर्मियों ने लिखित शिकायत नहीं दी। महिला कर्मियों ने शिकायत की कॉपी कुलसचिव को दी
जवाब में कहा- यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी इंचार्ज, कुलसचिव, प्रॉक्टर व जनरल एडमिनिस्ट्रेशन के प्रोफेसर इंचार्ज फिर सभी कर्मियों से मिले। कुलसचिव ने दोबारा दोहराया कि हमें लिखित शिकायत दें, जिससे आरोपियों के खिलाफ जल्दी से जल्दी नियमानुसार कार्रवाई हो सके। उसके बाद महिला कर्मियों ने शिकायत की कॉपी कुलसचिव को दी। शिकायत मिलते ही दोनों सुपरवाइजरों को सस्पेंड किया
प्रोफेसर इंचार्ज का दावा है-कुलसचिव ने लिखित शिकायत की कॉपी तुरंत कुलपति को प्रस्तुत की। कुलपति ने दोनों सुपरवाइजरों विनोद हुड्डा व वितेंद्र को 27 अक्टूबर को ही निलंबित कर दिया। उसी दिन यह मामला यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत कमेटी को भेजा। 28 अक्टूबर कुलसचिव महिला सफाई कर्मियों की शिकायत तुरंत पुलिस को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दी। यूनिवर्सिटी की ओर से आयोग को दिए गए जवाब की कॉपी… ————————— ये खबर भी पढ़ें…
रोहतक MDU विवाद, सुपरवाइजर समेत 3 पर FIR:पीड़ित महिला बोली- किसी का फोन आया, तब कपड़े उतरवाकर पीरियड्स चेक किए गए हरियाणा में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (MDU) में महिला सफाई कर्मियों के कपड़े उतरवाकर पीरियड्स चेक करने के मामले में कुछ नई बातें सामने आई हैं। एक पीड़ित महिला ने बताया है कि जब उन्होंने सुपरवाइजर को पीरियड्स के बारे में बताया था तो वह देरी का कारण का मान गया था, लेकिन उसी समय उसे किसी का कॉल आया। (पूरी खबर पढ़ें)


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