Ladakh Violence: भड़काऊ बयान दिए गए, भीड़ में गलत मैसेज फैलाया… क्या ऐसे धधकी लद्दाख में ‘आग’?
Ladakh Violence News: लद्दाख में दशकों में सबसे भीषण हिंसा हुई, जिसके बाद पुलिस ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया और उन पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगा दिया. इस बीच हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के सीईओ ताशी ग्यालसन ने कहा कि निर्दोष लोग जो शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए आए थे, किसी तरह भीड़ जुट गई और अचानक हिंसा शुरू हो गई.
उन्होंने कहा कि शुरू में चल रही भूख हड़ताल काफी शांतिपूर्ण थी और यह एक व्यापक मांग के लिए थी. लद्दाख के लोग थोड़े चिंतित थे, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं थी क्योंकि सरकार समय-समय पर बातचीत कर रही थी और इस मुद्दे का समाधान ढूंढ रही थी. यह भी आश्वासन दिया था कि लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा मिलेगी. इसके बावजूद, कुछ ऐसी बातें फैलने लगीं कि सरकार बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है और संवैधानिक सुरक्षा पर कोई कदम नहीं उठाएगी.
ताशी ग्यालसन ने कहा ने कहा कि कुछ भड़काऊ लोग बयान देने लगे, लेकिन हमने इसकी कभी उम्मीद नहीं की थी. 24 तारीख को ऐसी घटना घटी, जो दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. हमने उपराज्यपाल से अनुरोध किया है कि इसकी गहन जांच होनी चाहिएय पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए. जब हिंसा भड़की, तो पुलिस ने काफी सख्ती बरती और नतीजा यह हुआ चार युवाओं की जान चली गई. कई अन्य घायल हो गए. हिंसा के लिए सभी की जवाबदेही तय होनी चाहिए. हिंसा को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक बल प्रयोग के लिए जवाबदेही होनी चाहिए.
#WATCH | Leh, Ladakh | On violent protests, Ladakh Autonomous Hill Development Council CEO Tashi Gyalson says, “… Innocent people who had come for a peaceful protest, somehow the crowd got mobilised, and suddenly the violence started… The ongoing hunger strike was quite pic.twitter.com/qpkeLcWA08
— ANI (@ANI) September 27, 2025
वांगचुक पर लगा लोगों को गुमराह करने का आरोप
वहीं, मामले को लेकर सीबीआई जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके ओर से गठित एक संस्था के खिलाफ विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन की प्रारंभिक जांच (पीई) कर रही है, अधिकारियों ने 25 सितंबर को यह जानकारी दी. केंद्र सरकार ने वांगचुक पर अरब स्प्रिंग-स्टाइल के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में जेन-जी विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ जिक्र करके लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया. हिंसा के दौरान कम से कम चार लोग मारे गए और 70 से ज्यादा घायल हो गए. लद्दाख के सबसे बड़े शहर और प्रशासनिक केंद्र लेह में कर्फ्यू लगाया गया.
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