Gaza Ceasefire: कतर की जगह मिस्र में क्यों हो रहे गाजा डील पर साइन

Gaza Ceasefire: कतर की जगह मिस्र में क्यों हो रहे गाजा डील पर साइन

मिस्र में आज यानी सोमवार को गाजा पीस समिट हो रहा है. गाजा युद्धविराम को लेकर देश में दस्तावेज पर साइन हो रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस समिट में शामिल हो रहे हैं. साथ ही 20 और देश इस समिट का हिस्सा बनेंगे. कतर ने भी गाजा युद्धविराम में मध्यस्थता में अहम भूमिका निभाई. आज से पहले गाजा युद्धविराम से जुड़ी कई मीटिंग कतर में भी हुई हैं. लेकिन, अब सवाल उठता है कि युद्धविराम को लेकर सबसे अहम दस्तावेज पर साइन कतर नहीं बल्कि मिस्र में क्यों हो रहे हैं.

मिस्र इस समय गाजा युद्ध में मध्यस्थ और शांति के केंद्र के रूप में अहम भूमिका निभा रहा है. मिस्र के शर्म अल-शेख में ट्रंप और राष्ट्रपति अल-सीसी की अगुवाई में होने वाली बैठक का मकसद गाजा में युद्ध को खत्म करना, मिडिल ईस्ट में शांति और स्थिरता लाना है.

मिस्र की बढ़ती भूमिका

गाजा युद्ध को खत्म करने और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मिस्र एक अहम मध्यस्थ बनकर उभरा है. गाजा से मिस्र की राफा क्रॉसिंग जुड़ी है. जो मानवीय सहायता पहुंचाने का मुख्य रास्ता है. इससे मिस्र भौगोलिक रूप से भी बहुत अहम बन गया है. अरब देशों में मिस्र पहला देश था जिसने इजराइल को मान्यता दी थी. अब यह फिर से वही मुख्य क्षेत्रीय ताकत बनकर वापसी कर रहा है जो शांति वार्ता की दिशा तय कर सके.

मिस्र में क्यों हो रहे गाजा डील पर साइन

मिस्र में गाजा डील पर साइन क्यों हो रहे हैं इसको 4 प्वाइंट में समझा जा सकता है.

राफा क्रॉसिंग

राफा क्रॉसिंग गाजा और इजराइल दोनों के लिए काफी अहम है. यह गाजा का इकलौता नॉन-इजराइल कंट्रोल बॉर्डर है. गाजा पट्टी के ज्यादातर बॉर्डर इजराइल के नियंत्रण में हैं. इस बीच युद्ध के दौरान भी सहायता पहुंचाने के लिए राफा क्रॉसिंग अहम बनकर सामने आई.

सिर्फ राफा क्रॉसिंग ही एकमात्र ऐसा जमीनी रास्ता है जो मिस्र से जुड़ा है. यानी इजराइल के सीधे नियंत्रण में नहीं है. यही वजह है कि जब इजराइल गाजा को ब्लॉकेड (नाकाबंदी) कर देता है, तो दुनिया से गाजा को जोड़ने का एकमात्र रास्ता राफा ही रह जाता है.

युद्ध के समय गाजा में राफा बॉर्डर से ही दवाइयां, फूड सप्लाई, पानी, जनरेटर, मेडिकल स्टाफ और दूसरे जरूरी सामान अंदर भेजे जाते रहे हैं. इसी रास्ते से घायलों को गाजा से बाहर निकालकर मिस्र के अस्पतालों में इलाज के लिए ले जाया जाता रहा है. यूएन और रेड क्रॉस जैसी संस्थाएं भी राहत पहुंचाने के लिए राफा को ही प्राथमिक गेटवे मानती हैं.

राफा क्रॉसिंग मिस्र के नियंत्रण में है — यानी इसकी अनुमति और सुरक्षा का फैसला मिस्र की सरकार करती है. इसका मतलब है कि डील पर साइनिंग में मिस्र की भूमिका बहुत रणनीतिक हो जाती है. अगर मिस्र सहयोग न करे तो गाजा में राहत पहुंचाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.

कतर में इजराइल ने किया हमला

इजराइल ने कतर पर हमला किया था. इजराइल ने 9 सितंबर को कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाकर हवाई हमले किए थे. दोहा में हुए हमले के बाद कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने ट्रंप से मुलाकात की थी. ट्रंप ने इस मुलाकात में उन्हें आश्वासन दिया था कि अब इजराइल हमला नहीं करेगा. साथ ही नेतन्याहू ने हाल ही में कतर से हमला करने के लिए माफी भी मांगी. लेकिन, इस हमले के बाद सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए.

मिस्र और इजराइल के रिश्ते

कतर पर जहां इजराइल ने हमला किया इससे दोनों देशों के बीच हल्की सी दरार दिखी. वहीं, दूसरी तरफ मिस्र और इजराइल के रिश्ते स्थिर हैं. दरअसल, मिस्र पहला अरब देश था जिसने 1979 में इजराइल को मान्यता दी थी. दोनों देशों के बीच सुरक्षा और सीमा पर सालों से गुप्त और खुले सहयोग चलता आ रहा है. मिस्र की इस स्थिर भूमिका के कारण अमेरिका और इजराइल को भरोसा है कि वो शांति प्रक्रिया में मजबूत गारंटर (guarantor) बन सकता है.

अल-सीसी और ट्रंप के बीच नजदीकी रिश्ते

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत राजनीतिक संबंध हैं. अमेरिका मिस्र को इस वार्ता का विश्वसनीय मेजबान मानता है. मिस्र का अमेरिका और इजराइल दोनों से अच्छा रिश्ता होने की वजह से वो बीच का संतुलन बना सकता है — जो साइनिंग के लिए जरूरी है.

मिस्र और अमेरिका के रिश्ते रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है. अमेरिकी प्रतिनिधियों ने कहा कि ट्रंप को सीसी की भूमिका की बहुत कद्र है और दोनों देशों के बीच गहरी और रणनीतिक साझेदारी है.

गाजा युद्धविराम में अहम रोल

गाजा में युद्धविराम लाने में मिस्र की भूमिका अहम है. मिस्र ने गाजा युद्धविराम के लिए कतर और तुर्की के साथ मिलकर बातचीत को आगे बढ़ाया है. मिस्र ने न सिर्फ मध्यस्थता की, बल्कि मानवीय सहायता और बंधकों की रिहाई जैसे अहम बिंदुओं को भी शर्तों में शामिल कराया मिस्र को क्षेत्रीय स्थिरता का गारंटर माना जा रहा है.

ट्रंप प्रशासन मिस्र को गाज़ा में शांति लागू कराने और इज़राइल-फिलिस्तीन के बीच स्थिरता लाने वाला देश मान रहा है. मिस्र की इस भूमिका से उसकी राजनयिक ताकत और भी मज़बूत हुई है.

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