दिल्ली पुलिस ने ऑनलाइन धोखाधड़ी के कई मामलों में इस्तेमाल किए गए ‘रिमोट-एक्सेस’ मोबाइल एप्लिकेशन को कथित तौर पर तैयार करने और ठगों को उपलब्ध कराने वाले एक व्यक्ति को झारखंड के जामताड़ा इलाके से हिरासत में लिया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार, उमेश कुमार राजक (26) को पांच दिसंबर को देवघर से हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई दिल्ली के एक निवासी से 1.2 लाख रुपये की साइबर ठगी की शिकायत के बाद शुरू हुई जांच के आधार पर की गई।
पुलिस उपायुक्त (मध्य) निधिन वाल्सन ने बताया, “मिंटो रोड निवासी शिकायतकर्ता को 29 जुलाई को एक व्यक्ति ने खुद को बिजली विभाग का अधिकारी बताकर फोन किया और चेतावनी दी कि उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। इसके बाद उसने ‘कस्टमर सपोर्ट’ नाम की एक एपीके फाइल भेजकर उसे फोन में इंस्टॉल करने को कहा।”
डीसीपी के अनुसार, फाइल इंस्टॉल होने के बाद ठगों ने पीड़ित के मोबाइल फोन का ‘रिमोट एक्सेस’ हासिल कर लिया, जिससे उन्होंने डिजिटल भुगतान ऐप के माध्यम से पीड़ित के खाते से रुपये अंतरित कर लिये।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
जांच में पता चला कि यह ऐप एक एफयूडी (पूरी तरह से पता न चलने वाला) ‘कस्टमर सपोर्ट’ एपीके था। यह ऐसा ऐप है जिसे साइबर अपराधी सुरक्षा जांच से बचने और मोबाइल फोन पर पूरा नियंत्रण पाने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
पुलिस ने बताया कि जामताड़ा निवासी राजक विभिन्न क्षेत्रों के ठगों को यह ऐप करीब 15,000 रुपये प्रति फाइल की दर से उपलब्ध कराता था।
वह इससे पहले भी मुंबई और रांची में बीएनएस की धारा 318 (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत दर्ज दो मामलों में शामिल रह चुका है।
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