ED ने हैदराबाद समेत 9 जगहों पर की छापेमारी, अवैध सरोगेसी रैकेट का खुलासा, कई जोड़ों को बनाया शिकार

ED ने हैदराबाद समेत 9 जगहों पर की छापेमारी, अवैध सरोगेसी रैकेट का खुलासा, कई जोड़ों को बनाया शिकार

ED की टीम ने शुक्रवार को हैदराबाद, विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम में 9 जगहों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी एंड रिसर्च सेंटर के नाम पर डॉ. पचीपल्ली नम्रता उर्फ अथलूरी नम्रता द्वारा चलाए जा रहे अवैध सरोगेसी रैकेट के संबंध में की गई. ED की इस छापेमारी के दौरान टीम को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनसे पता चला है कि नम्रता ने न सिर्फ देशभर के कई जोड़ों को ठगा बल्कि इस धंधे से कमाई गई बड़ी रकम से कई संपत्तियां भी खरीदी.

ED (Enforcement Directorate) की जांच में पता चला है कि डॉ. नम्रता ने बच्चे की चाहत रखने वाले जोड़ों को भरोसा दिलाया कि वे सरोगेसी के जरिये अपना बच्चा पा सकते हैं. उन्हें कहा गया कि उनके ही अंडाणु और शुक्राणु से एम्ब्रियो बनाया जाएगा और फिर उसे एक सरोगेट मां के गर्भ में रखा जाएगा. पूरा खर्चा लगभग 30 लाख रुपये बताया जाता था. जिसमें आधी रकम चेक से और आधी नकद दी जाती थी. जोड़ों को यकीन दिलाया जाता था कि बच्चे के जन्म के बाद DNA टेस्ट से साबित हो जाएगा कि बच्चा उन्हीं का है. कई मामलों में DNA टेस्ट के बाद खुलासा हुआ कि जो बच्चा दिया गया, वह उनका जैविक बच्चा नहीं है.

गरीब महिलाओं और एजेंटों का इस्तेमाल

ED की जांच में सामने आया है कि नम्रता और उनकी टीम गरीब और मजबूर महिलाओं को पैसों का लालच देकर उनके बच्चे ले लेती थीं. एजेंट इस काम में बिचौलिये की भूमिका निभाते और कमीशन पाते थे. असली पैसा डॉ. नम्रता अपने पास रखती थीं. इस तरह नम्रता अब तक सैकड़ों जोड़ों से करोड़ों रुपये धोखाधड़ी कर वसूल चुकी है.

विदेशी जोड़े भी बने शिकार

जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई कि विदेश से आए एक जोड़े को भी इस धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा. DNA टेस्ट में सच्चाई सामने आने के बाद उनके बच्चे को पासपोर्ट तक नहीं मिला. इसके अलावा कई जोड़ों ने शिकार होने पर शर्म के चक्कर में पुलिस से संपर्क नहीं किया जिसका आरोपियों ने गलत फायदा उठाया.

10 साल से चल रहा था रैकेट

ED की जांच में पता चला है कि यह धंधा पिछले 10 सालों से अलग-अलग शहरों में चल रहा था. इसके लिए फर्जी कानूनी दस्तावेज बनाए जाते ताकि लगे कि बच्चा पाने वाले माता-पिता और सरोगेट मां खुद इस प्रक्रिया के लिए आए हैं और क्लिनिक केवल सेवा दे रहा है. इसी वजह से आरोपियों पर किसी को शक नहीं होता था.

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