Ghar Ki Kheti: अक्टूबर में किचन गार्डन में लगा लें मटर का पौधा, सर्दियों में उठाएं लुत्फ
सर्दियों में लोग मटर को कच्चा, भूनकर तो खाना पसंद करते ही हैं, इसके अलावा टमाटर आलू मटर की सब्जी, मटर की कचौड़ी, कटलेट, निमोना, मटर पुलाव, चिउड़ा मटर समते कई डिशेज बनाकर खाई जाती हैं. इस सीजन में ज्यादातर लोगों के घरों में हरी मटर मिल जाएगी, लेकिन ताजी सब्जी तोड़कर खाने का अपना ही एक अलग मजा होता है. घर पर उगाई गई सब्जी ऑर्गेनिक होने की वजह से ज्यादा फायदेमंद होती है और ताजी मटर की मिठास तो कमाल की लगती है. इस सर्दी आप अपे घर में मटर का पौधा लगा सकते हैं. घर में अगर खुला एरिया है या किचन गार्डन स्पेस है तो मटर के पौधे को जमीन में रोप सकते हैं या फिर इसके लिए आप कंटेनर का यूज भी कर सकते हैं.
हरी मटर से स्वादिष्ट चीजें तो बनती ही हैं साथ ही ये आपकी सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती है, क्योंकि इसमें पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं. मटर के पौधे को रोपना और इसकी देखभाल करना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होता है, लेकिन बस छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती है. तो चलिए जान लेते हैं कि घर में मटर कैसे उगा सकते हैं.
मटर से मिलेंगे इतने न्यूट्रिएंट्स
हेल्थ लाइन के मुताबिक, 80 ग्राम हरी मटर से 80 ग्राम मटर के न्यूट्रिएंट्स फाइबर 4.4 ग्राम, कार्ब्स 12.5 ग्राम, प्रोटीन 4.3 ग्राम कैलोरीज 67 मिलती हैं. इसके अलावा मटर में डेली जरूरत का
3.6 प्रतिशत विटामिन ए, 17 प्रतिशत विटामिन के, 12. 6 प्रतिशत विटामिन सी, 17 प्रतिशत थायमिन (बी1), 12.6 प्रतिशत फोलेट (बी-9), 18 प्रतिशत मैग्नीज, 6.8 प्रतिशत आयरन और 7.5 प्रतिशत फास्फोरस समेत अन्य पोषक तत्व भी होते हैं.
मटर रोपाई की तैयारी
सबसे पहले अच्छी क्वालिटी के बीज ले लें. इन्हें पानी में भिगोएं. जो बीज ऊपर तैरने लगें उसे हटा दें और बाकी के रोपाई करने के लिए पानी से निकाल लें. अगर जमीन में रोपाई करनी है तो उस जगह से सारी खर पतवार, मोटे कंकड़-पत्थर हटा दें और अगर आपको गमले में मटर उगाना है तो थोड़े गहरे और चौड़ें कंटेनर लेना सही रहता है ताकि आप कुछ-कुछ दूरी पर दो से तीन पौधे लगा सकें. आप कम से कम 12 इंच गहरा और 18-19 इंच चौड़ा कंटेनर लेना सही रहेगा. इसके अलावा आपको एक ट्रेलिस (जालीदार) स्ट्रक्चर तैयार करना होगा जो बढ़ते हुए मटर के पौधों को सहारा दे सके.
मटर की रोपाई
मटर को रोपाई के लिए जमीन या फिर कंटेनर में पानी की निकासी सही होनी चाहिए. अब कंटेनर में हल्की नमी वाली मिट्टी और ऑर्गेनिक खाद मिलाकर भर लें. इसके बाद कम से कम डेढ़ इंच की गहराई और 5 इंच की दूरी पर एक सीध में बीज लगाते जाएं, हर गड्ढे में कम से कम दो बीज लगाएं ताकि अंकुरित होने की संभावना ज्यादा रहे. अब बीजों को ढक दें और फिर स्प्रे बोतल की हेल्प से मिट्टी को थोड़ी और नमी दें. मिट्टी में नमी बनाए रखें, लेकिन इसमें पानी ज्यादा नहीं होना चाहिए, क्योंकि जलभराव से बीज सड़ने लगता है.

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ये बातें जरूर रखें ध्यान
मटर के पौधे के नियमित पानी दें, लेकिन गमले में लगाया हुआ है तो ध्यान दें कि बहुत ज्यादा मिट्टी गीली नहीं रहनी चाहिए। एफिड्स, स्पाइडर माइट्स, पाउडरी मिल्डयू जैसे कीटों से पौधे को नुकसान पहुंचता है, इससे बचाव के लिए आसपास की साफ-सफाई रखें. मटर के प्लांट के पास तुलसी, पुदीना, एलोवेरा, जैसी हर्ब्स उगा लें. इसके अलावा आप गोबर के उपले जलाने के बाद इसकी गुनगुनी राख को पौधों पर कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर छिड़कते रहेंगे तो कीटों से बचाव होगा.
टेम्परेचर और रोशनी का रखें ध्यान
मैदानी इलाकों के लिए मटर के पौधे की बोवाई अक्टूबर में करना बेस्ट रहता है, क्योंकि इसके पौधे को बहुत ज्यादा गर्म जलवायु नहीं चाहिए होती है. ये ठंडे मौसम और हल्के पाले में भी आराम से ग्रो हो जाते हैं, इसलिए ध्यान रखें कि पौधा ऐसी जगह पर न रखा जाए जहां बहुत ज्यादा हीट रहती हो या फिर दिन का लंबा समय वहां पर धूप रहती हो. इसके लिए एक ऐसी जगह सही रहेगी जहां पर दिन में तीन से साढ़े तीन घंटे की धूप आती हो.
कितने दिन में होगी हार्वेस्टिंग
बीज लगाने के बाद कम से कम 8 से 15 दिन में अंकुरण हो जाता है और 40 से 45 दिनों में पौधा ग्रो होकर इसपर फूल आने लगते हैं. इसपर 60 से 70 दिनों में मटर लगने लगती हैं जिसके परिपक्व होने के बाद हार्वेस्टिंग की जा सकती है. हालांकि पौधे पर कितने दिनों में फलियां हार्वेस्टिंग के लिए तैयार होंगी ये प्लांट की किस्म और देखभाल पर भी निर्भर करता है. इस तरह से कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप सर्दियों में ताजी मटर का लुत्फ उठा सकते हैं.
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