ED ने जब्त कीं 153.16 करोड़ की अचल संपत्तियां… धोखाधड़ी के मामले में बड़ा एक्शन
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गुरुग्राम जोनल टीम ने धोखाधड़ी मामले में बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने मेसर्स यूनिवर्सल बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड और उसकी समूह संस्थाओं के पूर्व प्रमोटरों के साथ ही उनके प्रमुख सहयोगियों की 153.16 करोड़ रुपए की अचल/चल संपत्तियां कुर्क की हैं. कुर्क की गई संपत्तियों में राजस्थान के कोटपुतली के बहरोड़ में 29.45 एकड़ जमीन, गुरुग्राम के सेक्टर-49 स्थित यूनिवर्सल ट्रेड टॉवर में कई इकाइयां और 3.16 करोड़ रुपए की फिक्स डिपॉजिट शामिल हैं.
ईडी ने यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 17.09.2025 के अस्थायी कुर्की आदेश के तहत की है. गिरफ्तार पूर्व प्रमोटरों और अन्य प्रमुख लोगों को आरोपी बनाते हुए गुरुग्राम की विशेष पीएमएलए अदालत में 19.09.2025 को एक अभियोजन शिकायत भी दायर की गई है.
30 से ज्यादा FRI के आधार पर जांच शुरू
ईडी ने दिल्ली-एनसीआर में मेसर्स यूनिवर्सल बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों रमन पुरी, विक्रम पुरी और वरुण पुरी के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज 30 से ज़्यादा एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. ये एफआईआर रियल एस्टेट परियोजनाओं को समय पर पूरा न करने और घर खरीदारों एवं निवेशकों को धोखा देकर वित्तीय नुकसान पहुंचाने के आरोप में दर्ज की गई थीं.
न्यायिक हिरासत में हैं आरोपी
मेसर्स यूनिवर्सल बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के तीनों प्रमोटरों और पूर्व निदेशकों को ईडी ने 22/7/2025 को पीएमएलए, 2002 के तहत गिरफ्तार किया था. फिलहाल सभी लोग न्यायिक हिरासत में हैं.
इसके बाद, कंपनी को कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में ले जाया गया, जिसके परिणामस्वरूप घर खरीदारों और अन्य वित्तीय लेनदारों (एफसी) से जुड़ी एक समाधान योजना को मंजूरी मिली. राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने आदेश दिया कि कुछ संपत्तियां घर खरीदारों को सौंप दी जाएं, जिन्हें वित्तीय लेनदार माना गया था, जबकि शेष संपत्तियों का परिसमापन किया जाना था.
परियोजनाएं पूरी नहीं हुई
घर खरीदारों द्वारा 15 सालों से अधिक समय तक इंतजार करने के बावजूद, प्रस्तावित समाधान के परिणामस्वरूप घर खरीदारों को इन परियोजनाओं में अपने निवेश को साकार करने के लिए अतिरिक्त धनराशि के रूप में अतिरिक्त लागत वहन करनी पड़ रही है. अधिकांश घर खरीदारों ने 2010 से पहले अपने धन का निवेश किया था, और उन्हें अपने फ्लैटों या स्थानों का कब्जा प्राप्त करने में अतिरिक्त समय लगने की उम्मीद है, क्योंकि पूर्व प्रमोटरों की कार्रवाइयों के कारण परियोजनाएं पूरी नहीं हुई हैं, जिन्होंने 2010 से निर्माण रोक दिया था.
ईडी की आगे की जांच जारी
इस मामले में, समाधान पेशेवर से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चला है कि कंपनी ने अपने आरोपी प्रमोटरों के माध्यम से गुरुग्राम और फरीदाबाद में आठ अलग-अलग परियोजनाओं पर 12 सालों में 1000 करोड़ रुपए से अधिक एकत्र किए और विकास के लिए केवल आंशिक धन का उपयोग किया. साथ ही आपराधिक हेराफेरी, धोखाधड़ी, जालसाजी और धोखाधड़ी के माध्यम से अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जमीन और अन्य संपत्ति हासिल करने के लिए धन की हेराफेरी की. फिलहाल ईडी की आगे की जांच जारी है.
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