IMF बॉस की बड़ी चेतावनी, कहा- ग्लोबल इकोनॉमी में आने वाला है भूचाल!
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ जैसे बड़े झटकों के बावजूद ग्लोबल इकोनॉमी उम्मीद से बेहतर स्थिति में है, लेकिन इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की बॉस का कहना है कि यह लचीलापन शायद लंबे समय तक न रहे. बुधवार को एक थिंक टैंक में दिए भाषण में आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि अपनी कमर कस लीजिए. अनिश्चितता अब सामान्य बात है और यह हमेशा के लिए है. मिलकेन इंस्टीट्यूट में उनकी यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है जब सोने की कीमतें पहली बार 4,000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई हैं.
निवेशक कमज़ोर डॉलर और जियो पॉलिटिकल अनिश्चितता से बचने के लिए सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं. इसके अलावा, अगले हफ्ते वाशिंगटन में आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठकें भी होंगी. जब ग्लोबल फाइनेंशियल लीडर्स और सेंट्रल बैंकर इकट्ठा होंगे, तो ट्रंप के टैरिफ पर जोरदार चर्चा होने की उम्मीद है.
इस साल ग्लोबल इकोनॉमी में 3 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, और जॉर्जीवा इसके इससे नीचे न गिरने के कई कारण बताए हैं. जिसमें दुनिया भर के देशों ने निर्णायक आर्थिक पॉलिसीज लागू की हैं, प्राइवेट सेक्टर ने खुद को नए माहौल में ढाल लिया है और टैरिफ पहले की आशंका से कम गंभीर साबित हुए हैं.
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन इससे पहले कि कोई राहत की सांस ले, कृपया यह सुन लें: इस तरह के लचीलेपन की अभी पूरी तरह से परीक्षा नहीं हुई है. और इस बात के चिंताजनक संकेत हैं कि परीक्षा आ सकती है. सोने की बढ़ती ग्लोबल डिमांड पर ही नजर डालें. जो इस बात का खुला संके हैं.
अभी दिखेगा ट्रंप के टैरिफ का असर
ट्रम्प के टैरिफ को लेकर उन्होंने कहा कि इसका पूरा असर अभी सामने आना बाकी है. अमेरिका में, मार्जिन में कमी के कारण कीमतों पर इसका असर देखने को मिल सकता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है और मॉनेटरी पॉलिसी व ग्रोथ पर इसका असर पड़ सकता है. रिपब्लिकन प्रशासन ने अप्रैल में कनाडा, मेक्सिको, ब्राज़ील, चीन और यहां तक कि छोटे से अफ़्रीकी देश लेसोथो सहित लगभग सभी अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगा दिए. ट्रम्प ने मंगलवार को ओवल ऑफिस में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ बैठक के दौरान कहा कि हम टैरिफ से परेशान होने वालों में सबसे आगे हैं.
हालांकि अमेरिका ने यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम जैसे देशों के साथ कुछ ट्रेड फ्रेमवर्क की घोषणा की है, लेकिन टैरिफ ने दुनिया भर में अनिश्चितता पैदा कर दी है. जॉर्जीवा ने कहा कि दूसरी तरफ, अमेरिकी बाजार के लिए पहले से तय वस्तुओं की बाढ़ टैरिफ बढ़ोतरी के दूसरे दौर को जन्म दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट अगले महीने इस बात पर बहस सुनेगा कि क्या ट्रंप को इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर एक्ट के तहत अपने कुछ टैरिफ़ लगाने का अधिकार है.
युवाओं में असंतोष
जॉर्जीवा ने दुनिया भर के युवाओं में व्याप्त असंतोष की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा कि कई युवा एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहे हैं जहां वे अपने माता-पिता से कम कमाएंगे. उन्होंने कहा कि युवा अपनी निराशा को लीमा से रबात तक, पेरिस से नैरोबी तक, काठमांडू से जकार्ता तक सड़कों पर लेकर आ रहे हैं, सभी बेहतर अवसरों की मांग कर रहे हैं. अमेरिका में युवाओ के बड़े होकर अपने माता-पिता से ज्यादा कमाने की संभावना कम होती जा रही है और यहां भी, असंतोष स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. इसने नीतिगत क्रांति को गति देने में मदद की है जो अब सामने आ रही है, जो व्यापार, इमिग्रेशन और कई इंटरनेशनल फ्रेमवर्क को नया रूप दे रही है.
अमेरिकी कर्ज भी बड़ी समस्या
उन्होंने एशिया में अधिक आंतरिक व्यापार, अफ्रीका में अधिक व्यापार-अनुकूल बदलाव और यूरोप में अधिक प्रतिस्पर्धा का भी आह्वान किया. संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, जॉर्जीवा ने सरकार से फेडरल डेट की समस्या का समाधान करने और घरेलू बचत को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया. नेशनल डेट वह कुल राशि है जो फेडरल सरकार अपने लेनदारों को देती है. ट्रेजरी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, फेडरल लोन 1925 में 380 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2025 में 37.64 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. कांग्रेस के बजट कार्यालय ने जुलाई में बताया कि ट्रम्प का नया टैक्स और एक्सपेंडिचर कानून 2034 तक इस कुल राशि में 3.4 ट्रिलियन डॉलर जोड़ देगा. आईएमएफ 191 देशों का एक लोन देने वाला संगठन है जो ग्लोबल ग्रोथ और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को बढ़ावा देने और गरीबी कम करने का प्रयास करता है.
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