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Goa nightclub fire: लूथरा ब्रदर्स ने भारत लौटकर जांच में सहयोग का भरोसा दिया

गोवा के अर्पोरा में स्थित बिर्च बाय रोमेओ लेन नाइटक्लब में 6 दिसंबर की रात लगी आग के मामले में लूथरा ब्रदर्स ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए जांच में सहयोग करने का भरोसा दिया है। बता दें कि इस हादसे में 25 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद क्लब संचालक गौरव लूथरा और सौरभ लूथरा पर लापरवाही और गैर-इरादतन हत्या से जुड़े आरोप दर्ज किए गए हैं।
गौरतलब है कि दोनों भाई देश छोड़कर थाईलैंड चले गए थे, जिसके चलते उन पर कानूनी प्रक्रिया से बचने के आरोप लगाए गए। हालांकि, उनकी कानूनी टीम ने दावा किया है कि उन्हें गलत तरीके से पेश किया गया है और वे कानून से भागने वालों में शामिल नहीं हैं। मौजूद जानकारी के मुताबिक, वरिष्ठ अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर के नेतृत्व वाली लीगल टीम ने उन्हें सलाह दी थी कि वे भारत लौटकर पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया के सामने पेश हों, जिसके बाद दोनों ने बयान जारी कर कहा कि वे 11 दिसंबर को देश लौटेंगे और जांच में पूरा सहयोग देंगे हैं।
बयान में कहा गया है कि वे “कानून का सम्मान करने वाले नागरिक हैं” और उन पर लगाए गए आरोप कि वे जांच से बच रहे हैं, पूरी तरह भ्रामक हैं। उनके अनुसार, देश लौटने का निर्णय किसी कानूनी रणनीति से प्रभावित नहीं है और वे न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा रखते हैं।
इस बीच, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भारतीय एजेंसियों के अनुरोध पर थाईलैंड में दोनों को हिरासत में ले लिया गया है और उनका प्रत्यर्पण शुरू हो चुका है। बता दें कि भारत और थाईलैंड के बीच 2015 से प्रत्यर्पण संधि लागू है, जिसके तहत यह प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। इंटरपोल ने भी उन पर ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया था, जिसके बाद तलाशी तेज हुई हैं।
पुलिस जांच में सामने आया है कि दोनों भाई आग लगने के महज डेढ़ घंटे के भीतर ही फ्लाइट टिकट बुक कर चुके थे और सुबह 5:30 बजे फ़ुकेत के लिए रवाना हो गए थे, जिससे उनकी मंशा पर सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि, उनकी तरफ से दायर ट्रांजिट एंटिसिपेटरी बेल याचिका में कहा गया है कि वे अक्सर काम के सिलसिले में यात्रा करते रहते हैं और 6 दिसंबर को भी वे व्यावसायिक मीटिंग के लिए थाईलैंड गए थे।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि हादसे के वक्त किसी “बाहरी परफॉर्मर” के उपकरणों का इस्तेमाल हो रहा था और क्लब प्रबंधन ने कोई ज्वलनशील सामग्री नहीं रखी थी। याचिका में दर्ज एफआईआर की धाराओं 105, 125 और 287 को लागू करने पर भी सवाल उठाए गए हैं, साथ ही कहा गया है कि वे जांच में सहयोग करेंगे, सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और अदालत द्वारा लगाए गए किसी भी शर्त को स्वीकार करेंगे हैं।
फिलहाल, दिल्ली की रोहिणी अदालत में उनकी ट्रांजिट एंटिसिपेटरी बेल पर सुनवाई जारी है, जबकि गोवा पुलिस सीबीआई और इंटरपोल के साथ समन्वय में आगे की कार्रवाई कर रही है। मामला बेहद संवेदनशील है और जांच में कई नए पहलू सामने आते जा रहे हैं।


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