आज हुई एनडीए सांसदों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी नियम या प्रक्रिया से भारतीय नागरिकों को अनावश्यक परेशानी न हो। मौजूद जानकारी के अनुसार संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि नियम और नियमन सिस्टम सुधारने के लिए लागू किए जाते हैं, न कि आम जनता को परेशान करने के लिए।
बता दें कि यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब इंडिगो के संचालन संबंधी संकट के कारण हजारों यात्रियों को बीते दिनों भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फ्लाइट कैंसिलेशन, देरी और क्रू प्रबंधन मामलों में एयरलाइन की लगातार चूक के कारण देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर अव्यवस्था की स्थिति बनी रही। गौरतलब है कि नई दिशानिर्देशों के तहत पायलटों की ड्यूटी और विश्राम समय में सख्त नियम लागू किए गए थे, जिनका पालन सुनिश्चित करने में एयरलाइन विफल साबित हुई।
नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने संसद में बताया कि मंत्रालय इस मामले में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा और इंडिगो को उदाहरण के तौर पर देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी एयरलाइन अपने क्रू प्रबंधन की विफलता और संचालन की कमजोरी का भार यात्रियों पर नहीं डाल सकती। जानकारी के अनुसार एयरलाइन अब तक 830 करोड़ रुपये से अधिक रिफंड कर चुकी है, जबकि मार्केट वैल्यू में भारी गिरावट दर्ज हुई है।
सोशल मीडिया पर कई यात्रियों ने अपनी यात्रा रद्द होने और लंबे इंतज़ार के चलते असंतोष व्यक्त किया। कई यात्रियों के रिफंड में देरी और त्रुटियों के मामले भी सामने आए हैं। एयरलाइन ने सभी प्रभावित यात्रियों के लिए पूर्ण रिफंड और बिना शुल्क पुनर्निर्धारण का विकल्प दिया है, लेकिन टिकटों की बड़ी संख्या के कारण प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे नहीं बढ़ पा रही है।
सरकार का कहना है कि नियमों का उद्देश्य पायलटों की थकान कम करना और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, लेकिन एयरलाइन के स्तर पर तैयारी और प्रबंधन की कमी ने स्थिति को और खराब कर दिया है। यही कारण है कि सरकार ने इस मामले को सख्त उदाहरण के तौर पर लेते हुए कार्रवाई की निगरानी शुरू कर दी है और यात्रियों की सहायता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
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