EMI vs SIP: फेस्टिव सीजन में EMI पर खरीद रहे हैं सामान या SIP के जरिए कर रहे निवेश, कौन सा है फायदे का सौदा?
त्योहारी सीजन शुरू हो गया है. ऐसे में आपने भी कंपनियों की ओर से किए जाने वाले आकर्षक प्रचारों और ऑफर्स को देखा होगा. ऑनलाइन और ऑफलाइन हर जगह पर छूट की छूट दिखाई दे रही है. खासतौर पर ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए बढ़िया ऑफर दे रही हैं. कहीं नो-कॉस्ट ईएमआई मिल रही है तो कहीं पर 50-60 फीसदी की डिस्काउंट मिल रहा है. अगर पैसे डेबिट की बात करें को अकाउंट से वह EMI के जरिए होते हैं या फिर एक ऑप्शन और है जिसे SIP कहा जाता है. दोनों में एक समानता है कि फिक्स समय अवधि में आपके खाते से पैसा कट जाता है. सवाल यह है कि EMI और एसआईपी में से फायदे का सौदा कौन होता है. इसी बात को आइए डिटेल में समझते हैं.
SIP और EMI में भले ही आपके अकाउंट से सीधे पैसा कट जाता है लेकिन दोनो की तरीके आपके फाइनेंशियल हेल्थ का काफी हद तक दर्शाते हैं. इनको कैसे मैनेज किया जा रहा है उसका इंपैक्ट आपकी जेब पर साफ तौर देखने को मिलता है. एसआईपी में आप अपने निवेश को कंट्रोल कर सकते हैं और ब्याज का फायदा भी उठा सकते हैं. हालांकि, ईएमआई में भी कटौती को मैनेज किया जा सकता है लेकिन इसमें आपको ब्याज मिलता नहीं है बल्कि देना ही पड़ता है. क्योंकि ईएमआई पर जब आप सामान लेते हैं तो वह लोन होता है. मान लीजिए 10 हजार का कोई फोन आप खरीद रहे हैं. 5000 हजार रुपये आपने जमा कर दिए हैं तो आपको बचे हुए 5000 रुपये चुकाने के लिए ईएमआई बंधानी होती है. जो कि एक लोन ही है. इसमें आपके पास च्वाइस नहीं होता है कि ईएमआई न भरी जाए. बल्कि दूसरी ओर एसआईपी आप अपनी सुविधानुसार बंद करवा सकते हैं.
सही फाइनेंशियल अप्रोच?
अगर किसी से यह पूछा जाए कि वह कमाता क्यों है और मेहनत क्यों करता है. तो 90 फीसदी लोगों का जवाब यही होगा कि जिंदगी बेहतर चले, जरूरतें पूरी हों साथ ही कुछ शौक भी पूरे होते रहें. इसी के लिए कमाते हैं. मेहनत करते हैं. मगर ईएमआई पर सामान लेना मतलब आज खरीद लो और भरते रहो वाली अप्रोच क्या वाकई सही है? हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि ईएमआई यूज न करो लेकिन ऐसा भी न हो कि आप कर्ज के जाल में फंस जाएं.
इसको थोड़ा और उदाहरण के साथ समझने की कोशिश करते हैं. शौक बड़ी चीज होती है ऐसा हम अक्सर सुनते हैं. मिसाल के तौर पर मान लीजिए कि अभी आपकी उम्र 25 साल है और मारुति की कोई कार खरीदते हैं ईएमआई पर तो और दूसरी ओर एक ऑप्शन यह है कि वही पैसा आप मारुति के शेयर में लगाते हैं कहीं एसआईपी करते हैं. पूरे चांस हैं आज से 30 साल बाद यानी 55 उम्र में एसआईपी वाला पैसा ज्यादा हो जाए और ईएमआई पर आपको कुछ नुकसान हो. मगर क्या जो मजा 25 की उम्र में कार से घूमने का है वह 55 में होगा? जाहिर सी बात है यह पर्सनल च्वाइस है फिर भी एक उम्र के बाद शौक से ज्यादा जिम्मेदारियां जरूरी हो जाती हैं. ऐसी स्थिति में ईएमआई तो ठीक होगा. लेकिन ठीक इसी समय जब आप अपनी सारी कमाई को ईएमआई में झोंक रहे हैं तो किसी फाइनेंशियल इमरजेंसी पर आपको दिक्कत होती. कुल जमा बात यही है कि ईएमआई करने रहता ठीक है मगर जब खुद के पास फंड न बचे तो ऐसी EMI का क्या ही मतलब होगा?
EMI vs SIP में क्या बेहतर
हाइपोथेटिकल स्थिति में तो हमने ईएमआई और एसआईपी को खेल को देख अब इसे जरा डेटा से समझते हैं. मान लीजिए की ईएमआई पर कोई सामान की वैल्यू अभी 5 लाख रुपये है. और इंफ्लेशन के बाद उसकी वैल्यू 6,38,141 रुपये हो जाती है.
ईएमआई का कैलकुलेशन
- अभी प्रोडक्ट की कीमत 5 लाख रुपये है.
- ब्याज दर 1% प्रति माह है.
- 5 वर्ष x 12 महीने = 60 महीने.
- ईएमआई मंथली
- EMI बनेगी- 11,122 रुपये लगभग
- पांच वर्ष की अवधि में ईएमआई पर आपको 5 लाख की जगह आपको 6,67,333 रुपये देने होंगे.
SIP का कैलकुलेशन
चूंकि इसमें अभी आपने कोई सामान नहीं खरीदा है को करेंट वैल्यू शून्य होगी.
रिटर्न की दर 1% प्रति माह है.
किस्त की अवधि 5 वर्ष x 12 माह = 60 महीने
मंथली एसआईपी- 7,733.32 रुपये करीब
पांच वर्ष की अवधि में एसआईपी पर आपका कुल खर्च यानी निवेश 4,64,179 रुपये होगा.
वहीं उत्पाद को खरीदना चाहते हैं उसका भविष्य मूल्य मुद्रास्फीति के बाद 6,38,141 हो जाएगा.
किसमें है फायदा?
EMI के साथ, आप आज अपनी खरीदारी करके तुरंत मजा ले रहे हैं. लेकिन, आपको अगले पांच साल तक प्रिंसिपल के साथ ब्याज भी चुकाना होगा. आपकी मासिक EMI 11,122 से थोड़ी ज्यादा होगी, और कुल मिलाकर आप 6.67 लाख चुकाने होंगे. मलतब कि आपको 1.67 लाख रुपये ज्यादा देने होंगे
वहीं, SIP के साथ, आप अपनी खरीदारी को पांच साल के लिए टाल रहे हैं, जिससे महंगाई की वजह से चीज का दाम बढ़ सकता है. लेकिन, SIP में आपकी हर किश्त पर ब्याज मिलता है. इसकी वजह से आपकी मासिक किस्त सिर्फ 7,733.33 होगी और आपका कुल प्रिंसिपल अमाउंट 4.64 लाख रुपये का होगा और 12 फीसदी ब्याज के बाद यह रकम 6.38 लाख रुपये होगी जो कि इंफ्लेशन वाली वैल्यू के बराबर होगी. मतबल की आपको कम निवेश में फायदा मिलेगा और कर्ज की टेंशन भी नहीं रहेगी.
(डिस्क्लेमर- TV9 हिंदी किसी भी फंड, शेयर में निवेश की सलाह नहीं देता है. यह खबर सिर्फ जानकारी के हिसाब से लिखी गई है. फाइनेंशियल टिप्स के लिए लिए एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/J26hESK
Leave a Reply